फरहान की उलझन-थ्री इडियट्स
फरहान की उलझन-थ्री इडियट्स
छत्तर दादा की गुलफाम नगर स्थित घुड़साल में आज फोटोग्राफी के चक्कर में इंजीनियरिंग को छोड़ने वाला फरहान कुरैशी बैठा था।
'तो बेटे तूने सोचा था कि इंजीनियरिंग को छोड़कर फोटोग्राफी में अपना करियर बनाएगा?' छत्तर दादा ने अपने सामने बैठे फरहान कुरैशी की तरफ देखते हुए कहा।
'हाँ दादा यही सोचा था........' फरहान मुस्कराते हुए बोला।
'तो कर फोटोग्राफी किसने रोका है, या अभी भी कुछ कन्फ्यूजन है?' छत्तर दादा ने उबासी लेते हुए पूछा।
'दादा यहाँ काली घाटी में 'कसम उड़ान झल्ले की,' नाम की फिल्म के स्टिल फोटो लेने आया था, कई मैगजीन में भेजे लेकिन कोई १०० रूपये फोटो के हिसाब से भी फोटो छापने को तैयार नहीं है।' फरहान अपना सिर खुजाते हुए बोला।
'ये तो बहुत दिक्कत है, आजकल फ्री में फोटो छपवाने वाले इतने है कि फोटो बेचने वालों को कोई आसानी से पूछता नहीं है; वैसे मेरे पास क्यों आया?' छत्तर दादा ने फिर से उबासी लेते हुए पूछा।
'दादा आंद्रे इस्तकबान नाम के वाइल्ड फोटोग्राफर के साथ काम करने का अवसर मिला था लेकिन उसने भी मेरे जैसे २० असिस्टेंट रखे हुए है हुए है, वो बस अपना काम करवाता रहा लेकिन सीखने को कुछ नहीं मिला। आप तो पूरी दुनिया घूमते हो, फोटोग्राफी भी बहुत अच्छी करते हो, नेट जिओ में आपके फोटोग्राफ छपते रहते है, कुछ काम मुझे भी दिला दो तो बड़ी मेहरबानी होगी।' फरहान गिड़गिड़ाते हुए बोला।
'बेटे फरहान तुमने फोटोग्राफी के प्रोफेशन से रोजी- रोटी कमाने की सोची लेकिन वो हो न सका, अब दर दर ठोकरे खाने से तो अच्छा है कि किसी तरह इंजीनियरिंग कॉलेज में जाकर अपनी इंजीनियरिंग पूरी करो और फोटोग्राफी शोकियाँ तौर पर कर लो, मंदी का दौर है बेटे पहले एक करियर सिक्योर कर लो बाद में दूसरे के बारे में भी सोच लेना, रही नेट जिओ में काम दिलाने की बात; मैं तेरा वहाँ के एक एडिटर से परिचय करा दूँगा, तेरे फोटोज में दम होगा तो कोई छापने से नहीं रोक सकेगा और दम न हुआ तो कोई सोर्स सिफारिस वहाँ नहीं चलेगी।' छत्तर दादा बोला।
'आपकी बात सही है, करियर पहले बनाना चाहिए बाकी सब तो कभी भी किया जा सकता है, लेकिन अब तीन साल के गैप के बाद मुझे इंजीनियरिंग कॉलेज में कौन वापिस लेगा?' फरहान चिंता के साथ बोला।
'बेटे ये अपना देश भले लोगो से भरा पड़ा है, मैं किसी भले आदमी की सिफारिस कराकर तुझे इंजीनियरिंग कॉलेज में वापिस भिजवा दूँगा.......जा तू इंजीनियरिंग कॉलेज में वापिस जा मैं तेरे फिर से एडमिशन का इंतजाम करता हूँ।' कहते हुए छत्तर दादा उठ खड़ा हुआ।
फरहान ने छत्तर दादा के पैर छूए और छत्तर दादा की घुड़साल से बाहर आ गया, उसके चेहरे पर अब आत्मविश्वास की झलक नजर आ रही थी।
