Anandbala Sharma

Tragedy

1.0  

Anandbala Sharma

Tragedy

फूफा जी

फूफा जी

2 mins
4.0K


फूफा जी एक सप्ताह पूर्व गाँव से हमारे घर आए थे। दो दिनों का कोई सरकारी काम था। फूफा जी जब से आए हैं घर का तो जैसे 

हुलिया ही बदल गया है। फूफाजी का दिनभर में कई बार सुड़क सु़ड़क

कर चाय पीना। रात भर नाक बजाकर दूसरों की नींद हराम करना। खाने में उनको दो सब्जियाँ तो चाहिएं ही थीं एक सूखी और दूसरी गीली। 

दही, पापड़, अचार अलग से मीठे के साथ।बिचारी सुमन खाना बना बनाकर परेशान हो गई। बाहर का खाना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं।और तो और अपनी लुंगी, कच्छा, बनियान और अंगोछा कहीं भी धोकर पसार देने की आदत। विनय की तो शामत ही आगई जैसे। दिन भर यहाँ ले जाओ, वहाँ ले जाओ। यह करो,

वह करो। पूरी पढ़ाई ही चौपट कोई लिहाज के मारे कुछ नहीं बोल पा रहा। हाँ रोज शाम को पूजा अर्चना के बाद जब फूफा जी

भजन गाने लगते तो जैसे समां ही बंध जाता। सब भाव विभोर हो उठते। इतना होने पर भी सब अपनी अपनी तरह से यह

जरूर सोच रहे थे कि कब जाएंगे फूफा जी ? रात के खाने के बाद फूफाजी ने पान चबाते कहा कल जाने का विचार- है बेटा, कल का टिकट कटवा देना। मन में खुशी को दबाकर मैंने कहा- 

ठीक है फूफाजी कटा दूंगा।

फिर धीरे से बोला वैसे कुछ दिन और रुक जाते तो..

 सोचते हुए फूफाजी ने कहा- अरे,अब तुम इतना कह रहे हो तो कुछ दिन रुक ही जाता हूँ।

बुरा फँसा ! यह तो तो वही हुआ आ बैल मुझे मार।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy