Shalini Dikshit

Inspirational

5.0  

Shalini Dikshit

Inspirational

पहल

पहल

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कापी चेक करते हुए प्रिया हमेशा गाने चला लेती जैसे जैसे म्यूज़िक बजता जाता उसका काम तेजी से होता। आज पूरी तन्मयता से वार्षिक परीक्षा की कॉपियां चेक कर रही है।

कत्थई आंखों वाली एक लड़की...... ये गाना शुरू हुआ की उसके हांथ रुक गए, चेहरे पर मुस्कान आ गई तुरंत ध्यान आ गया की कैसे बचपन में वह एक बार ये गाना गुनगुना रही थी तो उसके छोटे भाई ने कितना चिढ़ाया था ये कह कर कि ये क्या? कुछ भी बना के गा रही हो, ये कोई गाना है ही नही, फिर है और नही है के बीच बहुत जोरदार झगड़ा हुआ था। तब आज की तरह यू टयूब तो था नही की तुरंत सबूत दिखा दिया जाता कि है या नही । लेकिन बिना किसी सबूत के ही मम्मी की डांट सुन के तुरंत सब ठीक हो गया सारा झगड़ा बंद थोड़ी ही देर में फिर दोनो एक साथ खेलने लगे जैसे कुछ हुआ ही न हो।

लेकिन आज क्यों ? आखिर क्यों ? ऐसा नही होता। छोटी सी बात पर कोई इतना नाराज थोड़े ही होता है? 

 यह सब सोच प्रिया की मुस्कान उदासी में बदल गई कि आज हम एक छोटी सी बात पर इतना दूर हो गए है जो बचपन में थोड़ी देर भी दूर नही रह सकेते थे आज महीनों हो गए है कोई खबर नही ली अब अगर डांटने के लिए माँ नही है तो हम ऐसे ही अपनी ऐंठ में रहेंगे क्या ? उसको ही सब ठीक करना चाहिए पहले ही बहुत देर हो चुकी है सोच कर उसने पेन नीचे रख दिया और मोबाइल उठा के भाई को फोन करने लगी।


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