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Swati Grover

Drama Romance Tragedy

4  

Swati Grover

Drama Romance Tragedy

पीकॉक

पीकॉक

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Peacock-1

आरव अचानक नींद से जाग गया ? “फिर वही सपना देखा क्या तुमने? अरुणा ने पूछा।“ “हां रिदा अभी भी मेरे सपनों में आती है और बड़ी उम्मीद से मुझे देखती है, हँसती है, फ़िर जोर से रोने लग जाती है। पता नहीं कब मुझे इन सपनों से छुटकारा मिलेगा”?? उसने अरुणा की तरफ बेबसी से देखते हुए कहा। “बुरा न मानना आरव, तुमने जो उसके साथ किया है, शायद उसी का एहसास कराने वो तुम्हारे सपनों में आ जाती है, खैर छोड़ो उठो। तुम्हारे रेगुलर टाइम पास वाले यंग एंड ओल्ड कम्युनिटी तुम्हारा इंतज़ार कर रहे होंगे। मुझे भी अपने ऑफिस जाना है और कोई नई ब्रेकिंग न्यूज़ इंतज़ार कर रही होगी।“ अरुणा ने विषय बदलते हुए आरव से कहा। ठीक है बहन, उठ रहा हूँ। आरव कहकर बाथरूम में चला गया। अरुणा ने खिड़की से बाहर देखा पालमपुर की पहाड़ियों से चमकता सूरज हमेशा ही मन में कोई उमंग भर देता है। ‘जब माँ-बाबा ज़िंदा होते थें तो कैसे पूरा परिवार इन पहाड़ों का नज़ारा साथ बैठकर देखा करता था,’ अरुणा यह सोच ही रही थीं कि आरव तैयार होकर नाश्ता करने के लिए बैठ चुका था। “दीदी आओ, अब देर नहीं हो रही?” आरव ने अरुणा को पुकारकर कहा। “आती हूँ !!!” कहकर ने खिड़की बंद की और दोनों भाई-बहन नाश्ता कर अपने-अपने काम को निकल गये।

आरव पालमपुर में एक लाइब्रेरी कम कैफे चलाता है और तक़रीबन सभी बच्चे और बूढ़े उसके यहाँ आकर समय बिताते है और ज्ञान की चैटिंग और सेटिंग भी खूब चलती है।  कभी पॉलिटिक्स पर बहस होती है, तो कभी फिल्मों की हीरोइन के पीछे जाते ह, इसलिए आरव ने अपने कैफ़े का नाम टाइमपास रख दिया।  बच्चो और बूढ़े के हिसाब से बिलकुल सही नाम चुना था, आरव ने। मगर कहीं न कहीं हसी-ठठोली के बीच अपने मन की घुटन और बेचैनी को चाहकर भी नहीं मिटा पाता और आज “जब दीदी ने कहा कि तुमने रिदा के साथ ठीक नहीं किया तो ऐसा लगा कि उसके मन का बोझ और भी बढ़ गया हैं।  “आरव किस सोच में डूबा है यार !” उसका कॉलेज का दोस्त बंटी उसके हाथों को हिलाकर बोला।  “वहाँ देख वो पिंक ड्रेस वाली कोई सेक्सी सा इंग्लिश नावेल पढ़ रही है, जाते वक़्त रजिस्टर में उसका नंबर लिखवा लियो। थोड़े नोट्स मैं भी ले लूँ, बंटी ने हॅसते हुए कहा। “तू भी न बस हद करता है, मुझे नहीं लगता कि वो तुझे घास डालेगी देख पहले ही कोई पंछी उस डाल पर जाकर बैठ गया है।“आरव ने बंटी को उस लाल शर्ट वाले लड़के को दिखाते हुए कहा। “रुक मैं ज़रा इस साले के पर काटकर आता हूँ। कहकर बंटी चला तो गया, मगर सच में उसकी दाल नहीं गली और वह अपनी बाइक उठा खुनस में कैफ़े से निकल गया। 

“बेटा इस बुक को घर ले जाओं” मिश्रा अंकल ने आरव को बुक दिखाते हुए पूछा। आरव ने उपन्यास को देखा और मुस्कुराकर बोला, “ ले जाओ! अंकल वैसे थोड़ा एडल्ट नावेल है ‘लोलिता’।“ “तभी तो ले जा रहा हूँ, बेटा इसको पढ़कर तेरी आंटी की याद आ गयी, वैसे नाम उसका लीलावती था। पर प्यार से उसे लोलिता कहकर बुलाता था।“ कहकर मिश्रा अंकल चले गए। पर आरव ने सोचा, ‘मुझे तो पूरा हिमाचल ही रिदा की याद दिलाता है। हर फूल में रिदा की हसीं बसी हुई है, उसका चेहरा बादलों से घिरे चाँद में नज़र आता है। मगर जब भी वह गौर से देखता है, तो चाँद बादलों में छिपने लगता है। रिदा मुझसे नफरत ही करती है। आख़िर, मैं इसी काबिल हूँ।“ सोचकर आरव की आँख भर आई और तभी मोबाइल बजा, अरुणा कह फ़ोन था। “भाई आज कैफ़े बंदकर जल्दी घर आना मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार, आज बहुत बारिश होने वाली है। अरुणा ने आदेश के लहज़े में कहा। बिलकुल मेरी रिपोर्टर बहन सही टाइम पर रिपोर्टिंग करूँगा!!!”” कहकर आरव ने फ़ोन रख दिया।   

शाम को बहुत तेज़ बारिश हुई। “सच में दिल्ली कैसे डूब रही है। देखो!” टीवी की और इशारा कर अरुणा ने आरव से कहा। “और पालमपुर यहाँ भी तो पानी भर जाएगा “ आरव ने कॉफी का घूँट भरते हुए कहा। “पालमपुर की बारिश तो बेहद खूबसूरत है, देखा नहीं कि जब बारिश आती है तो कैसे मोर नाचते है, पर दिल्ली में बस ट्रैफिक-जाम, प्रदूषण और बरसात तो इन्हें अच्छी नहीं लगती।  मेरे ऑफिस के महेश ने एक स्टोरी दिल्ली के लाइफस्टाइल पर कवर की थी, ज़्यादतर लोग वर्षा के मौसम का रोना ही रो रहे थें। “ अरुणा ने फिर टीवी की ओर देखते हुए कहा। “क्या पता, वहाँ भी कोई मोर नाच रहा हों। “ आरव ने कटाक्ष करते हुए अरुणा को कहा।


Peacock-2

 

दिल्ली की गलियों में लबालब पानी भरा हुआ है और इन्हीं गलियो में एक छोटा सा घर जहाँ छत पर खड़ी, वो बारिश को बड़ी मासूमियत से निहारते हुए भीग रही है, वह चाहती है कि वह खूब नाचें छत की नाली से जाते हुए पानी को उसने कपड़े से बंद कर दिया है। छत पर भरे पानी में तैरने का मन तो है और तैरने की कोशिश भी कर रही है , तभी नीचे से आवाज़ आई, “ पीहू नीचे आजा! बेटा, बहुत बारिश है।" “आती हूँ, बाबा" बस थोड़ी देर और” पीहू ने कहा। “अरे ! आजा बेटा कहीं तुझे चोट न लग जाए”, आवाज़ फिर तेज़ हो जाती है। “मैं भी बारिश में नाचना चाहती हूँ पूरा बचपन सिर्फ भीगते हुए बीता है, अब तो कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू कर दी है मगर मैं शायद ही कभी डांस कर पाऊँगी ? “ धीरे-धीरे कदमो से सीढ़िया उतरते हुए पीहू बड़बड़ायी जा रही थीं। आजा! मेरी बिटिया देख, नानी ने पकोड़े बनाए है, गर्म -गर्म चाय के साथ खाकर मज़े ले बेटा। बाबा ने पकोड़े खाते हुए कहा।


“माँ ज्यादा अच्छे पकोड़े बनाती थी” पीहू ने पकोड़ा मुँह में ठूँसकर कहा। “नानी की कोई चीज़ तुम्हें क्यों अच्छी लगेगी माय डियर पीकॉक” नानी हॅसते हुए बोली । “क्यों छेड़ती रहती हूँ मेरी बेटी क, चलो अब तुम दोनों पकोड़े खाओं, मैं ज़रा टीवी पर कोई फिल्म देख लूँ।  कहकर बाबा अंदर बाबा अंदर चले गए। ‘मेरे बाबा शिवप्रसाद लाल मुझे जितना प्यार करते है, उतना माधुरी दीक्षित को भी करते है। केबलवाले को कह उनकी फिल्मे टीवी पर लगावते रहते है।  मोबाइल में उन्हें माधुरी ज़्यादा सुन्दर नहीं लगती । “ले मेरी पीकॉक गोभी का पकौड़ा खा! ले मेरी, लाडो नानी ने पकौड़ा पीहू के मुँह में ठूँस दिया। ‘मेरी नानी मुझे पीकॉक क्यों बोलती है, इसका कारण है मेरे टेढ़े-मेढ़े पैर।  जन्म से ही ऐसे है। मेरा जन्म घर पर हुआ।  मेरी माँ बचपन से ही बीमार रहती थीं और मुझे दस साल की उम्र में छोड़कर हमेशा के लिए चली गई। मेरा नाम पीहू उन्होंने ही रखा था। नानी का मुझे पीकॉक बुलाने के पीछे एक कारण और भी है, उनका अंग्रेजी से प्यार।  आई मीन अंग्रेज़ से प्यार आज़ादी के बाद भी कुछ अंग्रेज़ भारत छोड़कर देर से गए , मेरी नानी पहले वहीं हिमाचल में रहती थीं वहीं अंग्रेज़ उनसे टकरा गया। वहीं शुरू हुआ यह प्यार, उसने नानी को अंग्रेज़ी सिखाई और नानी ने उन्हें हिन्दी। नानी शादी भी उसी से करती मगर वो वापिस लंदन चला गया और नानी की शादी मेरे नाना से हो गई। भले ही अँगरेज़ छूट गया, मगर उन्होंने अंग्रेज़ी नहीं छोड़ी।  जब मौका मिलता है, वो तब-तब अंग्रेजी बोलती है। उन्हीं की वजह से बाबा के अलावा सब मुझे पीकॉक कहते हैं।

“बेटा, अब मैं तेरे आगे की पढाई के बारे में सोच रहा था। मैं चाहता हूँ, तू पढ़-लिखकर अपने पैरो पर खड़ी हो जाए, बाबा ने कहा। तो नानी को हँसी आ गई, वो कौन सा तेरे पैरो पर खड़ी है? नानी ने ज़ोर से बाबा का मज़ाक बनाते हुए कहा । “देखो ! अम्माजी हम दोनों बाप -बेटी के बीच में न बोलो” बाबा ने नकली गुस्सा दिखाते हुए नानी को कहा। “देख बेटा! मैं तेरा बाप शकूरबस्ती में नगर निगम का कर्मचारी बन साफ़-सफाई का काम देखता हूँ. मगर आज तक मेरी नौकरी पक्की न हो सकी । वही पहले प्राइवेट झाड़ू लगाया और जब यहाँ कह-सुनकर लगा भी तो कॉन्ट्रैक्ट पर। दसवीं पास की मगर क्या फ़ायदा???” “आप कहना क्या चाहते है बाबा !” पीहू ने पूछा । “कल मेरी राधे श्याम से बात हुई थीं उसने बताया अपना नहीं तो अपनी बेटी का भविष्य ही बना ले। पीहू तू न सरकारी नौकरी की तैयारी कर, वैसे भी वो अपनी कसरत करवा सारा दिन इंटरनेट पर डांस देखती रहती है या फिर कभी बैसाखी के सहारे या डंडे के सहारे डांस करती रहती है ।“ बाबा ने अपने बिस्तर पर बैठते हुए कहा । “मुझे नाचना अच्छा लगता है बाबा मैं डांस करना चाहती हूँ।“ पीहू के स्वर में उदासी थीं ।

