पहली मुलाक़ात वाले हज़ूर और खजूर
पहली मुलाक़ात वाले हज़ूर और खजूर
ज़िया को आज भी अपनी पहली मुलाक़ात याद हैं ! जब पहली बार वो अनिकेत से मिली थी ! मुलाक़ात बहुत खास थी, बारिश हो रही थी, सब तरफ कीचड़ ही कीचड़ था ! अचानक से रज़िया का पैर फिसला और इससे पहले कि वो गिरती, अनिकेत ने उसे झट से संभाला ! यह फ़िल्मी सीन ही था ! और उसके लिए तो यह बहुत बड़ी बात थी, क्योँकि आज वो 58 साल कि हैं, उस समय उसकी उम्र यही रही होगी कोई 18 साल ! मतलब 40 साल पहले की बात हैं ! उस दिन के बाद अनिकेत उसके साथ टकरा ही जाता ! कभी कैंटीन में तो कभी क्लास में !और वो भी उसका सहपाठी ही निकला ! कैंटीन में दोनों की मुलाकातों का सफर धीरे धीरे शुरु हुआ ! खूब बातें करते दोनों ! कभी पढ़ाई की, कभी ज़िन्दगी के फलसफे की तो कभी बिना सर पैर की ! रज़िया की एक आदत थी वो हमेशा अपने साथ खाने के लिए कुछ ना कुछ जरूर रखती !
खास कर खजूर ! जब भी अनिकेत और रज़िया मिलते, रज़िया उसे खजूर जरूर खिलाती ! ऐसे ही समय बीतता गया ! दोनों अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी पर लग गए ! पर दोनों की मंजिले एक नहीं हो सकती थी, कारण साफ था कि दोनों के मजहब अलग अलग थे ! दोनों ने अपने रिश्ते को वहीं खत्म करने का सोच लिया ! आज उनकी अंतिम मुलाक़ात थी, दोनों ने नम आंखों से एक दूसरे को विदा किया और फिर रज़िया अनिकेत के हाथ में खजूर रख कर चल पड़ी, ऐसे सफर की और जहाँ उसका हमसफ़र अकमल था ! अब वो अपनी गृहस्थी में रम चुकी थी !
वो और उसके पति नौकरी से सेवानिवृत हो चुके थे ! बच्चों की शादी हो चुकी थी ! अब दोनों आराम से अपनी ज़िन्दगी बसर कर रहे थे ! इतनेआज रज़िया और अकमल किसी मित्र के घर उनके बेटे की शादी में गए थे, वहां रज़िया की निगाह एक शख्स पर गयी, जो अपनी बीबी के साथ बैठा था ! रज़िया को दिमाग़ पर जोर भी नहीं डालना पड़ा, क्योँकि यह कोई और नहीं अनिकेत ही था ! रज़िया को पहचानते हुए एकदम उसकी और आकर बोला, " खजूर नहीं खिलाओगी आज रज़िया, "? रज़िया ने एकदम से जवाब दिया, " जब से मुझे शुगर हुई हैं, मैंने मीठी चीज़ो से परहेज़ कर लिया हैं,
"!इतना कहते ही वो जल्दी से बाहर आ कर अनिकेत को ढूंढ़ने लगी ! रज़िया के पर्स में आज भी खजूर थे , शुगर तो बस एक बहाना था, ताकि अनिकेत को यह भनक भी ना लगे कि आज भी रज़िया अपनी पहली मुलाक़ात और खजूर को अपने दिल में आज भी ताज़ा रखे हुए हैं !
