पासपोर्ट
पासपोर्ट
विदेश यात्रा हम भारतीयों , विशेषकर मध्यमवर्गीय भारतियों के लिए अपनी शान दिखाने का एक बड़ा मौका होती है।खैर कोरोना ने अब विदेश यात्रा पर अघोषित पाबन्दी लगा दी है . वाकई में ,हाल ही किये गए एक सर्वे के अनुसार हम भारतीय छुटियों में टूर का प्लान आनंद के लिए नहीं ,बल्कि दिखावे के लिए अधिक करते हैं।
मुझे तो अपनी विदेश यात्रा पर और भी गुमान था क्यूंकि मैं सफ़ेद रंग के पासपोर्ट पर जो यह यात्रा कर रही थी। मतलब यह कि सरकार की तरफ से प्रशिक्षण के लिए मुझे विदेश भेजा गया था। मेरा डिप्लोमेटिक पासपोर्ट था ;इस पासपोर्ट का फायदा यह है कि आपको वीसा नहीं लेना पड़ता और immigration window पर आपको प्रेफरन्स दी जाती है।
यह यात्रा तीन वजहों से मुझे हमेशा याद रहती है। दो वजह तो आपको पहले ही बता दी है ,भई एक तो विदेश यात्रा ;ऊपर से वह भी सरकार द्वारा कराई गयी। और तीसरी वजह के कारण तो मुझे आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा था और अपने बॉस से डाँट खानी पड़ी थी वो अलग ।
हमारी ट्रेनिंग के समाप्त होने के बाद हम सब लोग एयरपोर्ट पहुंचे। वापस भारत नहीं आना था क्या ? जैसे ही बोर्डिंग पास लेने के लिए मैंने अपना पासपोर्ट निकालना चाहा तो मेरे हैंडबैग में पासपोर्ट नहीं था। मैंने अपने लगेज में ,हर जगह पर चेक किया ;लेकिन पासपोर्ट मेरे पास नहीं था। मेरे तो होश फाख्ता हो चुके थे। मेरे बॉस मुझ पर जितना चिल्ला सकते थे ,उन्होंने चिल्लाया।
तब मैंने बॉस को धीरे से बोला ,"सर ,मुझे लगता है कि मैंने अपना पासपोर्ट होटल में अपने रूम की टेबल पर रख दिया था और वहां से उठाना भूल गयी। क्यों न एक बार होटल में फ़ोन करके पूछ लें."
बॉस भी समझ चुके थे चिल्लाने से पासपोर्ट तो मिलेगा नहीं ,बेहतर है ढूंढ़ने का प्रयास किया जाए। हमारी फ्लाइट छूटने में केवल २ घंटे बचे थे। होटल में फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि पासपोर्ट वहीँ होटल में रह गया है। अब दो ही विकल्प थे या तो खुद पासपोर्ट लेने जाओ या होटल के किसी कर्मचारी से मंगवाओ .होटल अगर पासपोर्ट लेने जाते तो वापस जाकर आने में २ घंटे से ज्यादा लग जाते तो फ्लाइट निश्चित तौर पर छूट जाती। इसलिए दूसरा विकल्प ही बचता था .
पासपोर्ट टाइम पर मुझे मिला या नहीं ;यह जानने से पहले आपको यह भी जान लेना चाहिए कि मुझसे इतनी बड़ी गलती हुई कैसे ?तो हुआ यूँ कि हमारी यात्रा का आखिरी दिन था तो घूम-फिरकर, शॉपिंग ,डिनर आदि करते हुए हम थोड़ा देर से अपने होटल आकर पहुंचे। मेरे एक बैचमेट का पासपोर्ट मेरे पास ही था। मैंने जब उसका पासपोर्ट उसे निकालकर दिया ,तब खुद का भी निकाल कर टेबल पर रख दिया।थकी हुई थी तो सोचा सुबह पासपोर्ट रख लूंगी। लेकिन सुबह जल्दबाज़ी में पासपोर्ट हैंडबैग में रखना भूल गयी और पासपोर्ट वहीँ रह गया।
अब पासपोर्ट मिल तो गया था लेकिन एयरपोर्ट तक कैसे पहुंचेगा। काश पासपोर्ट के पंख होते ,तो मुसीबत ही नहीं होती। होटल फ़ोन करके रिसेप्शनिस्ट को रिक्वेस्ट की कि टैक्सी करके पासपोर्ट दे जाओ;आने -जाने की टैक्सी का भुगतान कर देंगे । रिसेप्शनिस्ट को पासपोर्ट का महत्व अच्छे से पता था। तो उसने भी मौके पर चौका मारते हुए बोला कि १०,००० /- अतिरिक्त देने पड़ेंगे। उसने अपने देश की करेंसी में पैसे मांगे थे ,लेकिन मैं यहाँ आपको उनकी इंडियन रूपये में वैल्यू बता रही हूँ। मुझे जितनी गालियां आती थी ,मन -ही मन उसे दे रही थी। लेकिन मरती क्या न करती ,मैंने उसे कहा ," जितने चाहिए उतने रूपये ले लेना , लेकिन पासपोर्ट दे जा।"
मेरे साथ के सभी लोग बोर्डिंग पास लेकर ;बाकी की औपचारिकता पूरी करने चले गए और मैं अकेली अपनी लापरवाही को कोसती पासपोर्ट का इंतज़ार करने लगी। फ्लाइट छूटने के 45 मिनट्स पहले पासपोर्ट मेरे हाथ में आया। मैं बोर्डिंग पास लेने पहुँची ,उन्होंने पता नहीं किससे क्या फ़ोन पर बात की ;लेकिन मुझे इकॉनमी क्लास के फ्लाइट के टिकट पर बिजनेस क्लास का टिकट मिला। चलो 15000 /- खर्च करके पहली बार बिज़नेस क्लास में तो ट्रेवल करने को मिलेगा ,मेरे दिल ने मुझसे कहा। दिमाग तब ही बीच में टपक पड़ा और कहते हुए मेरी ख़ुशी पर पानी फेर दिया ,"अरे ,मूर्खों की महारानी ,बिज़नेस क्लास में बैठने के लिए फ्लाइट में जाना पड़ेगाऔर तेरे पास सिर्फ 30 मिनट्स हैं। मेरी एड्रिनल ग्रंथि सक्रिय हो गयी थी और मैंने दौड़ लगा दी। immigration सफ़ेद रंग के पासपोर्ट के से क्लियर हो गया।
मैंने दौड़ते हुए कई बैरिकेड तोड़े ,लेकिन फाइनली मैं बोर्डिंग गेट पर पहुंच ही गयी और जैसे ही मैं पहुंची ;बोर्डिंग गेट बंद कर दिया गया। गोली मेरे एकदम कान के पास से गुजर गयी थी। बिज़नेस क्लास में बैठते ही मैं अपना आर्थिक नुक्सान और बॉस की डाँट सब भूल गयी थी क्यूंकि गुमान की एक और वजह मिल गयी थी।