“सच्चाई यह है कि बच्चे मैंने बहुत कोशिश की तेरे पैर ठीक हो जाए, पर मैं ठहरा गरीब सफ़ाई कर्मचारी तेरी माँ को भी बचा न सका, अब यही मान ले कि ऐसे ही जीना है।  पर अगर तेरी सरकारी नौकरी लग जायेगी तो कोई भी लड़का तेरा हाथ भी थाम लेगा। तुझे पता नहीं है बेटा, राधेश्याम की भतीजी के हाथ काम नहीं करते थें मगर देख लो क्लर्क लगते ही दो साल बाद शादी भी हो गयी और फिर हम तो आरक्षण कोटे में भी आते है और तू पढ़ाई में भी ठीक है,” बाबा ने गर्व से कहा। “वाह ! शिव प्रसाद वाह ! बेटी को हैंडीकैम कोटे से फार्रम भरवाएगा और फ़िर तू है तो चमार वाह !” “इसमें गलत क्या है अम्माजी? जब सरकार ने नियम बनाए है, तो लाभ तो उठाएं। कल पीहू जब पैरों की कसरत करवाकर लौटेंगी तो राधेश्याम की भतीजी उमा से बात करवाऊंगा और किताबें भी ला दूंगा। जैसे ही कॉलेज के तीन साल पूरे होंगे हमारी पीहू बन गयी सरकारी नौकर वाह! तेरी महिमा निराली है महादेव। “ बाबा ने आँख बंदकर कहा। “अब सोजा शिव भक्त सुबह झाड़ू भी मारना है, कहकर नानी ने कमरे की लाइट बुझा दी।

मगर पीहू सबके सोने के बाद छत पर आ, बारिश के बाद हुए साफ़ आसमान को देखने लगी।

 

Peacock-3

“सोई नहीं पीकॉक क्या सोच रही है ? “ नानी ने प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा।  “नानी बाबा समझते नहीं है कि मैं डांस करना चाहती हूँ।  ठीक है मैं कॉलेज खत्म कर अपने पैरो पर भी कड़ी हो जाऊँगी, मगर मैं अभी डांस सीखना चाहती हूँ ताकि आगे चलकर किसी राष्ट्रीय स्तर पर नृत्य कर सको।“ पीहू ने तारे को देखकर उत्तर दिया । “हमेशा यह बाबा कहाँ समझते है? जानती है, मेरा नाम है तारा और वो अँगरेज़ मुझे ट्विंकल कहता था।  अगर शायद मैंने हिम्मत की होती या उसने भी थोड़ा ओर ज़िद की होती तो आज शकूर बस्ती में न होती लंदन में घूम रही होती। “ नानी ने तारे को देखकर कहा। “आप उससे मिली कैसे नानी ? क्या उम्र रही होंगी? पीहू ने नानी की उदास आँखों में देखकर पूछा। मेरी सिर्फ दस साल और वो बारह साल मेरे बाबा उसके यहाँ माली का काम करते थें, बस बचपन ऐसे ही बीत गया उसकी वजह से दसवीं पढ़ पायी फिर एक दिन लंदन से उसके पिता के पिता की मौत की खबर आयी और वो लोग चले गए, जाते वक़्त उसने पूछा भी चलना है मेरे साथ? मैंने अपने बाबा से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया और बस फिर उसने भी ज्यादा नहीं कहा और हमेशा के लिए चला गया।  जाते -जाते अपना हिमाचल वाला घर हमें दे गए ताकि हम सब आराम से रह सके।“ नानी एक ही सांस में कह गई सारी कहानी।

“फिर क्या हुआ नानी?” पीहू ने फिर पूछा ? “बस फिर तेरे नाना से शादी हो गई फिर तेरी माँ और तेरे नाना के जाने के बाद यहाँ आ गई। “ नानी ने बताया। “नाना इतने बुरे नही थें न? नानी मैंने उन्हें ठीक से देखा नहीं था। ” पीहू ने पूछा। “बहुत अच्छे थें, वैसे भी अच्छे लोग ज़िन्दगी से जल्दी चले जाते है पीकॉक,” नानी ने एक बार फिर तारे को देखा। “तो क्या मुझे भी अपना सपना भूलना होगा ? पीहू ने पूछा। “तेरा बाप गलत नहीं है, सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू तो कर दें, अब तो तेरे पैर काफी ठीक है, बैसाखी के बिना चल लेती है।  अगर ईश्वर ने चाहा तो तेरा सपना ज़रूर पूरा होगा। चल अब सोजा वरना वो शिव शंकर भी जाग जायेंगा। “ नानी ने हॅसते हुए कहा।


नानी तो चली गयी पर उसे पता था कि उसकी आँखों में नींद नहीं है। पता नहीं, ईश्वर को क्या मंजूर है, पीहू अपने टेढ़े-मेढ़े पैरों को देखते हुए बोली।


वहाँ पूरा हिमाचल बारिश के बाद बेहद खूबसूरत लग रहा था। आरव ऐसे ही घूमने पहाड़ों पर आ निकला और उगते हुए सूरज को देखते हुए बोला, “काश ! हम ज़िन्दगी के कुछ पन्नों को फिर से लिख सकते। ‘उसे लगा कि कोई पीछे खड़ा है मुड़कर देखा तो सफ़ेद रंग के कपड़ों में रिदा आँख में आँसू और होठों पर हँसी लिए खड़ी थीं। आरव देखता रह गया बस इतना ही निकला रिदा मुझे माफ़ कर दो !! प्लीज ! रिदा कुछ नहीं बोली उसे छूने के लिए जैसे ही उसने हाथ बढ़ाया, नीचे से किसी ने पुकारा, “आरव!’ और रिदा गायब !!! आरव ने फिर चारों तरफ देखा मगर कोई नहीं था। नीचे देखा तो उसका होने वाला बहनोई ऋषभ खड़ा था। अरुणा का मंगेतर उसके साथ उसके चैनल में काम करता था। आरव नीचे उतरकर आया तो दोनों गले मिले और साथ घर की तरफ़ चलने लगे। 

“और बता ? क्या चल रहा है। “ ऋषभ ने पूछा? “कुछ नहीं वही कैफ़े और फिर घर? बस कभी बंटी तो कभी विक्की से बात और इससे ज्यादा क्या चलना है” “कुछ नया क्यों नहीं करता?” ऋषभ ने कहा। “जैसे कि?” आरव ने पूछ लिया। “कुछ ऐसा जो तेरे मन को सकूँ दे और तुझे अच्छा लगता हों कुछ संगीत और नृत्य ही सीख ले, पहले तो बड़ा गाता-बजाता और नाचता भी फिरता था” ऋषभ ने मूड बदलने के उद्देश्य से पूछा।  रिदा के जाने के बाद कुछ भी करने का दिल नहीं करता आरव ने पहाड़ों को देखकर कहा। कब तक वही पिछली यादें पकड़कर बैठा रहेंगा नज़रे घुमाकर देख दुनिया बड़ी खूबसूरत है। कोई और रिदा मिल जायेंगी,” ऋषभ ने आरव की आँखों में देखकर कहा।  मगर आरव को ऋषभ की बात अच्छी न लगी और उसने मुंह फेर लिया।


Peacock-4


“पीकॉक ले बेटा ये किताबें पकड़ और पढ़ाई शुरू कर दे। मन लगाकर पढ़ और पूरे मोहल्ले का नाम रोशन क।“ बाबा ने अपनी बची-कुची मूँछों को ताव देते हुए कहा। “गिर जाएँगी ये मूंछे भी अगर ज्यादा छेड़गा और वैसे भी मोहल्ले का नाम तो किसी और तरह से भी रोशन किया जा सकता है।“नानी ने रसोई से ही चिल्लाते हुए कहा । “ अपनी तरह न बना देना अम्माजी मेरी पीहू को।  पूरे हिमाचल को पता है आपके और उस अंग्रेज़ के इश्क़-मुशक के बारे में मेरी लाडो तो बस पढ़ाई करेंगीं”। बाबा ने अपनी सफाई का सामान उठाते हुए कहा । “ औ !! झाड़ूवाले तमीज़ से बात कर। “ नानी ने हाथ में पकड़ी कड़छी बाबा की और फैंककर मारी। बाबा बचते-बचाते बाहर निकल गए और मुझे हसीं आ गयी । “मैं अपने डंडे को उठा थेरेपी करवाने निकल गई । जिसे बाबा कसरत कहते हैं। सामने से मेरा इकलौता दोस्त सोनू आ रहा था, पूरा नाम सोनूवीर था। मगर लड़कियाँ कहीं भाई न बना ले इसीलिए अपना नाम हमेशा सोनू ही बताता था ।“


और पीकॉक कहा जा रही है? नाचने ?” सोनू ने बाइक रोककर पूछा! “हां वो भी तेरे बाप के बगीचे में। “ पीहू ने भी तपाक से उत्तर दिया ।“ नाराज़ क्यों होती है पीकॉक ? आज मेरी सेटिंग परी से हो गई है, चल बैठ तुझे पूरी बात बताता हूँ। सोनू ने बाइक से लगभग उतरकर कहा। “नहीं मैं पैरो की थेरेपी करवाने जा रही हूँ, वैसे भी बोरिंग कहानी नहीं सुननी मुझे।“ पीहू ने मुँह बिचकाकर कहा। “चल ठीक है, मुझे थेरेपी खत्म होते ही कॉल करियो। मैं वही पास वाले बगीचे में पहुँच जाऊँगा।“ सोनू कहकर चला गया था । “एक यही है, जो बचपन से मेरे साथ मेरे हिसाब के खेल खेलता था, क्योकि इसे पता था कि मैं दौड़ -भाग नहीं सकती।  बाकी गली के बच्चे तो मुझे पूछते नहीं थें, स्कूल में भी मुझे अकेले बैठ हमेशा मेरे पास आ जाता और उदास पीहू को हँसाता रहता था ।“ यही सोचते हुए वह थेरेपी सेंटर के अंदर घुस गई ।


