पहली मुहब्बत

पहली मुहब्बत

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देव और अंजलि दोनों बहुत अच्छे दोस्त है, धीरे-धीरे यह दोस्ती मुहब्बत में बदल जाती है,अंजलि देव को बहुत प्यार करती है, देव भी अंजलि को बहुत चाहता है। दोनों एक-दूसरे के साथ ही रहने लगते हैं, दोनों मॉडर्न ख्यालात के है और आज की युवा पीढ़ी के सरंक्षक भी है। देव की आदत हमेशा सिगरेट का धुआं उड़ाने की है, वो हर बात पर धुंआ उड़ाते हुए ही रियेक्ट करता है, जो कि अंजलि को बिल्कुल नहींं सुहाता, अंजलि, देव की इस लत को छुड़ाने के हर भरसक प्रयास कर चुकी है, लेकिन कोई विशेष लाभ नहींं हो सका। अंजलि जितना भी देव की इस लत को छुड़ाने की कोशिश करती, उतना देव उससे ज़्यादा बहाने बनाने लगता, जिसकी वजह से अंजलि थोड़ा अपसेट रहने लगी और एक दिन वो देव की खुशी के लिये उसकी जिंदगी से बहुत दूर चली जाती है, इससे पहले की देव को कुछ समझ आ सके उसको अंजलि का एक आख़री ख़त और छोटा सा उपहार मिलता है जो कि देव के जन्मदिन पर अंजलि के प्यार की अंतिम भेंट मालूम पढ़ता है। देव अंजलि का ख़त पढ़ता है तो उसके पैरों के तले से ज़मीन खिसक जाती है।

डियर देव,

मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, इतना प्यार की मैं उसे लफ़्ज़ों में बयां नहींं कर सकती, पता नहीं तुम मेरे प्यार के मायने समझ भी पाओगे या नहीं फिर भी एक कोशिश तो कर ही सकती हूँ, आख़िर मैंने तुम पर इतना अधिकार तो पाया ही है, मुझे तुम्हारी स्मोकिंग की लत शुरू से ही पसंद नहीं थी, लेकिन कभी तुमसे खुलकर कह नहीं पाई और जब कहा तब तुमने सुना नहीं या यह कहूँ की सुनकर अनसुना सा कर दिया तो इसमें कोई हैरत की बात नहीं, तुम शुरू से ही ऐसे रहे हो लेकिन तुम्हारा ऐसा होना ही मुझे तुम्हारे और भी करीब ले आया, इतना करीब की मैं मैंने कब अपने बारे में सोचना समझना बन्द कर दिया मुझे कुछ पता न चला, बस मैं तुम्हारे वज़ूद में ही अपने वजूद को तलाशने में कहीं खोकर सी रह गई और जब तक इस बात का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी, मैं तुम्हें अपने आप को निःस्वार्थ समर्पित कर चुकी थी, मुझे लगता था कि मैं तुम्हे अपने प्यार के सहारे बदल दूंगी और एक दिन तुम्हारी इस नशे की लत को छुड़ा दूँगी।

मैं ग़लत थी,सोचती थी तुम भी मुझसे बहुत प्यार करते हो मुझसा न सही फिर भी मेरा होना तुम्हारे लिए कुछ तो मायने रखता ही होगा, लेकिन धीरे-धीरे मेरी यह गलतफहमी भी जाती रही और मैं जान गई मैं तुम्हारे और तुम्हारी पहली मुहब्बत जो कि तुम्हारी यह नशे की लत है, के बीच मे आ गई हूं, मेरा प्यार असल में कभी उस पहली मुहब्बत की दीवार में सेंध ही नहीं लगा सका, सच कहूं तो मेरी मोहब्बत में वो शिद्दत ही नहीं थी जो तुम्हें मेरी बात मनवाने के लिए मजबूर कर सकती, मेरे पापा भी इसी लत के कारण मुझें छोटी सी उम्र में ही छोड़कर चले गए।

