फ़ीड बैक ~~
फ़ीड बैक ~~
परिवार के वरिष्ठ सदस्य, सम्मानित रिश्तेदारों और ख़ास मित्रों तथा समाज के चयनित कुछ विशिष्ट व्यक्तियों के साथ मास्टर दीनानाथ जी अपनी पोती के बारात आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे।
हाँ बारात आई तो... लेकिन बैंड बाजे में बहारों फूल बरसाओ की धुन के विपरीत तीखे ढोल की आवाज़ थी ...और सम्मिलित बारातियों में किसी ख़ास को पहचानना मुश्किल मालूम हो रहा था, क्योंकि अधिकांश बाराती नशे में चूर थे.. और लगातार उन लोगों के बढ़ते शोर के साथ उनकी विद्रूपता को देख कर लग रहा था ..कि बहु (कन्या की माँ) पार्वती की माँ मैनावती की तरह कहीं बेहोश न हो जाये.. सारे घराती विचलित हुए जा रहे थे ... तभी घबराकर दादाजी अपने बेटे से बोले - " बाराती चुने हुए और सभ्य लोग आयेंगे क्या ये बात तुमने पहले से लड़के के पिता से तय नहीं की थी..?"
दादाजी की बात सुनकर पास खड़े एक लड़के ने कहा - " ज़माना बदल गया है दादाजी, आज कल ऐसे बंदों के बिना बारात, बारात नहीं होती..!"
ये सुनते ही दादाजी अपना सिर पकड़ कर बैठ गए और गहरी स्वांस लेते हुए सोचने लगे -" समय पहले सही था या अब आया है मैं नहीं जानता... . पर विवाह के बाद यदि मुझसे फीड बैक माँगा जायेगा तो मैं ऐसे विवाह को एक नम्बर भी नहीं दूँगा..!!"