“और पीहू पैर कैसे है?” डॉक्टर दीदी ने पूछा। “अब ठीक है, पीहू ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा। आखिर तुम्हारे बाबा ने तुम्हारे साथ बड़ी मेहनत की है, पीहू तुम्हारी थेरेपी के लिए डबल शिफ्टों में काम किया है।“ दीदी ने कहा । “आप सही कहती है, अगर नाना मदद न करते तो शायद हमारा छोटा सा घर भी बिक गया होता पीहू ने डॉक्टर की बात से सहमति जगाई। इसीलिए अपने बाबा की खातिर बिलकुल ठीक होना है तुम्हे, डॉक्टर ने कहा। दीदी आप भी जानती है कि मेरे पैर औरों की तरह नहीं हो सकते इन्हीं टेढ़ी -मेढ़े पैरो के साथ मुझे रहना है और इन्हीं की वजह से नौकरी मिल जायेगी। “ पीहू ने खीजते हुए कहा। “क्या बात है पीकॉक, आज तुमने डांस की बात नहीं की मूड ठीक नहीं है क्या ? डॉक्टर अलका ने पूछा।  “छोड़ो न दीदी थेरेपी शुरू करते हैं।“ पीहू आँख बंदकर पैरो को पसारते हुए बोली।

शाम को वो और सोनू दोनों बेंच पर बैठे हुए थें । “बता इतनी उदास क्यों है?” सोनू ने पीहू से पूछा। कुछ नहीं बाबा चाहते है कि मेरी सरकारी लग जाए और मैं दिन-रात किताबों में ही घुसी रहू और तो और यहाँ तक कि उन्हें मरे डांस सीखने के कार्य से भी प्रॉब्लम है , शायद मेरा यह सपन, सपना ही बनकर रह जाएगा।“ पीहू ने सोनू की ओर उदास नज़रों से देखा। “अंकल वैसे तेरा भला ही चाहते है मगर वो क्या कभी कोई नहीं समझेगा कि तू डांस भी करना चाहती है। सब या तो तेरे पर हसेंगे या तेरे पर तरस खाएंगे, वैसे एक बात बोलो मैं भी अपना एक पैर तुड़वा लेता हों फिर मुझे भी सरकारों मिल जाएँ सोनू ने फिर मज़ाक करके पीहू को हँसाने की कोशिश की। “ “बड़ा ही बेहूदा मज़ाक था, सोनवीर।  पीहू ने चिढ़ाते हुए कहा। “यार ! देख अब तू मेरी बेज़्जती कर रही है। ठीक है, सुन! अगर मान ले अंकल से छुप-छुपाकर डांस सीख भी लिया तो डांस सिखाएगा कौन ? कोई है जो तेरे जैसे लोगो को डांस सिखाता हों, पहले ये भी तो पता करना पड़ेगा, सोनू ने पीहू को समझाते हुए कहा।


“तू कोई मदद कर सकता है मेरी ?” पीहू ने सोनू से पूछा। “कोशिश कर सकता हूँ, पर पक्का वादा नहीं करता।  सोनू ने आँखों पर काला चश्मा चढ़ाते हुए कहा।  “वैसे भी मेरी परी से सेटिंग हो गई है, कुछ टाइम तो कॉलेज की गर्लफ्रेंड को भी देना होगा यार ! काश अंकल तुझे भी कॉलेज भेज देते वैसे तेरा बाप तुझे ज़रूरत से ज़्यादा कमज़ोर समझता है। “ सोनू ने पीहू को देखते हुए कहा। “हाँ सही है,” पीहू ने हामी भरी। “चल निकलता हूं, ज़रा पापा की दुकान पर हाज़िरी लगा आऊं ताकि खुश होकर कुछ पैसे दे दें। तब तक तू सरकारी नौकरी की तैयारी करती रहें, चल, अब तुझे घर छोड़ देता हूँ। “ बाइक पर बैठकर पीहू को सोनू ने घर पहुँचा दिया ।


और वहाँ पालमपुर में आरव की बाइक किसी घर के आगे रुक गई ।


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“शास्त्री जी घर पर है ? आरव ने पूछा। कौन ? एक अधेड़ सी महिला ने दरवाज़ा खोला, फिर पूछा। “मैं शास्त्री जी से मिलना चाहा रहा था, अगर आप बता दे तो आपकी बड़ी कृपा होगी, वैसे वो मुझे जानते है ।“ “आप कहिये कि आरव आया है।“ वह औरत अंदर गयी और कुछ मिनटों के बाद आरव एक पचास साल के आदमी के सामे बैठा नज़र आया। “बताओ यहाँ क्या करने आये हों ? जी मिश्रा अंकल ने मेरे बारे में आपसे बात की होगी कि मैं डांस सीखना चाहता हूँ ।“ आरव ने थोड़ा सकुचाते हुए कहा । “तुम ? तुम तो पहले ही बहुत अच्छा डांस कर लेते हूँ, दो साल पहले तो तुम पालमपुर के महाडांस संग्राम के फाइनल को जीत गए थें।  अब तुम्हे क्या पड़ गयी, मुझसे डांस सीखने की? वैसे भी मैं, कोई ब्रेकडांस नहीं सिखाता, मैं तो भारतीय संस्कृति से जुड़े प्राचीन नृत्य जो आजकल के बच्चे शायद सीखना भी नहीं चाहते वो सिखाता हूँ ।“ महावीर शास्त्री ने चाय का प्याला हाथ मैं लेते हुए कहा । “जी मुझे भी वही सीखना है, “आरव ने बड़े मौन के साथ उत्तर दिया । “क्यों तुम्हारी रुचि बदल गई”? “जी नहीं मेरी ज़िन्दगी बदल गई।“ शास्त्री जी ने आरव को गौर से देखा फिर बोले ठीक है, तुम आ जाओ। “ कब से? कल सुबह सात बजे से और ध्यान रखना मुझे लेट आने वाले लोग पसंद नहीं है। मैं निकालने में देरी नहीं करता मुझे अनुशासन प्रिय लोग पसंद है। “ महावीर जी ने सख्ती से कहा। और आरव समय पर पहुंचने का कहकर चला गया।


 आरव ने डांस करना शुरू कर दिया। वह पहले से ही अच्छा डांस करना जानता था इसलिए धीरे-धीरे विभिन्न प्राचीन नृत्य सीखना शुरू किया कथककली, भरतनाट्यम , कुच्चीपुड़ी धीरे- धीरे सभी डांस सीखता गया। अरुणा उसकी बहन जो हमेशा उसे उदास देखा करती थी, उसने ध्यान दिया कि आरव उदास अब भी है, मगर कहीं न कहीं उसने अपनी उदासी को छिपाना सीख लिया । अब उसे उसका भाई समझदार लगने लगा है । और हाँ! अब वो शादी कर सकती है यही सोचकर उसने ऋषभ को शादी की तारीख निकालने के लिए कह दिया। और ठीक छह महीने बाद अरुणा की शादी तय हो गई । “वैसे एक बताओ आरव तुम शास्त्री जी से डांस क्यों सीखते हों? तुम अपना पिछली डांस अकादमी भी तो ज्वाइन कर सकते थें ?” अरुणा ने आरव को अपनी शादी का कार्ड दिखाते हुए कहा । “मैं वहाँ नहीं जा सकता मुझे हरवक्त वहाँ रिदा नज़र आएँगी और मैं फिर पश्चात्ताप की अग्नि में जल जलकर खुद को कुछ कर लूंगा और तुम्हे तो पता है स्वार्थी तो मैं शुरू से ही था ।“ आरव ने वेडिंग कार्ड वापिस थमाते हुए कहा ।

“मेरा भाई स्वार्थी नहीं बल्कि नादान यही बस वो कई बार चीज़ो को वैसे नहीं लेता जैसे उसे लेनी चाहिए और थोड़ा जल्दी होंसला छोड़ देता है। “ अरुणा ने आरव का गाल खींचते हुए कहा। “वाह ! मेरी बहन किसी की खामियाँ भी बता दी जाएँ और उसे बुरा भी न लगे यह कोई तुमसे सीखे । वाह !” आरव ने सोफे पर बैठते हुए कहा । “क्यों नहीं आखिर मैं एक पत्रकार हूँ, यहीं करना मेरा काम भी है और कला भी अरुणा ने इतराते हुए कहा।  ओके मैडम अब आप दुल्हन भी बनने वाली है इसलिए थोड़ा पाककला भी सीख लीजिये या फिर बातों की ही रोटी खिलाऊँगी?” आरव ने अरुणा को छेड़ते हुए कहा । “ऋषभ को मैं ऐसे ही पसंद हो बाय द वे।  अच्छा सुनो। देखो मुझे शॉपिंग करनी है इसके लिए तुम्हे मेरे साथ दिल्ली चलना होगा।“ अरुणा ने आदेश देते हुए आरव को कहा । “मैं क्या करूँगा वहाँ चलकर ऋषभ को क्यों नहीं ले जाती आरव अपना मोबाइल देखते हुए बोला।  मेरे मायके में सिर्फ तुम हों और हाँ मैं, तुम, ऋषभ और उसकी बहन अनु भी जा रही है। आज माँ-पापा होते तो तुम्हे कौन पूछता। “ अरुणा ने उदास होने का नाटक किया । “ठीक है, चलो ज़्यादा इमोशनल मत हों। “ आरव ने बाहर जाते हुए कहा।


“थैंक्यू ब्रदर। “ अरुणा ज़ोर से बोली । ‘’आप बड़ी जल्दी चले गए माँ -पापा।  मैं बीस साल और आरव 18 साल के थे, जब आप गए।  आज मैं अठाइस की हो गयी हूँ और आरव पच्चीस का होने वाला है। इतना वक़्त गुज़र गया। मगर हम दोनों आज भी आपको बहुत याद करते हैं, उस दिन काश ! वो एक्सीडेंट न हुआ होता तो आप हमारे बीच में होते और मेरी शादी की तैयारी कर रहे होते। देखो माँ! आज हम दोनों भाई-बहन खुद ही दिल्ली जाकर सब शादी के काम कर रहे हैं” अरुणा ने माँ-बाबा' की दीवार पर लगी फोटो को देखकर अपने आँसू पोंछते हुए कहा ।


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आरव, अरुणा, ऋषभ और अनु सभी कमलानगर मार्किट में शॉपिंग कर रहे थें। सभी दुकानदार से कपड़े खरीदने का भाव-मोल कर शोर मचा रहे थें। आरव से रहा नहीं गया और वो बाहर आ गया। उसने मार्किट का नज़ारा देखा, लड़कियाँ फेरीवाले से कपड़े ले रही थीं सब एक झुण्ड में खड़ी हो तितलियो से कम नहीं लग रही थीं । वही जोड़े गोलगप्पे-चाट पकौड़ी एक दूसरे के मुँह में डाल रहे थें और खुश हो रहे थे। तभी उसकी नज़र सामने से आती बाइक पर पड़ी जिस पर से पीहू संभलकर उतर रही थी, उसका हाथ सोनू के काँधे पर था, वह अपने टेढ़े-मेढ़े पैरो को समेटकर बाइक से उतरी।  और सोनू ने उसे उसका डंडा थमाया जिसके सहारे से वो खड़ी होती थीं, सड़क पर खड़ी हो, इधर-उधर के फेरीवालों को देखने लग गई। सफ़ेद सूट और गुलाबी दुप्पट्टा और कमर तक बाल खोले वे बड़ी सुन्दर दिखाई दे रही थी उसने एक हाथ बालो में लगाया और झुमके खरीदने फेरीवाले की दुकान पर रुक गई। झुमकी को देखकर ज़ोर से हँसी और सोनू को भी दिखाने लग गई।  ये सब आरव बड़े गौर से देख रहा था। उसने पीहू के चेहरे को देखा गेहुँआ रंग मगर गज़ब का आकर्षण फिर गोल-गोल आँखें और छोटी सी नाक और माथे पर काली सी गोलाकार की बिंदी बड़ी ही मनोरम लग रहीं थीं। “सच में ये झुमकी तो इस पर बड़ी अच्छी लगेगी”आरव ने मन ही मन सोचा। फ़िर जब नज़र उसके पैरो पर गई तो उसे हद से ज़्यादा बुरा लगा।  पैर टेढ़े-मेढ़े थें उँगलियाँ टेढ़ी लग तो रही थी पर पूरी तरह नहीं थीं। लग रहा था कि होंसले चलने के, इन पैरों की कमज़ोरी से ज़्यादा थें। पूरे तन्मय और विश्वास के साथ चले रहीं थीं।


