sonal johari

Drama Horror Romance

4.1  

sonal johari

Drama Horror Romance

पार्ट-4 क्या अनामिका वापस आएगी ??

पार्ट-4 क्या अनामिका वापस आएगी ??

7 mins
556


पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अनामिका के जाने के बाद अंकित कुछ आवाजें पास वाले कमरे से सुनी, और दरवाजा खोल दिया ....अब आगे इस पार्ट में......


पूरे कमरे में धुप्प अंधेरा था, कुछ नहीं दिख रहा था, उसने जोर से कहा "कौन है यहाँ....मैं पूछता हूँ.. कौन है यहाँ...जवाब दो"

"यहाँ बस्स मैं.. और आप ..हम दो ही हैं अंकित जी"

अंकित ने जब पीछे मुड़कर देखा तो अनामिका हाथ में लड्डू की प्लेट लिए खड़ी थी

"मेरा यकीन कीजिये अनामिका जी, मैंने अभी-अभी दो लोगों को बात करते सुना है...यहीं ..इसी कमरे से आवाजें आ रहीं थीं

उसने अपने दोनों हाथ कमरे की तरफ़ इशारा कर, आंखें फैलाते हुए कहा,

अनामिका ने कमरे में जाकर लाइट का स्विच ऑन कर दिया..

पूरा कमरा रोशनी से भर गया, ना कोई आलमारी, ना कोई बेड, सीधी सपाट दीवारों पर कुछ पेटिंग्स लगी थीं, और चार खूबसूरत आरामदायक कुर्सी एक मेज के साथ फर्श पर लगे थे ...यहाँ कोई छिप भी नहीं सकता, कोई और दरवाजा तक ना था..अंकित अपनी आंखों से ये सब देख ही रहा था, कि अनामिका ने उसका हाथ पकड़कर उसे कमरे के अंदर हल्का खींच सा लिया और बोली,

"देखिए, अच्छी तरह देख लीजिए..कोई था, तो कहाँ गया..मैंने आपको पहले भी कहा था, यहाँ सिवाय मेरे ,कोई नहीं" उसका हाथ अब तक अंकित के हाथ में था, कमरे की आवाजों वाली बात तो दरनिकार हो गयी थी, अब उसे अनामिका के हाथ की छुअन से अपनी धड़कने बढ़ी महसूस हो रही थी अपने होंठ भींचे वो उसे अपलक तब तक देखता रहा जब तक अनामिका ने अपना हाथ हटा नहीं लिया

"अंकित जी, क्या आप किसी की कमी महसूस करते  हैं.. अपने जीवन में" उसने अपनी नजर अंकित के चेहरे पर गड़ाते हुए पूछा,

"जी..जी...हाँ ..वो अपनी माँ की, हाल ही में उनका निधन हो गया...क्यों ..आप ऐसे क्यों पूछ रहीं हैं ?" खुद को वो अब भी संयत महसूस नहीं कर पा रहा था

"क्योंकि जब हम किसी की कमी महसूस करते हैं, तब ही ऐसा कुछ महसूस करते हैं"

"पता नहीं... लेकिन माफी चाहूँगा ऐसे बिना आपकी इज़ाज़त यूँ मुझे दरवाजा नहीं खोलना चाहिए था, ये एटीकेट्स में नहीं आता, आइ एम सॉरी" उसने अपनी नजरें झुकाते हुए कहा,

"सॉरी किसलिए, अपनों को तो फिक्र होती ही है, आप मेरे अपने ही तो हैं" उसने मुस्कुराते हुए कहा

"मैं... आपका ..अ ...प...ना" उसने अटकते हुए बात दोहरा दी

"क्यों...नहीं हैं क्या"? वो अब तक मुस्कुरा रही थी

अंकित को लगा उसके दिल की धड़कन दो सौ की स्पीड से दौड़ रही है, बहुत से भावनाएं एक साथ आयीं पर ये ना समझ आये कि कहे क्या 

"वो अ ...अ ...अनामिका जी..मुझे कुछ याद आ गया..बहुत जरूरी काम करना है, कल मिलता हूँ आपसे" और बाहर की ओर दौड़ गया,

बेतहाशा भागते हुए उसी पेड़ के पास आकर रुक गया जहाँ पहली मुलाकात में अनामिका ने उसका इंतजार किया था जब वो आंटी जी को सामान रखने के लिए मना रहा था

और बड़बड़ाने लगा ' गधा है तू अंकित बेबकूफ है सो भी एक नम्बर का, 'अपने दोनों हाथ सर पर रख वो अपने पैर को पेड़ पर मारे जा रहा था, 'वो खुद कह कह रही थी, आप मेरे अपने हैं' और तू वहाँ से भाग खड़ा हुआ, ना जाने क्या सोच रही होगी वो मेरे ऐसे व्यवहार से, स्साला.. हद्द है जहिलपने की ...! खीजते हुए घर की ओर आया और डोरबेल बजाई, सरोज ने दरवाजा खोला, पूजा की थाली हाथ में लिए थी, शायद पूजा करते करते घंटी की आवाज सुन ऐसे ही आ गयी थी, मुस्कुराते हुए अंकित की बलाइय्या लेने लगी "ईश्वर तुझे तरक्की दे, बहुत खुश रखे"

