पासा पलट गया

पासा पलट गया

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“ ट्रिंग...ट्रिंग .. उफ्फ्फ ...कॉल बेल के चलते कभी ठीक से आराम नहीं कर पाती ! कभी धोबी, कभी कचरे वाला ...कभी कामवाली.. कभी केवल वाला या नहीं तो पेपर वाला.. ! दरवाज़ा खोलो...बंद करो, दिन भर यही लगा रहता है।  जाइए जी.. आप ही देखिये कौन आया है, अभी मैं बिस्तर से उठने वाली नहीं।  ”मैंने बगल में बैठे पतिदेव से कहा। 

अनमनाये से वो उठकर बाहर निकल गए ।

“आओ... संभालो...अपनी कमली को। ” पतिदेव ने दरवाज़े से आवाज़ लगाया। 

“अरे...फिर क्या हुआ...इसे ?” मन मसोसते हुए मैं बिछावन से उठकर बाहर गई। अरे...कमली (कामवाली) ये क्या ? ओह! चेहरे पर काले निशान ! चल, अंदर..। ”मैं कमली को साथ में अंदर ले आई। 

“मेमसाब , आज से मैं काम नहीं करूंगी...यही कहने आयी हूँ। ”

“पहले ये बता, ये काले निशान तेरे चेहरे पर कैसे ?” “मेमसाब, मेरे मर्द ने... आज, फिर शराब पीकर, मुझे खूब पीटा है। जब भी घर खर्च के लिए पैसे मांगती हूँ, जानवरों की तरह व्यवहार करता है। बच्चों के सामने चिल्लाकर मुझसे कहता है...जा..उस कोठेवाले से पैसा ले, जिसके घर सबेरे -सबेरे उठकर भागती है। मेमसाहब, मार-पीट सहा जाता...पर, पति के द्वारा बदचलन कहलाना मुझसे बर्दाश्त नहीं होता! दिल करता है, चारों बच्चियों के साथ रेल की पटरी पर सो जाऊं!” कहते-कहते कमली फफक पड़ी। 

“शराब पीकर तुझे मारता है...सो तुमसे सहा जाता है... तुम पर लांछना लगाता है, वो बर्दाश्त नहीं होता ! अरे...बच्चियों को तालीम देकर आत्म निर्भर बनाओ..नहीं तो तुम्हारी तरह उसे भी पति के शिकंजे में रहकर जिंदगी गुजारनी पड़ेगी। बच्चों को जन्म देने से ही औरत माँ नहीं बन जाती, उसे माँ कहलाने के लिए बीज की तरह गलना पड़ता है। अब घर जाओ बच्चियाँ तुम्हारा इन्तज़ार कर रही होगी। हाँ...एक बात ध्यान रखना..'लोहा लोहे को काटता है।

कभी भी तुम्हारा पति तुम पर हाथ उठाये, तुम अपने हाथों पर भरोसा रखकर, इस निर्जीव का इस्तेमाल सजीव पर करना मत भूलना। ” अपने पैरों से चप्पल खोल उसको पकड़ाते हुए मैं भड़ास निकालते हुए बोली। 


कमली की पथरायी आँखों में एकाएक हलचल मच गयी, वो ..झट, चप्पल को संभालते हुए दरवाज़े से बाहर निकल कर जोर से चिल्लायी , " मेमसाहब, कल से मैं काम करने आऊंगी ।"



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