“पहले किताबें ले ले यार ! देर हो जाएगी, तेरे पापा अभी कर फ़ोन देंगे। ये झुमकियाँ बाद में ले लियो।“ सोनू ने बाइक की ग्रेस देकर कहा। “मगर पीहू अब चूड़ियाँ लेने बैठ गई। बहुत कहने के बाद उसने किताबें ख़रीदी। जैसे ही वह सड़क पार करने के लिए मुड़ी और थोड़ी सी आगे बड़ी दो मनचले स्टाइल मारने के चक्कर में ज़ोर से बाइक लाये और डर के मारे पीहू की क़िताबें गिर गयी और सोनू ज़ोर से चिल्लाया पीकॉक! और भागते हुए उसके पास पहुँच ही रहा था कि आरव पहुंच गया । और उसने फ़टाफ़ट पीहू की किताबें उठाई एक मिनट के लिए दोनों की नज़रें मिली तभी सोनू ने आरव से किताबें लेते हुए उसे घूरते हुए देखा और एकदम पुलिस आ गयी, शोर मच गया था। "चलो ट्रैफिक जाम कर रखा है", डंडे बरसाने शुरू किये। और वह पीहू को पकड़ बाइक पर बिठा देता है, “पीकॉक कबसे कह रहा था तुझे, जल्दी ले लें किताबें। “ यह कहते हुए उसने बाइक चला दी और एक किताब आरव के हाथ में रह गयी और वह जाती हुई पीहू को देखता रह गया, फिर उसने किताब को देखा और उसके मुँह से निकला “पीकॉक पीकॉक” और चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ गयी।


आरव ने किताब को गौर से देखा डांस ही डांस से सम्बंधित किताब। “लगता है, इन्हें भी डांस करना है।“ “आरव कहाँ थे तुम? हमने सारी ड्रेसेस खरीद ली और तुम यहाँ खड़े हों ? “ अरुणा ने आरव को खींचते हुए कहा। सब के सब वहीं के रेस्टॉरंट में खाना खाने बैठ गए। सभी बातें कर कर रहे थें “अरे ! यहाँ भी डांस तुम भी न” अनु ने कहा । बस ऐसे ही अच्छी लगी आरव ने कॉफ़ी पीते हुए कहा, सोनू और पीहू भी कहीं रुककर चाट-पकौड़ी खा रहे थें। “वो लड़का कौन था, जो किताबें पकड़कर खड़ा था, बड़ी प्यार भरी नज़रों से तुझे देख रहा था। तेरी एक किताब भी उसके पास रह गई “ सोनू ने छेड़ते हुए पूछा।  “मुझे क्या पता ! पता नहीं कहाँ से आ गया था, शायद मुझ पर तरस आ गया हों। पीहू ने चाट खाते हुए कहा। “मुझे नहीं लगता, वैसे भी आज तू हीरोइन लग रही है। हो सकता है, वो भी कोई हीरो हों। “सोनू ने पीहू की झुमकी को हिलाते हुए कहा । “हीरो! क्यों नहीं , अब मेरी किताब वो पड़ेगा। पीहू की आवाज़ में खनक थीं। सोनू पीहू को बाइक पर बैठा उसके घर के पास पहुँच गया।


“नमस्ते नानी ! सोनू ने हाथ जोड़कर कहा।“ “अरे ! बड़ा संस्कारी बना फिर रहा है, अंग्रेजी भूल गया है क्या ? हैल्लो-हाई बोलाकर सोनूवीर। “ नानी ने चप्पल मारते हुए कहा। “नानी !!!!!” सोनू चिल्लाने लगा। “चल छुछन्दर अंदर चल कुछ खा पी ले। “ कहकर नानी अंदर चली गई।  पीहू लगातार हँसी जा रही थीं। “तुझे बड़ी हँसी आ रही है, पीकॉक। आज तो वैसा भी तेरे सपनों का राजकुमार मिल गया है। ग्रीन शर्ट और ब्लैक जीन्स में अच्छा था प्यार हो गया होगा है तुझसे पहली नज़र में” सोनू ने एक बार फ़िर छेड़ते हुए कहा । “मैं ऐसे फालतू के सपने नहीं देखती मेरे लिए तो कोई सरकारी नौकरी का लालची या कोई मेरे जैसे हीं आएगा। “ पीहू ने थोड़ा खीजते हुए कहा। “बी पॉजिटिव यार ! सोनू ने पीहू के बाल छेड़ते हुए कहा। क्यों तू इतने सालों से मेरे साथ है तुझे हुआ मुझसे प्यार ?”तू भी तो किसी परी पर ही लट्टू हो गया। “ पीहू सोनू की आँखों में देखते हुए कहा।


पीहू तू न! क्या लेकर बैठ गई। सोनू ने बाइक घुमाई और एक नज़र उसके चेहरे को देखाबाय ! पीकॉक। ।।।। और फिर उसकी गली से निकल गया । “जवाब नहीं दिया गधा कहीं का, मुझे पता है, नहीं हुआ होगा। पीहू ने धीरे से खुद को ही सुनाते हुए कहा।


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कुछ दिन दिल्ली में शॉपिंग करने के बाद दिल्ली घूमना शुरू किया।  ऐसा नहीं है कि आरव ने पहली बार दिल्ली देखी हूँ । एक बार रिदा और आरव दिल्ली आ चुके थें और दिल्ली में हौजख़ास विलेज पहुँचने पर कैसे रिदा ने उसके साथ अपनी एक वीडियो बनाई थीं जिसे उसने नाम दिया था "यादें तेरी मेरी " वो एक- एक पल उसके सामने घूम रहा था। रिदा उसे इतनी याद आने लगी वो आँसू, वो पछतावा जिसकी वजह से उसका खुले में भी दम घुटने लगा। अरुणा ने उसके बदलते चेहरे के हाव-भाव को देखकर समझ लिया कि उसका भाई फिर अतीत के भँवर में फँस गया है। “चलो अब बहुत घूम लिया, घर चलते है, अरुणा ने ऋषभ को कहा। फ़िर सब लोग घर आ गए और वापिस पालमपुर जाने की तैयारी करने लगें। जाते हुए बस में बैठा आरव सोच रहा था कि क्या ज़िन्दगीभर वह इसी पछतावे में जीता रहेगा और तड़प-तड़पकर मरता रहेगा। तभी उसके अंतर्मन से आवाज़ आई “हाँ!! ऐसे ही रहने होगा”  आवाज़ को सुन वह और उदास हो गया।  बस पालमपुर पहुँच चुकी थीं, सबने एक दूसरे को मुस्कुराते हुए विदा किया तथा जाते हुए ऋषभ ने अरुणा को गले लगाया दोनों की आँखों में भावी जीवन के नए सपने सच होने को तैयार बैठे थें।

वहाँ पीहू का सपना भी सच होने के लिए मचल रहा था, पर पीहू अपने बाबा को नाराज़ नहीं कर सकती थीं, वह उनके सपने को भी सच करने का प्रयास करना चाहती थीं। उसने पूरी मेहनत से पढ़ाई की और पेपर देना शुरू किया। दिन बीतते गए और पीहू की तैयारी भी भरी-पूरी चलती गई। “देखना इस बार मेरी बेटी ज़रूर पेपर क्लियर करेंगी और फ़िर मैं भी गर्व से कह सकूँगा कि देखो ! शिवप्रसाद की बेटी सरकारी नौकरी में है। “ बाबा ने फ़िर अपनी बची-कुची मूँछो को ताव देते हुए कहा । लोग यह भी कहेंगे झाड़ू वाले की बेटी सरकारी नौकरी में लग गई” नानी ने मज़ाक उड़ाया। अम्मा अब हम झाड़ू नहीं लगाते केवल सुपरवाइज़ करते हैं, कहकर शिवप्रसाद थैला उठा बाहर निकल गए। "बड़ा आया सुपवाइज़र" नानी चिढ़कर बोली। पीहू होशियार निकली और दूसरा पेपर देने पर पास हो गई।  बाबा ने तो पूरे शकरपुर बस्ती में लड्डू बटवाये। सोनू भी पीहू के पास पहुँच गया।  “और पीहू तूने तो मुझे डंडे पड़वा दिए यार ! मेरा बाप आज सुबह से मेरे पीछे पड़ा है कि देखो शिवप्रसाद की लड़की सरकारी नौकर बन गयी और यह महाराज़े अभी तक मेरा दिया खा रहा है और कॉलेज जाकर आवारागर्दी में भी कोई कमी नहीं आई हैं। “ सोनू ने मुँह फुलाकर बोला। सुनकर नानी और पीहू ज़ोर से हँसने लगी। “तो क्या हुआ ? तेरी कौन सी उम्र निकली जा रही है कर लियो नौकरी”।  नानी ने उसे नाश्ते की प्लेट थमाते हुए कहा। नानी में बिज़नेस करूँगा वो भी अलग -अलग बाइक्स का।  “देखना ! मेरा एक दिन खुद का मोटर्स का शोरूम होगा, मैं नहीं सुन सकता किसी की। सोनू ने फटाफट नाश्ता की प्लेट खाली की।


नानी के जाते ही पीहू सोनू को छत पर ले गई।  “क्या ! बात है पीकॉक छत पर ? कोई प्राइवेट बात करनी है क्या ?” सोनू ने बड़ी उत्सुकता से पूछा। “ऐसा ही समझ लें।" पीहू ने कहा। “मैंने डांस वाली किताबों में किसी के बारे में पड़ा जो मुझ जैसे को डांस सीखा सकते है, मैं बाबा से छिपकर डांस सीखना चाहती हूँ। बता मेरी मदद करेंगा। “ पीहू ने सोनू की आँखों में देखकर पूछा। “देख पीकॉक अगर बाइक पर आने-जाने या तेरे बाप से छिपाने की बात है तो उसके लिए छत पर लाने की ज़रूरत नहीं थीं।“ सोनू ने हँसकर कहा।  “तुझे हर वक़्त मज़ाक ही क्यों सूझता है सोनवीर?” पीकॉक ने भी चिढ़कर कहा। अब तो बिलकुल मदद नहीं करूँगा।“ पीहू छत पर से जाते हुए कहा।  “यार ! सुन तो सही।  तू सुनता भी नहीं है मेरी बात।  प्लीज़ एक बार सुन लें। “ पीहू अब सचमुच गंभीर थीं । सोनू रुका और ध्यान से सुनता रहा।  “डांस सीखने के लिए वही रहना होगा।  और तो और तुझे मेरे साथ चलना होगा। सिर्फ़ छोड़ने के लिए।  पीकॉक सोनू का चेहरा पढ़ते हुए बोली।  फ़िर तू अपने बाप से क्या कहेगी ? कहाँ जा रही है ? क्यों जा रही है ? और मेरी कब्र इसी मोहल्ले में खुदवाने का पूरा इंतज़ाम कर रखा है और फिर उस कब्र पर मेरी परी आएगी फूल चढ़ाने।" सोनू ने बौखलाकर कहा। पीहू को हँसी आ गई।  “कुछ नहीं होगा भरोसा कर मुझ पर, पहले पूरा प्लान सुन ले !” पीहू ने सोनू का हाथ पकड़कर कहा।


