टिफिन

टिफिन

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मुन्ना रोज़ समय पर अपने घर से स्कूल जाने के लिए निकलता है। रास्तें में जाते समय वो रोज़ सुबह के नज़ारे देखते हुए जाता है और रोज़ नित समय पर अपने घर लौट जाता है। मुन्ना की उम्र आठ से दस वर्ष की होगी।


एक दिन उसको पता चलता है कि उसकी दोस्त पिंकी के पास खाने का टिफिन नहीं है और वो इसीलिए स्कूल में ब्रेकफास्ट / लंच नहीं लेकर आती और उसके पिताजी इतने भी सक्षम नहीं की उसको एक सस्ता सा टिफिन भी लाकर दे सकें! तो मुन्ना को बहुत दुख होता है, वो अपना खाने का टिफिन पिंकी को दे देता है और कहता है, वो इस बारे में किसी से कुछ न कहे। पिंकी उसको मना करती है, लेकिन मुन्ना उसको अपनी दोस्ती की कसम देता है तो वो उसकी बात मान लेती है।


मुन्ना जब घर पहुंचता है, तो उसकी माँ उसका बैग रोज़ की तरह चेक करती है और बेग में टिफिन न पाकर चौंक जाती है। मुन्ना से पूछने पर मुन्ना कहता है… पता नहीं… मुझे लगता है… मेरे बैग की चैन खुली रह गई और टिफिन कहीं गिर गया... उसकी मां कहती है इसका मतलब… मुन्ना कहता है... कहता है… खो गया…


दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखे डालकर देखते है… मुन्ना... उदास होकर कहता है… सॉरी मम्मा! मुझे पता ही नहीं चला। तभी उसके पिताजी ऑफिस से आ जाते है और मुन्ना की मां उनको सारा मेटर बताती है। वो कहते है, कोई बात नहीं मैं दूसरा टिफिन ला दूंगा… अउ मुन्ना को पास बुलाकर कहते है… इतनी लापरवाही सही नहीं है… तुम्हें अपने बैग और अपना दोनों का ध्यान रखना चाहिए… मुन्ना… सॉरी पापा! कहते हुए उदास हो जाता है…


उसको उदास देखकर पिताजी उसको पास बुलाते है और कहते है, कोई बात नही बेटा! और उसके सर पर हाथ रखकर उसको प्यार से पुचकारते हुए उसकी मां की और बढ़ जाते है… चलो जी मुन्ना के लिए टिफिन लेकर आते है… मुन्ना अपने टिफिन को पिंकी को देने की बात को याद करके मुस्कराते हुए… लव यू पापा…


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