फर्क
फर्क
काॅलेज की परीक्षा का प्रश्नपत्र डाउनलोड कर प्रणय घर पर किताबों से उत्तर ढ़ूंढ़ कर लिख रहा था जब उसे श्रद्धा का मैसेज मिला । प्रणय उत्तरपुस्तिका में फुल स्टाॅफ लगाया और बाथरूम की ओर भागा । वह जल्दी से तैयार होकर परफ्यूम लगाया और अपनी बाईक स्टार्ट कर श्रद्धा के घर की ओर बढ़ गया ।
प्रणय रास्ते भर फूलों का गुलदस्ता तलाशते आया मगर अधखुली दुकानों में उसे गुलदस्ता कहीं नही मिला । वह चहकते हुए श्रद्धा के घर पहुंचा । वह चौंका, श्रद्धा के घर के बाहर दो तीन बाईक पहले से ही खड़ी थीं । वह मेन गेट से अंदर पहुंचा तो आंगन में उसे श्रद्धा और उसकी माँ के साथ उसके काॅलेज के कई सहपाठी नजर आए ।
'ये कंबख्त यहाँ क्या कर रहें हैं ?' - प्रणय मन ही मन सोचा । फिर वह मुस्कुराते हुए श्रद्धा की ओर देखने लगा । श्रद्धा चहकते हुए आगे बढ़ी और उसके आने पर खुशी जाहिर की । वह श्रद्धा के मैसेज और वहाँ उपस्थित सहपाठियों के बारें में जानने के लिए श्रद्धा से कुछ पूंछने ही वाला था कि बाहर दो बाईक और आकर रूकीं ।
प्रणय सिर घुमाकर देखा, उसके सहपाठियों की संख्या में इजाफा हो रहा था । वह अचंभित नजर आने लगा । श्रद्धा उन नवागंतुक लड़कों को भी मुस्कुराकर स्वागत करते हुए खाली कुर्सियों पर बैठने का इशारा की । प्रणय अभी भी वहीं खड़ा था । श्रद्धा उसके करीब आकर उसकी बांह पकड़ कर पास में रखे कुर्सी पर मुस्कुराते हुए बैठायी ।
सभी के लिए नमकीन और बिस्कुट के साथ गर्मागर्म चाय का इंतजाम किया गया था । प्रणय की तरह ही उसके अन्य सहपाठी भी श्रद्धा का मैसेज पाकर अपनी अपनी उत्तरपुस्तिकाएँ छोड़ कर आये थे । सभी ऊहापोह में नजर आ रहे थे । प्रणय के बगल में बैठे उसके एक सहपाठी ने उसकी कान में फुसफुसाकर कहा - "श्रद्धा का बर्थ डे तो सितम्बर में पड़ता है, कहीं आज उसकी मम्मी का बर्थ डे तो नहीं ?"
प्रणय खिसियाते हुए फुसफुसाकर बोला - "बर्थ डे होता तो केक भी मिलता, फिर सुबह सुबह कोई बर्थ डे मनाता है ?"
उसके सहपाठी ने सिर खुजाते हुए दूसरी तरफ बैठे एक अन्य सहपाठी से कानाफूसी करने लगा । लगभग सभी की चाय की प्यालियाँ खाली हो चुकी थीं । श्रद्धा पूर्ववत मुस्कुराते हुए सभी की तरफ निगाह डाली, फिर अपनी मीठी आवाज में बोली - "डियर फ्रेंडस, पता है आज कौन सा दिन है ?" उसके सहपाठियों में किसी ने 14 जून कहा तो किसी ने सोमवार ।
श्रद्धा एक हल्की सी हंसी के साथ अपनी माँ की ओर देखी । उसकी माँ मुस्कुरा रही थी । श्रद्धा अपने दोस्तों की तरफ सिर घुमाते हुए बोली - "सही कहा आप लोगो ने और आज विश्व रक्तदाता दिवस भी है, आप सभी को पता है कि मम्मी एक एनजीओ चलाती हैं तो उन्होने मुझसे सुबह कहा कि यही मौका है लोगों का जीवन बचाने में मदद करने का, ब्लड बैंक में रक्तदान का, बस मैं तुरंत आप सभी को मैसेज करके बुला ली ..... ।"
श्रद्धा की बात सुनकर उसके दोस्त सन्न रह गये । एक ने झट से कहा - "तो यही बात मैसेज में बता देती, मैं लिखते हुए आंसरशीट छोड़ कर आया हूँ ।"
तभी उस लड़के की ओर देखते हुए सभी बुदबुदाये कि आंसरशीट तो हम भी छोड़ कर आये हैं । हल्की सी खुसर पुसर हुई तो श्रद्धा अपनी खनकती आवाज में बोली - "स्वारी मैं एक्साईटमेंट में पूरी बात मैसेज में लिख नही पाई, वैसे अच्छा ही है हम एक टीम के रूप में एकठ्ठे होकर ब्लड डोनेशन करने जायेंगे और ग्रुप सेल्फी पोस्ट करेंगे तो अन्य दोस्तो और जान पहचान वालों पर पाॅजीटिव असर पड़ेगा, है न मम्मी ?"