सुना अपना पूरा प्लान सोनू बोला। “मैं घर में कहूँगी नौकरी से पहले ट्रेनिंग है और तू कॉलेज की ट्रिप बता दियो। फिर मुझे छोड़ दो-चार दिन में वापिस । देख कितना आसान हैं,” पीहू ने मुस्कुराकर कहा। “जितना लग रहा है न उतना आसान नहीं है। समझी! बहुत गड़बड़ है । तुझे डर नहीं लगता” पीकॉक सोनू ने तसल्ली करनी चाही। लगता तो है, मगर मैं इस डर के साथ नहीं जीना चाहती कि मैं अपंग थीं इसलिए डांस नहीं कर पाई । इस ज़िन्दगी में अगर यह सपना पूरा नहीं किया तो क्या किया सोनू । क्या सपने देखना का हक़ सिर्फ सक्षम लोगों को ही है हम क्या सिर्फ हैंडीकैप कोटे से सरकारी नौकरी लेते रहेंगे, मुझे ऐसे मत देख, मुझे पता है सब यही कह रहे है कि ये नौकरी मुझे इसलिए मिली है, और तेरे पापा ने भी यही कहा होगा। “पीहू का बोलते वक़्त गला भर आया। “मेरे बाप की तो बात ही अलग है, कब चलना है ?” सोनू ने पूछा। बस दो दिन बाद कहकर पीहू ने सोनू को गले लगा लिया। और सोनू की आँखों की चमक देख सोनू को राहत महसूस हुई।


“दो दिन बाद अपनी नानी और बाबा को नौकरी की ट्रेनिंग का बहाना बना पीहू जाने के लिए तैयार हो गई । शिव प्रसाद इतने खुश थें कि उन्होंने ज़्यादा नहीं पूछा बस उन्हें इस बात की तसल्ली थीं कि पीहू के साथ दो लोग और भी ट्रेनिंग के लिए जा रहे हैं। और नानी शायद कुछ समझ रही थीं मगर पीहू की ख़ुशी देख बोली कुछ नहीं। वहाँ सोनू का बाप मदारीलाल पहले तो मना करता रहा मगर माँ उमा देवी की ज़िद के आगे हार गया और बस अड्डे जा पहुँचा। जहाँ पीहू पहले ही खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थी, अपने बाबा को उसने पहले ही वापिस भेज दिया था। “तू ही मेरा सच्चा दोस्त और पहला प्यार है। “ पीहू ने सोनू को देख! मज़ाकिया लहज़े में कहा। “हाँ इतना प्यार नहीं करता कि तेरे साथ रहूँगा बस दो-तीन दिन में छोड़कर आ जाऊँगा पीकॉक।“ सोनू बस में पीहू के साथ बैठता हुआ बोला। “चल थोड़ा प्यार तो करता है वहीं काफ़ी है। “ पीहू ने जवाब दिया और बस चल पड़ी।


 Peacock-8

 

 चारों तरफ़ हरियाली और पहाड़ों के बीच डूबते सूरज के श्रृंगार से चमचमाती, यह धरती पालमपुर बड़ी ही सुन्दर प्रतीत हो रही थीं।  हालाँकि जन्नत कश्मीर है, मगर इस जगह को देखकर कोई जन्नत कह दें तो कुछ गलत नहीं होगा।  परी को भी यहाँ लाऊंगा।  अब जाना कहा हैं ? आ तो गए, हम यहाँ खूबसूरत वादियों में। ‘पीकॉक’ अब बता आगे कहाँ चले?? सोनू ने पीकॉक को देखते हुए कहा। चारों तरफ़ हरियाली और पहाड़ों के बीच डूबते सूरज के श्रृंगार से चमचमाती, यह धरती पालमपुर बड़ी ही सुन्दर प्रतीत हो रही थीं।  हालाँकि जन्नत कश्मीर है। मगर इस जगह को देखकर कोई जन्नत कह दें तो कुछ गलत नहीं होगा। “परी को भी यहाँ लाऊंगा।  अब जाना कहा हैं ? आ तो गए, हम यहॉ खूबसूरत वादियों में। पीकॉक अब बता आगे कहाँ चले?” सोनू ने पीकॉक को देखते हुए कहा। “बताती हूँ कि कहाँ चलना है,” दोनों एक अलग दिशा की तरफ चले गए।

आज आरव के घर हर दिशा में रौनक थीं। उसकी बहन अरुणा की शादी दो दिन बाद होनी थीं। चहल-पहल के साथ हँसी मज़ाक भी चल रहा था, उसके रिश्तेदार आ चुके थें, उसके मामा राकेश चड्डा ने सारा काम संभाल रखा था । मामी रेनू भी विवाह से जुड़ी हर रस्म निभा रहीं थीं । आख़िर कन्यादान उन्होंने ही करना था । “मामी मैं ज़रा थोड़ी देर के लिए कैफ़े हो आओ। फिर आता हूँ।“ कहकर आरव कैफ़े चला गया। कैफ़े को उसने वहाँ काम करने वाले श्यामू के हवाले कर रखा था। दो लोग और कैफ़े में काम करते थे, मगर वो घर में मदद करा रहे थें। जैसे ही वहाँ पहुँचा तो देखकर हैरान हो गया कि पीहू वहाँ सोनू के साथ बैठी बातें कर रही हैं। आज गुलाबी कुर्ती और नीली जीन्स के साथ उसने वही झुमकी पहन रखी थीं और बालों को एक रबर से बंद कर रखा था, उसका मन था कि वह कहे कि इन्हें इस कैद से आज़ाद कर दो। कुछ सोचकर वह उनके पास चला गया । “कुछ चाहिए आपको, यहाँ खाने की भी सुविधा है” आरव ने पूछा। पीहू और सोनू दोनों उसको देखकर पहचान गए। “नहीं कुछ नहीं खाना खा लिया है और अब चलेंगे, काफ़ी अच्छी किताबें रखी है आपने। पीहू ने एक किताब की तरफ़ इशारा करके कहा। “आप यहाँ भी ?” सोनू ने पूछा, “जी यह मेरा कैफ़े है। “ आरव ने सोनू को उत्तर दिया। “ओह ! ठीक है, चल पीकॉक चलते हैं। “


“वाह ! यह भी अच्छा इत्तफाक है, सोनू ने पीहू को देखकर कहा। दोनों एक दरवाज़े के आगे रुक गए। “शास्त्रीजी, यही रहते हैं माली से पीहू ने पूछा । जी रहते तो यहीं है पर अभी नहीं है, पिछले दिनों उनकी तबीयत ज्यादा ख़राब हो गयी तो उनकी बिटियाँ उन्हें अपने घर मुंबई ले गई। “ माली ने उतर दिया। “वो डांस सिखाते हैं न? “पीहू ने फिर पूछा। “हाँ सिखाते है बिटियाँ हम तो तुम्हे देखते ही समझ गए थें कि तुम डांस सीखने आई हों। “ माली ने पीहू के पैर की तरफ़ देखकर बोला। “कब तक आएंगे?” सोनू ने इस दफ़ा पूछा। “सभी सीखने वाले यही पूछते है, आख़िर वही है पूरे हिमाचल में जो विकलांग को भी डांस सिखाते है, वैसे सभी तरह के लोग आते है। “माली ने कहा। “आप बताएँगे, वो कब तक आएंगे?” इस दफ़ा सोनू के चेहरे पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था। “कुछ नहीं कह सकते, कल बात हुई थी।  शास्त्रीजी की तबीयत में ज्यादा सुधार नहीं है। अगली बार फ़ोन करके आना।“ माली ने पोधों को ठीक करते हुए कहा । सोनू ने फ़ोन नंबर ले लिया और दोनों फिर वही किसी सड़क के किनारे बैठ गए। “अब क्या करेंगे सोनू ?” “करना क्या है? किसी धर्मंशाला में रहते है, वैसे भी रात तो हो चुकी है। कल थोड़ा घूमते है फिर वापिस और क्या पीकॉक, शास्त्रीजी तो नहीं मिले।  अब फिर कभी देखियो। “ सोनू ने सामने धर्मशाला को देखते हुए कहा। “बड़ी मुश्किल से तो सब सेट किया था फिर वहीं वापिस ज़ीरो पर आ गए। “ पीहू ने उदास होकर कहा। “ छोड़ न यार ! शास्त्रीजी ज़िंदा बचे तो फिर कोई प्लान बनाएंगे। “ सोनू फ़िर मज़ाक के मूड में था। पीहू ने सोनू को घूरा पर कुछ बोली नहीं।


सोनू तो आराम से धर्मशाला आकर सो गया । पर पीहू को नींद नहीं आई । वह अपने डंडे को पकड़ उदास आँखें ले वहीं धर्मशाला के बाहर रखी बैंच पर आकर बैठ गयी। रात को यह जगह शांत के साथ और भी सुन्दर लग रही है। पीहू ने मन ही मन सोचा क्या मैं बैठ सकता हूँ नज़रें घुमाई तो देखा कि आरव सामने खड़ा था । इससे पहले वह कुछ बोले, आरव बैठ आया । “आप दिल्ली से यहाँ घूमने आयी है ?” आरव ने पूछा। “आप हमारा पीछा कर रहे हैं ?” “जी नहीं, मेरा घर पास में है और छत से आपको देखा तो यहाँ आ गया।“ आरव ने जवाब दिया। “आप सोए नहीं अभी तक?” पीहू का सवाल था । “जी नहीं, कल मेरी बहन की शादी है तो नींद वैसे भी नहीं आ रही थी, अब मेरे सवाल का ज़वाब दे सकती है ?” आरव ने अपना सवाल दोहराया । “जी मैं डांस सीखने आई थीं पर शास्त्री जी यहाँ नहीं है और बस कल शाम तक वापिस चले जायेंगे। इतना जवाब काफी है,” पीहू ने उत्तर दिया। आरव मुस्कुराया, जी। शास्त्री जी को पिछले हफ्ते सीने में दर्द उठा था।  फिर बस तभी वे चले गए मैं भी यह कोई सात-आठ महीने से उन्ही से डांस सीख रहा था। अब तो उन्हें गुरु दक्षिणा देनी है। “ आरव ने बताया।