मेरी माँ ने ही मुझें अकेले इस क़ाबिल बनाया कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकूँ.....मैं जब भी तुम्हें सिगरेट सुलगाते या धुँआ उड़ाते देखती तो मेरे दिल में हमेशा तुम्हें खो देने का डर घर कर जाता, तुम्हारी इन्ही यादों के सहारे तुम्हें तुम्हारी पहली मुहब्बत के साथ छोड़े जा रही हूँ। तुम्हें गलत कहकर तुम्हारी तौहीन भी नहीं करना चाहती, मैंने तुम्हें चाहा तुमने मुझे चाहा लेकिन इस चाहत से परे भी एक चाहत रही वो तुम्हारी पहली मुहब्बत (नशे की लत), मैं हमेशा तुम्हारी खुशी चाहती हूं और तुम्हारी खुशी की ख़ातिर तुम्हें तुम्हारी पहली मुहब्बत के साथ इस उम्मीद पर छोड़े जा रही हूं कि अब तुम्हें मेरी वज़ह से किसी तरह की कोई बंदिश कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।

मेरा प्यार शायद एकतरफा ही रहा जिसके कारण में कभी यह हिम्मत नहीं जुटा सकी की तुम्हें अपने सामने तिल-तिल मरते देख सकूँ या यह कहूँ कि मुझमें इतना सब्र नहीं रहा कि तुम्हारे मुँह से निकलते हुए धुँए को अपने चेहरे पर और बर्दाश्त कर सकूं, हो सके तो मेरी सभी नादानियों को एक नादान की नादानी समझकर भूला देना।

तुम्हारी अंजलि, काश!यह मैं हक़ से कह पाती।

अंजलि का ख़त पढ़कर ही देव बैचेन सा हो उठता है, मानो वो किसी नींद से जागा हो, वो काग़ज़ का टुकड़ा जो देव के लिए अंजलि का आख़िरी पैग़ाम था, उसके हाथों से फिसलकर कब ज़मीन पर गिर पड़ता है देव को कुछ पता नहीं चलता, देव की तो मानो दुनिया ही ऊजड़ गई हो और अंजलि की कही हुई अंतिम पंक्तियों में वो फंस कर रह गया हो।

अचानक उसकी नज़र अंजलि के दिये हुए गिफ़्ट पर पड़ती है और वो छटपटाहट के साथ बैचेन होकर उसको खोलता है तो उसके बचे हुए होश भी उड़ जाते हैं, वो गिफ़्ट अंजलि की तरफ से उसके और उसकी पहली मुहब्बत को और क़रीब लाने का एक अथक प्रयास है जो कि एक एश ट्रे। एशट्रे की गोल परत में अचानक उसको उसकी और अंजलि की स्मृतियों के निशान नज़र आने लगते हैं। उसको अंजलि की वो सभी नाक़ाम कोशिशें एक साथ परत दर परत खुलती चली जाती है, वो अंजलि का फोन मिलाता है लेकिन वो बन्द आ रहा है। वो भागता हुआ उन तमाम जगह का मुआयना करता है जहां पर वो अंजलि के साथ अक़्सर रहा करता था। जहां पर अंजलि उसको मिल सकती थी। उसको रह रहकर अंजलि के साथ बिताए हुए लम्हें याद आने लगते हैं।

.वो और भी ज़्यादा हताश होकर घर लौटता है, घर पर उसे लगता है अंजलि लौट आई है और उसके लिए अपने हाथों से चाय बनाकर उसको दे रही है लेकिन जल्द ही उसका यह भ्रम भी टूट जाता है और देव खुद को निढाल निसहाय पाता है, अचानक उसके हाथ उस एशट्रे पर जा टकराते हैं, जो अंजलि का उसको अंतिम उपहार थी, उसको उसमें अब अंजलि का अक्स नज़र आने लगता है,और उसे यह महसूस होता है कि उसने अब तक जितने भी सिगरेट पिये हैं उसके सभी गुटके उसने अंजलि के खूबसूरत अक्स को बदसूरत और बदहाल करने में बुझाए है।

.उसे खुद से नफ़रत सी होने लगती है उसकी समझ मे नहीं आता क्या करे, वो उस एशट्रे को झुंझलाहट में उठाकर सामने दीवार पर दे मारता है। दीवार पर जिस जगह ऐश ट्रे टकराती है वहीं पर उभरकर हमारा टाइटल (पहली मुहब्बत) आता है। उसके बाद सभी किरदार के नाम और क्रेडिट्स स्क्रीन पर दिखाई देने लगते हैं।


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