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Sushil Pandey

Drama

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Sushil Pandey

Drama

फिर बाद हमारा क्या होगा ?

फिर बाद हमारा क्या होगा ?

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बिन यादों के तेरी किरदार हमारा क्या होगा ?

खुद से जो निकालूँ मै तुझको फिर बाद हमारा क्या होगा ?

आज सुबह तुम्हारी फोटो देखते हुए पता नहीं क्यों मन रोआँसा सा हो गया, तुम्हारा सच में कोई पर्याय नहीं था माँ, ये बातें समझने में मुझे इतना वक़्त क्यों लग गया और जब समझा तुम नहीं रही।

सभी कहते हैं की समय के साथ सब ठीक हो जायेगा पर अब कितना वक़्त और लगेगा माँ सब ठीक होने में, तुम्हारा जाना इतनी तकलीफे क्यों दे गया मुझे ?

क्यों खूब कोशिश करने के बाद भी मै भूल नहीं पा रहा हूँ तुमको ?

क्यों कभी-कभी बात करते हुए अनायास ही अम्मा मुँह से निकल जाना पुरे दिन तुम्हारी याद दिलाता रहता है।

तड़प तो तब चरम पर होती है जब तुमसे मिल पाने का कोई रास्ता नहीं सूझता माँ।

क्यों तुम्हारे होने की ख़ुशी का अंदाजा तुम्हारे जाने के बाद हुआ मुझे ?

आज दिल भरा भरा सा है रोऊँ की मुस्कुराऊँ

तुम्हारा वो मेरे खातिर सपने देखना की मै शिक्षक बन जाऊंगा तो बाबूजी की तरह रात में ड्यूटी नहीं करनी पड़ेगी मै तो नहीं पर भइया तो बन ही गया न शिक्षक फिर क्यों छोड़ गई मुझे माँ।

सब याद आता है मुझे माँ….

तेरे बुने सपने मेरे खातिर, तड़पाते बहुत हैं

रह दूर मुझसे वो, तकलीफें बरपाते बहुत हैं ।

माना मुश्किल बहुत है यादों से, निपटना तेरी,

नामौजूदगी को याद कर तेरी, घबराते बहुत हैं।

हां अब खाने से रूठना छोड़ दिया है मैने माँ, क्योंकि अब कहां मेरे खाना न खाने तक बिन खाये लगातार इंतजार करता है कोई ?

अब कार्यालय से भी घर जल्दी आना भी शुरू कर दिया है मैने, क्योंकि अब कहां मेरे घर आने तक दरवाजे को एकटक देखते हुए पलक झपकाये बिना इंतज़ार करता है कोई ?

कहाँ कोई अब कहता है की चिंता मत करो सब ठीक हो जायेगा माँ।

अब कहा कोई मेरी सलामती के लिए उपवास रखता है, जब तक तुम थी व्रत करती थी मेरी लम्बी उम्र के लिए मेरी उम्र तो तुम कर गई लम्बी पर तुम्हारे जाने के बाद ये लम्बी उम्र मुझे लानत सी महसूस होने लगी है माँ।

आज भी कुछ अच्छा होने पर सब से पहले तुमको बताने का मन करता है तभी तुम्हारे न होने का एहसास सारी खुशियों पर पानी फेर जाता है माँ।याद तो होगा तुम्हे भी माँ मेरे घर से जाते हुए कुलदेवता की पूजा करने के लिए मेरे खीजने पर भी जिद्द करके वो करवाना और दही गुड़ खिलाना अब मुझे बहुत तड़पाता है माँ।

काश की तुम लौट आती मुझको डांटने की

मुझे दुःख देने में मजा क्या आता था तुम्हें।


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