“आप खुशकिस्मत है जो यही रहते है एक मुझे देखो एक तो मेरे पैर, वैसे ही ऊपर से घर से इतनी दूर आकर खाली लौटना बड़ा बुरा लग रहा है।“ पीहू बोलते हुए उदास हो गई। “आप परेशां मत हो, शास्त्रीजी जल्दी वापिस आएंगे वो नहीं जा सकते। इतनी जल्दी बहुत मज़बूत है वो।“ आरव ने कहा। “आप नहीं समझेंगे कि मैंने एक ऐसा सपना देख लिया है जो किसी अपाहिज़ को नहीं देखना चाहिए” पीहू ने धीरे से कहा। “आप निराश मत हो सपने दिल से देखे जाए तो ज़रूर पूरे होते हैं,” आरव ने पीहू के पैरों की तरफ देखकर कहा।  “अब रात बहुत हो गयी है, मैं चलती हूँ। पीहू उठकर बोली। आरव उसे जाते हुए देख रहा था।


Peacock-9

 

पीहू आरव की ज़िन्दगी का वो पन्ना खोल गयी है जिसे आरव पढ़ने से हमेशा से ही डरता है और जब -जब पढ़ता है, यह डर उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई पड़ता है। उसका यह कहना कि "मैंने जो सपना देख लिया है वो अपाहिज़ को नहीं देखना चाहिए। " आरव बार-बार इसी बात को सोच रहा था और ज़िन्दगी का वो पन्ना खुलता जा रहा था :: रिदा उसके सामने वो और रिदा घूम रहे, इन्ही पहाड़ों में।  “आरव अगर हम पालमपुर की महाडांस प्रतियोगिता जीत गए वो दिन दूर नहीं कि हम राष्ट्रीय फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच जायेंगे और अपने सपने साकार करेंगे”। रिदा ने आरव के कंधे पर सिर रखकर कहा। “हाँ मेरी जान ! फ़िर मुझे इस कैफ़े में भी नहीं बैठना पड़ेगा।“ आरव ने रिदा के माथे को चूमते हुए कहा। “हम थोड़े दिनों में फाइनल में पहुँच जायेगे और फिर वहाँ से मंजिल और क़रीब नज़र आने लगेगीं। “ रिदा ने आरव का हाथ थामते हुए कहा। तभी अचानक बारिश शुरू हो गई और रिदा बारिश में नाचने लगी। उसने आरव को भी खींच लिया और आरव भी उसके साथ हर पल का आंनद उठाने लगा। “चलो अब चलते है, बहुत भीग गई हों, दीदी घर पर नहीं है, आराम से कॉफी पिएंगे और तुम कपड़े भी बदल लों। “ दोनों घर पहुंच गए और रिदा कपड़े बदलने चली गई।  आरव ने कॉफी बनाई और गाने लगा दिए । रिदा नीली टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन बाहर आई। और आरव उसे निहारने लगा।  “आरव ऐसे मुझे देखते रहोगे तो कॉफी तो ठंडी हो जाएगी। “ रिदा ने उसके हाथ से कॉफी लेते हुए कहा । तुम बारिश में भीगने के बाद और भी खूबसूरत नज़र आ रही हों। “ यह कहते हुए आरव ने उसके गाल चूम लिए। रिदा शरमा गई, उसने बड़ी ही मासूम नज़रों से आरव को देखा और उसके होंठ चूम लिए। धीरे-धीरे दोनों बेहद करीब आ गए कॉफी टेबल पर ही रखी रह गई और दोनों आरव के कमरे में जाकर इस सुहाने हुए मौसम का आंनद देह-सुख से लेने लगे। “अब मुझे घर छोड़ दो, बहुत देर हो गयी है।“ रिदा ने आरव के सीने पर सिर रखकर कहा। कल तुम मुझे लेने मत आना मैं अपने आप डांस रिहर्सल में पहुँच जाऊँगी, मुझे अपनी सहेली रशिम से भी मिलना है।“ “ठीक है, माय लव! आरव ने रिदा के होंठों पर अपने होठों पर रख दिए।


अगले दिन रशिम और रिदा दोनों साइकिल पर से आ रहे थें। तभी रिदा को पहाड़ी के पास खिले फूल को तोड़ने का मन किया उसने साइकिल को वहीं गिराया और पहाड़ी के नीचे फूल था, रिदा ने लेटकर फूल तोड़ लिए। “देख! यह फूल बारिशो के बाद खिलते है। आज आरव को दूँगी।“ रिदा ने फूल को चूमते हुए कहा। “चल साइकिल पकड़ और चल” रशिम ने कहा। रिदा अभी भी फूल को देख रही थी उसने वहीं गिरी साइकिल उठाई पर उसने ध्यान नहीं दिया और उसका लम्बा कुरता साइकिल में अड़ा और वह इससे पहले संभल पाती, साइकिल का बैलेंस ख़राब हुआ और साइकिल लुढ़कती गई और वो भी साइकिल के साथ घिसटती हुई नीचे गिर गई। ज़ोर की चीखें और फ़िर सन्नाटा। आरव भागता हुआ अस्पताल पहुँचा जहाँ रिदा के माँ -बाप, भाई-बहन और रशिम सब मौजूद थें। लगातार दो दिन बाद रिदा को होश आया सभी को संतुष्टि हुई मगर रिदा का बुरा हाल था क्योंकि वे एक पैर से लाचार हो चुकी थीं और चलने के लिए बैसाखी उसका इंतज़ार कर रही थीं।


आरव, अरुणा रशिम, कई दोस्त और रिदा के माँ -बाप रिदा को समझाते रहें, उसे होंसला देते रहे । रिदा अस्पताल से घर आ गई । आरव ने भी डांस रिहर्सल के लिए किसी और को पार्टनर चुन लिया। और फाइनल में जा पहुँचा अब वो रिदा से कम ही मिलता और मिलता तो भी कुछ मिनटों के लिए।  आरव में आये बदलाव को रिदा ने महसूस किया। जब एक रात नेहा उसकी नई डांस पार्टनर और आरव हँसते हुए डांस अकादमी से लौट तरहे थें, तभी उन्होंने रिदा को आरव के घर के बाहर बैठे हुए देखा। “तुम चलो नेहा, कल मिलते है,” आरव ने रिदा को देखते हुए कहा।  “और बताओ रिदा तुम यहाँ कैसे? मुझे कॉल कर देती मैं आ जाता”।  आरव ने पूछा।  “तुम्हारे पास वक़्त नहीं है आजकल तो मैं ही तुमसे बात करने आ गई। मैं शास्त्रीजी से डांस सीखना चाहती हूँ , और मैं चाह रही थी कि तुम मेरा साथ दो ।“ रिदा ने आरव का हाथ पकड़ते हुए कहा । “मैं ? मैं कैसे दूंगा वो तो विकलांग लोगों को ही डांस सीखाते है और मैं तो बिलकुल ठीक हूँ,” आरव बोलते समय थोड़ा झेंप गया। वो हर किसी को डांस सीखाते हैं, तुम मेरे पार्टनर बन सकते हों।  बोलते समय रिदा की आँखों में उम्मीद साफ़ झलक रही थीं। “देखो ! रिदा वो प्राचीन डांस सिखाते हैं और मैं वेस्टर्न ही सीखना चाहता हूँ इसलिए मुझे नहीं लगता मैं तुम्हारी मदद कर पाऊँगा” आरव ने हाथ छुड़ाते हुए कहा । “पर आरव मेरा सपना है कि मैं डांस करो तुम तो सब जानते हूँ और मुझसे प्यार भी करते हों” रिदा ने आरव की आँखों में अपना ज़वाब ढूंढने की कोशिश की। “सारे सपने सच नहीं होते, रिदा और तुम तो अब.........” बोलते-बोलते आरव रुक गया । “हाँ मैं अपाहिज़ हो गई है और मुझे सपने देखने का कोई अधिकार नहीं रहा। ठीक है, तुम नहीं दे सकते मत दो साथ मैं तुम्हें इसके लिए कभी माफ़ नहीं करुँगी। “ यह कहकर रिदा रोते -रोते चली गई । और आरव ने उसे न रोकना था न रोका।


घर में घुसते ही अरुणा ने पूछा, “रिदा आई थी न ?” ”हां आई थी, शास्त्री जी से डांस सीखना चाहती है चाह रही थी कि मैं साथ दूँ ।“ आरव ने ज़वाब दिया। “और तुमने मना कर दिया”।  अरुणा बीच में ही बोल पड़ी “तो और क्या करता दीदी मैं ? अब मैं कल डांस में जीत जाऊँगा फिर आगे बढूंगा या वही ठहरकर संघर्ष करूँगा अब पहले जैसा कुछ मुमकिन नहीं है दीदी। “ आरव ने खीझते हुए कहा । “क्या प्यार हमदर्दी सब खत्म हो गई ?” अरुणा ने फिर पूछा। “प्यार करता हूँ दीदी और हमदर्दी भी दिखाता हूँ मगर अब चीज़े अलग है और रिदा को समझना होगा। “ आरव धम्म से सोफे पर बैठता हुआ बोला। “हमदर्दी दिखाई नहीं, करी जाती है आरव। वो अभी बहुत टूटी हुई है। आज तुम अगर हाँ कह देते और उसका साथ दे देते तो उसे ज़िन्दगी में कोई मकसद मिल जाता। फिर बाद में जब वक़्त उसे संभाल लेता तो शायद ज़िन्दगी की सच्चाई उसे समझ आती।“ अरुणा ने आरव के कंधे पर हाथ रखकर कहा। “जो भी हो, मैं सोने जा रहा हूँ। कल डांस का फाइनल है गुडनाइट दीदी।“ आरव अरुणा को देखे बिना अपने कमरे में चला गया।


अगले दिन डांस के फाइनल थें। आरव के सभी दोस्त आये थें और स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था अख़बार वाले भी आये हुए थें।  आरव और नेहा डांस परफॉरमेंस दे चुके थें।  जज ने रिजल्ट बताया कि आरव और नेहा ही विजेता है। दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया। और अपनी ट्रॉफी को लेकर जब आरव ने स्टेडियम की भीड़ की तरफ़ देखा तो अरुणा दीदी की आँखों में आँसू दिखें वह बड़ी बुरी तरह रो रही थीं और आरव स्टेज से नीचे उतर, उनसे गले मिला और शोर में उसे कुछ सुनाई नहीं दिया। जैसे ही दोनों बाहर निकले। दूसरी तरफ़ रिदा को लोग चार काँधे में उठाकर ले जा रहे थें और आरव भागता हुआ वहाँ पहुँचा। भीड़ रुक गई। रिदा का पार्थिव शरीर अर्थी पर सकूँ से रखा हुआ था। रिदा को देख उसके हाथ की ट्रॉफी नीचे गिर गई। राम! राम! सत्य! बोल लोग आगे बढ़ गए और आरव रूठी हुई रिदा को जाते हुए देख रहा था वह समझ चुका था कि वह आज जीत के भी हार चुका है । तभी रिदा की माँ आरव को रोते हुए पूछ रही थीं कि “बेटा कल क्या रिदा मिली थी तुझसे ? कोई बात हुई थी क्या ? रात को उसने दवाई का ओवरडोज़ ले अपनी जान ले ली बेटा हाय ! मेरी बच्ची ! हाय ! मेरी बच्ची। “ आरव के मुँह से ज़ोर से निकला ‘’’’रिदददददददा????’’’ “भाई आप ठीक तो है? ममेरे भाई रोहन ने पूछा। तब उसे पता चला कि वो अपने कमरे में है।