श्रद्धा अपनी मम्मी की ओर देखी इस दरम्यान उसके दोस्त एक दूसरे की ओर देखने लगे । तभी उनमें से एक लड़का खड़ा हुआ और बोला - "सोच तो बहुत अच्छी है और ब्लड डोनेट करना फक्र की बात है, लेकिन मैं माफी चाहता हूँ, मुझे कल रात से ही बुखार है, इसलिए ..... ।"
उसकी बात खत्म होने के पहले ही एक अन्य लड़का जोर से छींका और नाक सुरकते हुए बोला - "भई मुझे तो जोरदार जुकाम है, हल्का हल्का बुखार भी है, आज ही अस्पताल जांच कराने जाने वाला हूँ ।"
उसकी बात सुनकर अन्य लड़के हड़बड़ा कर खड़े हो गये, बोले - "तो पहले बताते नही बनता था, इन्फेक्शन फैलाते घूम रहे हो, चल तेरे साथ हमें भी टेस्ट करवाना पड़ेगा ।"
जुकाम की बात कहने वाले लड़के के साथ अन्य तीन लड़के श्रद्धा की ओर बेचारी सूरत बनाकर देखते हुए धीरे से बाॅय बोलकर बाहर निकल गये । अन्य दो लड़के भी कमजोरी और दवाई खाने का बहाना बनाकर निकल गये । श्रद्धा रूआंसी हो गई । उसकी माँ उसकी पीठ सहलाते हुए प्रणय की ओर उम्मीद भरे नजरों से देखी ।
प्रणय खामोशी के साथ खड़ा हुआ और श्रद्धा के करीब जाकर उसकी माँ की ओर देखते हुए बोला - "उन डरपोक लड़कों से ब्लड डोनेशन की उम्मीद करनी ही नही चाहिए थी, वे लोग ऐसे हैं कि शरीर से एक बूंद खून निकल जाए तो बेहोश हो जाएँ, मुझे देखिए, अभी पिछले हफ्ते एक परिचित को ब्लड डोनेट किया था फिर भी स्वस्थ हूँ, आप कहें तो आज भी ब्लड डोनेट करने को तैयार हूँ ।"
श्रद्धा की माँ बोली - "नहीं नहीं, इतनी जल्दी नही, आप समझदार लगते हैं, थोड़ा अंतराल रखना ठीक रहता है लेकिन आपके अन्य साथियों से ऐसी उम्मीद न थी ।" प्रणय शर्मिंदगी से सिर झुका लिया ।
श्रद्धा की माँ अपनी बेटी को तसल्ली देते हुए बोली - "तुम अपना दिल छोटा न करो, एनजीओ के अन्य ब्लड डोनर के साथ मैं और तुम, हम तो चल रहे हैं न ब्लड डोनेट करने, देखना वहाँ और कितने अन्जान लोग इस नेक काम में बढ़ चढ़ कर रक्तदान करते नजर आयेंगे ।
श्रद्धा एक रूमाल कोे अपनी नम आँखों पर फेरी और फिर अपने स्मार्टफोन की ओर देखते हुए कुछ टाईप करने लगी । प्रणय और उसकी माँ उसको प्रश्नवाचक नजरों से देख रहे थे । मैसेज सेंड कर वह प्रणय की ओर देखी और हाथ मिलाते हुए उसे थैंक्स बोली । प्रणय धीरे धीरे गेट की ओर कदम बढ़ाते हुए पूंछा - "अभी किसको मैसेज किया ?"
श्रद्धा के जवाब देने से पहले ही उसके स्मार्टफोन का मैसेज ट्यून बजा । श्रद्धा मैसेज के रिप्लाई को पढ़ने लगी । उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई । वो स्मार्टफोन की स्क्रीन प्रणय की ओर करते हुए बोली - "वे सहर्ष तैयार हैं ब्लड डोनेशन के लिए, मेरी सहेलियाँ, आ रहीं हैं तैयार होकर ।"
प्रणय हैरानी से श्रद्धा के स्मार्टफोन की स्क्रीन और उसके चेहरे की ओर बारी बारी से देखा । श्रद्धा के चेहरे पर उत्साह की चमक दिखने लगी, वह बोली - "हम लड़कियों के लिए ब्लड कोई डरावनी चीज नही, हम उसे हर महीने वेस्ट होते देखते हैं, लड़के खुद को तो हीरो समझते हैं मगर किसी की जान बचाने के काम आने वाले थोड़े से खून के नाम पर घबरा जाते हैं, फिर भी औरतों को अबला कहते शर्म नही आती ।"
प्रणय कोई जवाब नही दिया । वह सिर झुकाए गेट खोला और अपनी बाईक स्टार्ट कर अपने घर की ओर लौट पड़ा । रास्ते में उसे अलग अलग स्कूटी में श्रद्धा की सहेलियाँ उत्साह और खुशी से लबरेज जोशीले गीत गुनगुनाते हुए श्रद्धा के घर की तरफ जाती हुई दिखीं ।
