पहला प्यार
पहला प्यार
वह मेरा पहला प्यार था, और आख़री भी। आख़री क्योंकि वैसा प्यार मैं फिर कभी नहीं कर पाई। ये उन दिनों की बात है जब मैं सिर्फ़ सोलह साल की थी।
मॉं का हाल ही में निधन हुआ था। सारी भावनाओं को में भुलाकर अपनी ज़िम्मेदारियों को अपनाने की कोशिश करने में जुट गई। तभी अचानक माँ के तेराहवें दिन पर वह मेरे जीवन में पहली बार आया। रो रो कर उसने सारा घर सर पर ले रखा था। किंतु जैसे ही वह मेरी गोद में आया वह मुस्कुरा दिया और मेरे दबे आँसू निकल पड़े।
वही मेरा पहला और आख़री प्यार है, मेरा भतीजा जिसे में स्वीटहार्ट कहकर बुलाती हुँ।
उसके बाद मेरे जीवन में कई लोग आये; कुछ को मुझसे प्यार हुआ, कुछ से मुझे प्यार हुआ। पर वैसा प्यार कभी न हुआ।
उसके प्यार ने मुझे सिखाया प्यार कितना निस्वार्थ होता है। रिश्तों से मुक्त। हर बंधन से मुक्त।
सचमुच ना उम्र की सीमा, न जन्म का बंधन, बस प्यार प्यार होता है।
अगले महीने मेरे पहले प्यार की शादी है, आइयेगा ज़रूर।