Peacock-10

आंसुओं से भरा आरव रोहन के आने से जैसे होश में आया हूँ । “आप बाहर किससे बातें कर रहें थें। वो लड़की कौन थीं भाई ? रोहन ने फिर पूछा। “बस जानकर थीं, जाओं जाकर सो जाओ।“ आरव ने दरवाज़े की तरफ़ देखकर बोला।  जिससे रोहन समझ गया कि आरव नहीं चाहता रोहन कमरे में रहें। बची-कुची रात आरव ने करवटें बदलकर गुज़ारी । सुबह शादी वाले घर की भागदौड़ और फिर बारात का आगमन। ऋषभ बहुत खुश नज़र आ रहा था । एक हैंडसम दूल्हा और प्यारी दुल्हन अरुणा दोनों ही एक दूसरे के लिए बने लग रहे थें। सभी रीति-रिवाजों के साथ शादी संपन्न हुई । कन्यादान मामा-मामी ने किया। भीगी पलकों से सभी ने अरुणा को विदा किया। अरुणा अपने माँ-बाप को याद कर फिर रो पड़ी। “ज्यादा मत रो दीदी, यही आपका घर है। पास मे जब चाहे आ जाना ।“ आरव ने बहन को गले लगाते हुए कहा। “अपना ख्याल रखना आरव ज्यादा मत सोचना। अरुणा ने भी आरव के आँसू पौंछते हुए कहा। शादी दिन की थीं इसलिये सूरज ढलने से पहले ही विदा हो गई आरव और बाकि लोग घर का सामान समेटने लगे।

पीहू और सोनू ने पालमपुर देखा फिर भारी मन से पीहू सोनू के साथ बस अड्डे पहुंच गई। “अब जाओं और बाबा की पसंद की नौकरी करो और फ़िर उनकी पसंद से शादी भी कर लूँ, अपनी मर्ज़ी तो कोई हैं ही नहीं मेरी। “ पीहू ने उदास होकर सोनू को बोला। तेरे सपनो का राजकुमार भी आयेंगा पीकॉक देख लियो” सोनू ने पीहू का मूड बदलने के अंदेशे से कहा। जैसे ही वो लोग बस में चढ़ने लगे तभी किसी ने पीछे से आवाज़ लगाई “पीकॉक”। मुड़कर देखा तो आरव खड़ा था। शेरवानी में आरव गज़ब का लग रहा था, पीहू तो उसे देखती रह गई। तभी आरव पास आकर बोला। “ मत जाओ तुम्हे डांस सीखना है न मैं सीखाऊंगा।“ आरव ने पीहू को कहा। “आप ?” पीहू ने हैरानी से पूछा। “हां मैंने शास्त्री जी से डांस सीखा हैं मैं तुम्हे वेस्टर्न और प्राचीन नृत्य दोनों का तालमेल सिखाऊंगा। मत जाओं प्लीज पीकॉक अपना सपना पूरा करो। “ आरव ने बड़ा विनय होकर कहा। “भाईसाहब इसका नाम पीहू है और ऐसे किसी अजनबी से डांस नहीं सीखना हमें । सोनू की आवाज में जलन की अनुभूति हुई। “शास्त्रीजी को जानते थें क्या ?” इतनी दूर से आई हों निराश होकर मत जाओं। तुम मेरे घर किराए पर रह लेना पास में मेरी बहन रहती है, तुम्हे कोई दिक़्क़त नहीं होगी। चाहो तो किराया भी दे देना, पता नहीं शास्त्री जी आएंगे भी या नहीं कुछ ही महीनों में यहाँ एक डांस प्रतियोगिता जो हर साल होती है, उसमे भाग लेना क्या पता जीत जाऊँ ।“ आरव एक सांस मैं सारी बात कह गया और पीहू से कुछ बोले नहीं बन रहा था। “चल पीकॉक कोई पागल है, यह चल घर चले।“ सोनू ने पीहू का हाथ पकड़ खींचा । पीहू ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा कि “सोनू तो जा मैं नहीं जाऊँगी। “पागल हो गयी है क्या हम इसे जानते ही कितना है ? मैं तुझे अकेला नहीं छोड़ सकता।“ सोनू ने पीहू का हाथ खींचा । “आख़िर तू मुझे शास्त्री जी के पास छोड़कर भी तो जा रहा था, अब क्या हुआ?” “कुछ नहीं होगा, मैं जीवन अपने हिसाब से जीना चाहती हूँ सोनू। मैं कल कोई पछतावा नहीं लेकर जीना चाहती कि मुझे एक चांस मिला और मैं डर गई ।“ पीहू ने हाथ छुड़ाते हुए कहा।  बहुत कहने पर भी पीहू नहीं मानी और सोनू उसे रोज़ फ़ोन करने को कह बुझे मन से बस में बैठ गया, आज वो सचमुच पीहू के लिए फिक्रमंद था या आरव को उसके लिए इतना करते देख जलन हो रही थीं पता नहीं।

पीहू ने आरव से नृत्य सीखना शुरू किया । अरुणा भी पीहू से मिलकर खुश हुई । शुरू-शुरू में पीहू ने हिम्मत हार मान ली मगर आरव ने उसे हारने नहीं दिया। दिन धीरे-धीरे बीतते गए । बाबा , नानी और सोनू से रोज़ पीहू बात करती। एक घर में रहने के कारण दोनों को एक दूसरे की आदत होने लगी। एक दिन उसने पूछ ही लिया “आप मेरे लिए इतना सब क्यों कर रहे हैं आरव?” “मैं शायद अपने लिए कर रहा हूँ पीकॉक। तुम्हारी नानी ने सच में तुम्हारा नाम सही रखा है। कल तुम जब बारिश में नाच रही थीं तो मुझे किसी पीकॉक से कम नहीं लगी।“ आरव ने पीहू को देखते हुआ कहा।  मैं और सोनू स्कूल के वक़्त से ही बारिश में भीगते थें वो तो नाचता हुआ घर जाता था और मुझे पीकॉक कहता था। पागल! कहीं का। आपने भी उसके मुँह से ही मेरा यह नाम सुना होगा ?” पीहू ने पूछा।  “सोनू सिर्फ तुम्हारा दोस्त है या कुछ उससे बढ़कर? आरव ने सवाल किया। दोस्त ही है...”” कहते हुए पीहू की आँखों की चमक उससे छिपी न रह सकी।


अब वो दिन आ गया जब पीहू स्टेज पर थीं, आरव की कोशिशे रंग लायी थीं और पीहू ने शुरू के राउंड में सबका मन जीत लिया। अरुणा ने पीहू की कहानी चैनल पर दिखा दीं । और हुआ वही जिसका डर बाबा, नानी, और सोनू के साथ पालमपुर पहुंच गए।  नानी तो खुश थीं कि पीहू ने यह कदम उठाया और तो और यही वो जगह थीं जहाँ उस अंग्रेज़ से मिली थीं पालमपुर।  जब पीहू जीती और उसके हाथों में ट्रॉफी थीं और उसने अपने बाबा, नानी सोनू को स्टेज पर बुलाया और आरव को भी बुलाया तो आरव ने दूर से मना करते हुए बाहर मिलने का इशारा किया।  क्योंकि वह चाहता था कि “सब देख ले कि सपने किसी पैरो के मोहताज़ नहीं यह वो होंसले की उड़ान है जिसे पीहू ने स्वयं में भरी है।“ तभी पीहू के पीछे आरव को रिदा मुस्कुराती हुई दिखाई दीं तो वह मुस्कुराते हुए स्टेडियमसे बाहर आ गया। जब अकेला ही चलने लगा तो पीछे से किसी ने आवाज़ दी “आरव” !!!! आरव ने मुड़कर देखा तो रिदा आज रोते हुए नहीं' मुस्कुराते हुए खड़ी थीं, “आरव मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया।“ “सच रिदा?” आरव ने पूछा। रिदा ने सिर हिलाया और एक अनजान दिशा में खो गई ।

“पीहू की जिंदगी बदल गयी थीं । उसने कई राष्ट्रीय पुरुस्कार जीते । आरव ने उसका पूरा साथ दिया । उसने सरकारी नौकरी तो नहीं की। पर सरकार ने उसकी प्रतिभा को देखते हुए उसके इलाज का खर्च विदेशों में उठाना स्वीकार कर लिया । और आज वो आरव का एयरपोर्ट पर इंतज़ार कर रही थीं। “और पीकॉक तेरी लाइफ बदल गई न? कैसा लगा रहा है” सोनू भी उसे एयरपोर्ट पर छोड़ने आया है। अब भूल मत जाइयो मुझे कही पंखो के साथ वापिस लौटे।“ सोनू ने पीहू को गले लगा लिया।  “तुझे कैसे भूल सकती हूँ पागल तूने बहुत साथ दिया मेरा। “ पीहू की आँखों में हलके से आँसू थें। तभी आरव भी वहाँ आ पहुँचा और सोनू वहाँ से हट गया। “मुझे तुमसे कुछ माँगना है ?” पीहू ने आरव को देखते हुए कहा । “बताओ क्या माँगना है”मुझे लगता नहीं अब तुम्हे किसी चीज़ की ज़रूरत है ??” आरव ने पूछा ? “तुम मेरे डांस पार्टनर बनोंगे? जब मैं वापिस आऊँगी। “ पीहू ने आरव की आंखों में देखते हुए कहा। “मैंने तुम्हें बताया था कि अब मैं किसी का डांस पार्टनर नही बनना चाहता रिदा का नहीं बन सका तो अब किसी का बनकर क्या करूँगा। अब तो मैं हर पीकॉक की उड़ने में मदद करूँगा।  एक स्पेशल डांसिंग स्कूल खोल लिया  है । अरुणा ने अपने चैनल के माध्यम से काफी मदद भी की है, देश से सभी बच्चे चाहे वो गरीब हूँ सब डांस सीखने आएंगे। मैं ऐसे ही शरीर से लाचार बच्चों को डांस सिखाकर उन्हें ज़िन्दगी के नए रास्ते पर ले जाऊँगा। आरव ने गर्व से कहा। “सच ! यह बहुत अच्छी बात है। और मेरे डांसिंग पार्टनर नहीं बनेगे ???” पीहू ने पूछा।जब पीहू ने फ़िर वहीं प्रश्न पूछा तो आरव के पास इसका कोई ज़वाब नहीं था या वो शायद इसका जवाब देना नहीं चाहता था। अभी सिर्फ पीहू की ख़ुशी में खुश होना चाहता था, अब उसे यह एहसास हो चुका था कि लफ्ज़ सिर्फ़ उम्मीद ही नहीं तोड़ते बल्कि दिल भी तोड़ देते हैं।    


“चल पीकॉक, देर हो रही है बेटा, नानी ने पुकारा । “सोचकर जवाब दीजियेगा मैं इंतज़ार करुँगी।“ पीहू जाते-जाते बोल गयी। और फ्लाइट के लिए अंदर चली गई। “मैं भी तुम्हारा इंतज़ार करूँगा पीकॉक”, आरव ने धीरे से कहा। बड़ी देर तक आरव और सोनू पीहू को जाते हुए देखते रहें। दोनों को ही उसका इंतज़ार रहेंगा ।


Peacock-11(अंतिम भाग)


