पड़ोस
पड़ोस
"बिलकिस आज फिर लड़ लिया क्या पड़ोसन से" "मैं काय कूं लड़ती,वोइच सुबू सुबू मेरा दिमाग खराब कर दी। मेरी मुर्गी उसके आँगन मे जाकर अण्डा दी। मैं अण्डे मांगी उसको तो बोली मुर्गी उसके आँगन में किदर आई। आइसा झूठ तो बी नई बोलने का जी। अण्डे चोर कहीं की। "तुमने उसे अण्डे चोर कहा" "हऊ,बोली मैं।वो मेरे कूं रोजिच बोलती मैं उसकी बकरी का दूध निकाल लेती। आपिच बोलो,मीरा मेम ,उसकी बकरी मेरी बाड़ी की हरी सब्जी खा जाती। जान बूझ के मेरी बाड़ी मे छोड़ती वो, मैं बकरी का दूध निकाल लेती। क्या गलत करती जी मैं। तो मेरे को चोरनी बोली वो। मैं काय को चुप रहती। मैं अण्डे चोर बोली उसको।" बिलकिस और देवकी पड़ोसी थी और आये दिन उनका किसी न किसी बात वाकयुद्ध होना कोई नई बात नही थी। "देखो बिलकिस ,पड़ोसी से झगड़ा करना ठीक नही होता। वक्त जरुरत पड़ोसी ही एक दूसरे के काम आते है। तुम दोनो की लड़ाई का दूसरे मज़े लेते है उनका तो मुफ्त का मनोरंजन है" "हऊ,आप भी न, मेरे कोईच बोलते" देवकी अपनी बकरी को देखने दोपहर को बिलकिस की बाड़ी मे गई। दरवाज़े खुले,"बिलकिस काम के वास्ते नई गई क्या"अंदर जाकर देखा, नीम बेहोशी, तेज़ बुख़ार मे बिलकिस। जल्दी से अपने मरद को बुलाया, ऑटो मे बिलकिस को ले कर अस्पताल पहुँचीं। लौटते मे बिलकिस ने देवकी के कन्धे पर अपना सिर टिका दिया, कुछ तो कमज़ोरी थी, कुछ प्रेमवश-- "सही बोलती मीरा मेम, टाईम पे पड़ोसी ही काम आता। दूसरे लोग तो फोकट का मज़ा लेते।।