Sajida Akram

Inspirational

5.0  

Sajida Akram

Inspirational

फब्तियां

फब्तियां

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आजकल क्या बीते कई सालों ये सब देखती और सुनती आ रही हूँ,

लड़कियों को देखा है बिसुरते हुए और लड़कों को कोसते हुए जैसे इनके घर में बहनें नहीं है क्या। अक्सर स्कूल के आते-जाते इन मनचलों से हर एक लड़कियों को दो-चार होना पड़ता है।

ये लड़के अक्सर फब्तियां कसना या बेशर्मों की तरह सीटी बजाना कभी-कभी तो हद पार करके छेड़छाड़ करने पर उतारू हो जाते हैं।

घर में अम्मी या बड़ी बहनों से शिकायत करो या सलाह लो तो उनका एक ही कहना, तुम लोग एवाइड करो कोई जवाब मत दो ,रास्ता बदल लो आदि-आदि सलाहें दी जाती हैं और ज़्यादा ज़ोर देकर पूछों तो यही कहा जाता है वो तो गंदे उन से क्या कहना बदतामीज़ी पर उतर आएंगें तुम्हारी बदनामी होगी।

मिसाल दी जाती है, "कीचड़ में पत्थर मारोगे तो सिर पैर तक तुम्हारे उपर ही छींटे आएंगे...।

बस ये कह कर हम लड़कियों को चुप करा देना कोई हल नहीं था। मैं अपने बचपन से ही थोड़ी मुंहफट लड़कियों में गिनती थी और तेज़-तर्रार भी थी। अपने स्कूल से आते-जाते लड़कों को पलट कर जवाब देना एक बार तो मैने खींच कर चांटा भी रसीद किया था, बस तबसे ही हौसले बुलंद थे।

एक बार हम एक -दो परिवार के साथ ट्रेन से "गोवा" घूमने जा रहे थे। हमारे साथ मेरी 13 साल की बेटी और उन दो फेमिली के भी बच्चे थे हमारे कम्पार्टमेंट से पहले वाले कम्पार्टमेंट में कुछ लड़कें भी सफ़र कर रहे थे।

हम लोगों को उस कम्पार्टमेंट से गुज़र कर वॉशरूम जाना पड़ रहा था। एक-दो बार निकले तो वो मन-चले फब्तियां कसने लगे। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ। मैंने अपनी बेटी और साथ वाली भाभीजी से कहा ज़रा रुको।

मेरी बेटी और भाभी जी मुझे मना करने, लगी अरे आप मत बोलो, इन लोगों से मैंने कहा, झगड़ा थोड़ी कर रही हूँ दो मिनट बात करनी है इन लोगों से।

मैंने एक लड़के को डपट कर कहा, हट ज़रा और उसकी जगह बैठकर फब्तियां कसने वाले लड़के से पूछा, बेटा आप लोग अच्छे घर के लगते हो, वो लड़के आपस में एक-दूसरे का नाम लेने लगें। मैंने कहा, आपके माँ-बाप ने ये संस्कार दिए हैं कि किसी की भी माँ -बहन पर फब्तियां कसना या बुरी बातें करना हम भी किसी की माँ -बहन हैं आप पढ़े-लिखे परिवार से लगते हो ये बातें शोभा नहीं देती।

फिर हमने 48 घंटे का सफर किया। कई बार निकले उधर से फिर कोई फब्तियां की आवाज़ नहीं आई। मेरे साथ वालों ने कहा, वाह भाभीजी, आपने बहुत सही किया, उन लड़कों को सही कर दिया। अगर हम ख़ामोशी से सुनते रहे तो बात बहुत बढ़ जाती है।


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