देखते-देखते दो साल बीत गए। फिर वो दिन आ ही गया, जब पीहू वापिस पूरी तरह ठीक हो अपने देश लौट आई और एयरपोर्ट पर सोनू खड़ा उसका इंतज़ार कर रहा था।  इंतज़ार करते-करते समय बीत रहा था और सोनू लगातार पीहू को देखने के लिए बेचैन हो रहा था, मगर पीहू नहीं आई, सोनू मायूस होकर सीधे उसके घर पहुंच गया। और घर पहुँचते ही "पीहू पीहू" पुकारने लगा । "अरे !! सोनू क्यों चिल्ला रहा हैं ? "नानी रसोई से निकलकर बोली। "नानी पीहू को लेने एयरपोर्ट गया था, पर वह तो अमेरिका से वापिस ही नहीं आई। कहीं उसका आना टल तो नहीं गया हैं ?" सोनू ने पूछा। "नहीं उसकी फ्लाइट सुबह की हो गयी थीं, वह एयरपोर्ट से सीधे आरव से मिलने चली गई। वो तुझे बताना भूल गयी होगी और तू दोपहर को उसे लेने पहुंच गया पहुंच गया। थोड़ी देर रुक जा, पीहू आने वाली होगी।  मैंने आज उसका मनपसंद खाना बनाया हैं, तू भी खाकर जाना। " नानी यह कहकर फिर रसोई में चली गई। मगर सोनू यह सुनकर की पीहू सीधे आरव से मिलने चली गई, वहाँ खड़ा नहीं रह सका। और चुपचाप चला गया।


दो सालों में उसने भी तरक्की कर ली हैं। उसका अपना गाड़ियों का शोरूम है। वह अपने शोरूम में बैठा सोचने लगा कि "कम से कम पीहू को उसे बताना तो चाहिए था कि उसकी फ्लाइट का टाइम चेंज हो गया हैं। और तो और वह सीधे आरव से मिलने चली गई , भला यह भी कोई बात हुई। आज वो आरव मुझसे से भी ज़्यादा ज़रूरी हो गया हैं। सोनू को लगा कि उसे आरव से जलन हो रही हैं । आख़िर क्यों आज से पहले तो उसने कभी कुछ ऐसा महसूस नहीं किया ।" 


वहाँ आरव ने पीहू को बिलकुल ठीक अपने पैरो पर खड़ा देखा तो उसे बहुत ख़ुशी हुई । अब पीहू का आत्मविश्वास उसके चेहरे से झलक रहा था । पीहू अब एक मशहूर नृत्यांगना बन चुकी थीं। सब लोग उसकी कहानी जनाना चाहते थें । आरव भी काफ़ी समय से दिल्ली में सेटल है, उसका भी नाम हो चुका हैं । वह सभी को डांस सिखाता हैं। दूर देश से आये विकलांग बच्चों को डांस सिखाकर वह कितनो की ज़िन्दगी बदल चुका हैं । उसे आज भी रिदा याद है, पर अब एक खूबसूरत याद बनकर। उसने पालमपुर में उसके नाम से एक डांस स्कूल भी खोल लिया हैं।  "मुझे अच्छा लग रहा है कि आप ज़िंदगी में आगे बढ़ चुके है, मैं आपको कभी भूल नहीं सकती , मैं चाहती हूँ कि आप हमेशा मेरे साथ रहे ।" पीहू ने आरव से कहा । "मैं तो तुम्हारे साथ ही हों पीहू। आज तुम्हारे कारण मैं भी एक पछतावे के बोझ से मुक्त हों चुका हों। " आरव ने पीहू को कॉफी थमाते हुए कहा । "घर तो आपने बहुत बड़ा ख़रीद लिया हैं। " पीहू ने आरव के घर को चारों तरफ़ से देखते हुए कहा। तुम कब नए घर में शिफ्ट होंगी और वो तुम्हारा दोस्त सोनू कैसा है ? आरव ने सवाल किया। " "ओ ! माय ! गॉड ! मैंने सोनू को बताया भी नहीं की मेरी फ्लाइट जल्दी की हैं । सचमुच मैं कैसे उसे भूल गयी । मैं आपसे कल मिलूँगी। " पीहू यह कह उठकर चली गईं ।


"क्यों मुँह फ़ेरकर बैठा हुआ हैं? पीहू ने सोनू के पीछे खड़े हों पूछा तो उसने अपनी कुर्सी घुमा दीं।  और पीहू को देखता रह गया।  एक सुन्दर, स्मार्ट और आत्मविश्वास से लबरेज़ पीहू को सोनू पहचान नहीं पा रहा था । वह नीले रंग की स्कर्ट और वाइट टॉप में बेहद प्यारी लग रहीं थीं । तू तो सचमुच बदल गयी है पीकॉक।" सोनू ने उसकी तरफ कुर्सी सरकाकर बोला । "तू भी तो रईस हो गया हैं ।" पीहू ने उसके शोरूम की तरफ़ देखकर कहा। 'पीहू अपने विदेश की कहानियाँ सुनाई जा रही थीं और सोनू बड़े ध्यान से सुन रहा था , उसे यह भी याद नहीं रहा कि वह उससे नाराज़ था , क्योंकि उसे पता है कि वह उससे बात किये बिना नहीं रह सकता । और अब वो कुछ और ही पीहू के लिए सोचने लगा था, उसे पता चल चुका था कि उसे पीहू से प्यार हो गया हैं और यह बात उसे बताना चाहता था। उसे कहना चाहता था कि उसने उसे बहुत मिस किया । मगर कुछ भी न कह सका । "अच्छा सुन ! एक महीने बाद मेरा दिल्ली में डांस शो है और इस बार आरव मेरे डांसिंग पार्टनर बनेंगे ।" यह कहते वक़्त पीहू की आँखों में चमक थीं। जो सोनू से छुपी न रह सकी । जिसे देखकर आरव उदास हो गया।


महीना बीतने लगा और पीहू आरव के साथ डांस की प्रैक्टिस करने लगी । इस बार डांस शो में सभी देश की नामचीन हस्तियाँ आने वाली हैं । उसने अपने बाबा और नानी को भी बता दिया कि इस डांस के बाद हम नए घर में शिफ्ट होंगे । आज बाबा को पीहू पर नाज़ है । सभी उसके डांस के कार्यक्रम में पहुँचने वाले हैं । "टाइम से आयेंगा न "स पीहू ने पूछा । "हाँ मैं कभी देर नहीं करता तू ही इंतज़ार करवाती हैं"। सोनू ने पीहू की आँखों में देखकर कहा । "आज आरव मुझे डांस शो में सरप्राइज देने वाले हैं । ' सोनू को पीहू से आरव का नाम सुन अच्छा नहीं लगा मगर उसने ज़ाहिर नहीं किया । "परी कहाँ है ? "पीहू का सवाल था । "तेरे जाने के कुछ दिन बाद उसके पापा का मुंबई ट्रांसफर हो गया फ़िर वो मुझे भूल गई मैं उसे भूल गया । " सोनू ने हँसकर ज़वाब दिया । " शुक्र है मुझे नहीं भूला। " पीहू ने जब यह कहा तो सोनू एकदम से बोल पड़ा "तू तो मन में बसी है पीकॉक तुझे तो चाहकर भी भूल नहीं सकता। " पीहू उसका ज़वाब सुन उसकी आंखों में देखने लगी । तभी उसका मोबाइल बजा और  पीहू सोनू को बाय बोल चली गयी।


अगले दिन शाम को पूरा हॉल दर्शकों से भरा हुआ था। डांस की थीम थीं ""PEACOCK ::DANCE WITH PRIDE::"" सभी को डांस का इंतज़ार था। तभी स्टेज पर पीहू और आरव आये और नकली बारिश में दोनों नाचने लगे और पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा। जब थोड़ी देर तक ऐसे ही डांस चलता रहा तो आरव ने माइक लेते हुए कहा, "दोस्तों आपने मेरा और पीहू का डांस तो देख लिया। मगर अब पीहू के साथ एक ऐसा शख्स डांस करने जा रहा है जिसने पीकॉक के डांसिंग सफर में हमेशा उसका साथ दिया। तालियों से स्वागत करें सोनूवीर का। " "सोनू" 'सोनू" डांस कैसे करेंगा। " पीहू ने हैरान होकर पूछा, " क्यों नहीं करेंगा ? उसने तुम्हारे इंतज़ार में सिर्फ डांस ही तो किया हैं पीकॉक। वो तुम्हें बहुत चाहता हैं और तुम भी उसे चाहती हूँ आज से नहीं बल्कि बचपन से। क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ न" आरव ने पीहू की आँखों में देखकर पूछा ।" तुम मेरे लिए हमेशा ख़ास रहोगी पीहू।  मगर तुम्हे पता ही नहीं सोनू के लिए तुम हमेशा से ही ख़ास थीं" आरव फ़िर बोला । "नहीं मुझे पता हैं , " पीहू के इतना कहा ही था कि इतने में सोनू स्टेज पर पहुँच गया और पीहू और सोनू ने धमाल मचा दिया। लोगों के हाथ ताली बजाते हुए रुक नहीं रहें थें।


"क्यों कैसा लगा सरप्राइज पीकॉक ?" आरव ने मुस्कुराते हुए पूछा । "बहुत प्यारा" कहकर पीहू ने सोनू का हाथ कसकर पकड़ लिया । "अच्छा सोनू मैं चलता हूँ और मेरी गुरु दक्षिणा यही है कि दोनों हमेशा खुश रहना ।" कहकर उसने सोनू को गले लगा लिया औरपीहू को समझते देर न लगी कि सोनू को आरव ने डांस सिखाया था। " डांस के बाद फोटो सैशन कौन कराएगा ?" पीहू ने पूछा । "नहीं, तुम लोग करवाओ, आज सुबह अरुणा का फ़ोन आया था, मेरा भांजा हुआ है। पहले मैं पालमपुर जाऊँगा और फिर छह महीने के लिए फ्रांस। " आरव गाड़ी में बैठते हुए बोला। "अरुणा को आप मेरी तरफ़ से बधाई दीजिएगा। " पीहू ने कहा और आरव की गाड़ी दोनों को अलविदा कह खाली सड़क पर दौड़ पड़ी। " फोटो सेशन के बाद दोनों हाथों में हाथ डाले सड़क पर अकेले चल रहे थें।


"तुमने मेरे लिए डांस सीखा सोनू ?? " हाँ यार तेरी याद ही बहुत आती थीं, क्या करता बस नाचना शुरू कर दिया वैसे भी लोग प्यार मैं क्या-क्या नहीं करते हैं? यह तो डांस ही था। "सोनू की आवाज़ में शरारत थीं। "तुझे मुझसे प्यार कब हुआ ?"? पीहू ने फिर पूछा। "जब उस दिन तू अमेरिका जा रही थीं तो एयरपोर्ट पर तुझे जाते देख लगा कि तेरे बिना नहीं रह सकता" सोनू ने ज़वाब दिया।  "सच!!" "सच !! कहकर सोनू ने पीहू को गले लगा लिया, "सच पीकॉक बिलकुल सच"। सोनू यह कहता जा रहा था तभी आसमान बादलों से घिर गया और हलकी बारिश भी शुरू हो गयी।


समाप्त


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