पढ़ाई के भूतों का घर
पढ़ाई के भूतों का घर
सब बच्चे इकट्ठे होकर के चर्चा कर रहे थे की भूतों का भी घर होता है क्या। किसी ने भूत का घर देखा है। सब अलग-अलग तरह से अपनी अपनी कहानियां सुना रहे थे ।
हमने भी अपनी कहानी कह डाली जी हां भूत का घर होता है और भूत भी बहुत बहुत तरह के होते हैं। मैंने पढ़ाई के भूत का घर देखा है। जब हम छोटे थे।
तब हमारे घर में पूरा घर पढ़ाई के भूत का घर ही बन जाता था परीक्षा के दिनों में घर यूनिवर्सिटी के पास होने के कारण बाहर गांव से परीक्षा देने वाले भी हमारे घर ही आते थे। पूरा पढ़ाई का माहौल ही बन जाता था। कोई किसी से बात नहीं करता पिन ड्रॉप साइलेंस। लोग बोलते थे यहां इंसान बसते हैं क्या या सब पढ़ाई करने वाले ही। भूत की तरह पढ़ाई करने वाले ही बसते हैं । तो हुआ ना वह पढ़ाई का भूत का घर जो सबके सिर चढ़कर बोलता था। बाहर के कमरे में दो जने पढ़ रहे। बीच वाले कमरे में दो जने। अंदर के कमरे में यूनिवर्सिटी में परीक्षा देने के लिए आए पढ़ने वाले सब तरफ पढ़ने वाले ही पढ़ने वाले मानो सब पर पढ़ाई का भूत सवार हो गया हो। पढ़ने वाले उनका ध्यान रखने वाले लोग भी घर में कुछ ना बोले वे भी अपने कुछ ना कुछ पढ़ते रहते थे।
सब अपना ध्यान अपना पढ़ने में ध्यान लगाते बातें भी पढ़ाई की ऐसा ही लगता जैसे कि यह पढ़ाई के भूतों का घर है। ना छूट के हमको भी पढ़ना पड़ता
जब सब की परीक्षा खत्म हो जाती तब हमको चैन की सांस आती कि अब कुछ मस्ती मजाक कर सकते हैं नहीं तो जबरदस्ती किताबें लेकर के ही बैठना पड़ता था क्योंकि वह पढ़ाई के भूतों का डेरा जो था।