"आपको डांस करना आता है, आंटी" अंकित ने बड़े खुश होकर पूछा

"डांस...अब आजकल के बच्चों जैसा तो नहीं, लेकिन कहीं महिला संगीत होता है या जागरण तो थोड़ा यूँ ही हाथ पैर हिला देती हूं, देख ना कितनी तो मोटी हैं तेरी आंटी" उन्होंने अपने कमर पर हाथ रखते हुए कहा

"मोटे होंगे आपके दुश्मन, क्या अपने अंकित की जॉब लगने की खुशी में नहीं नाचेंगी" ये कहते हुए अंकित ने पूजा की थाली हाथ से लेकर साइड में रखी और उनका हाथ पकड़ नाचने लगा

"अरे सच में क्या, बता ना कहाँ लगी है "बड़ी खुश होकर आंटी ने ठुमकते हुए पूछा

"यहीं राव इंडस्ट्री में ...माँ" अपने आप उसके मुंह से सरोज के लिए 'माँ 'शब्द निकल गया जिसे सुन सरोज भावुक हो गयीं और अंकित को गले लगाकर बोलीं, "बहुत तरक्की कर ..खुश रह जीता रह...मेरे बच्चे"

दोनों को ऐसे डांस करते देख घनश्याम, सरोज के सामने आकर बोले

"बहुत बढ़िया, देखती जाओ....पूरी तरह पागल कर देगा ये लड़का तुम्हें "

"अर्रे तुम तो बस एक ही रथ पर सवार रहते हो, सुनो तो उसे नौकरी मिली है" सरोज ने नाचते हुए कहा

"नौकरी ...इस समय ? जरा सुनूं तो कहाँ मिली है"

"अंकल जी, राव इंडस्ट्री में,पर्सनल अस्सिटेंट की जॉब है" अंकित ने बहुत विनम्र होकर कहा

"लेकिन, तुम तो टीचर हो न "?

"जी, लेकिन भगवान...."बात पूरी भी ना कर पाया अंकित कि बीच में ही उन्होंने टोकते हुए पूछा

"सैलरी कितनी मिलेगी"?

"वो ..पांच दिन बाद तय होगी"

"और पांच दिन बाद एक नया बहाना बना देना, सरोज की तरह मुझे पागल मत समझो..ये बाल यूँ ही धूप में सफेद नहीं हुए" उन्होंने चिढ़ते हुए जवाब दिया

"आप तो ..."सरोज ने कुछ कहना चाहा तो उन्होंने बीच में ही हाथ का इशारे से रोक दिया और बोले

"सरोज ,मैं बाज़ार जा रहा हूँ ...पनीर लेने ..तुम मसाला तैयार कर देना आज सब्जी मैं खुद बनाऊंगा"

उनके बाहर जाते ही सरोज ने अंकित की ओर देखकर कहा

"ये ना...,मेरी सुनते ही नहीं"

"आंटी जी, मुझसे अंकल जी.. से बिल्कुल शिकायत नहीं" उसे हँसता देख सरोज ने उसके बालो में हाथ फेरते हुए कहा "माँ ही बोल ना"

"हाँ... हाँ ..मां ..मुझे कोई शिकायत नहीं किसी से" और हँसते हुए सीढ़ियाँ चढ़ अपने कमरे में पहुंच गया

बिस्तर पर लेट गया ......

#आप मेरे अपने ही तो हैं# आप मेरे अपने ही तो हैं# अनामिका की कही ये बात अंकित के दिमाग में लगातार टेप रिकॉर्डर की तरह बज रही थी और अंकित मुस्कुराता हुआ बस करवटें बदलता जा रहा था ,और ऐसे ही करवटें बदलते -बदलते थोड़ी देर बाद उसे नींद आ गयी 


राव इंडस्ट्री पहुंचा ही था अंकित को देख, राखी ने आवाज लगा दी "अंकित सर, एक मिनट...कुछ डिटेल्स फिल करनी हैं, बस्स दो मिनट लगेंगे" उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा तो अंकित बोला

"हाँ मेम पूछिये"

"पूरा नाम"

"अंकित "

"सर ..सरनेम बताइये"

"मैं सरनेम लगाता ही नहीं, लगाना भी नहीं चाहिए"

"ओह्ह इम्प्रेसिव ,अच्छा हाइट बताइये अपनी"

"हाइट क्यों"?

"यहाँ का रूल है, सर"

"ओके, फाइब फ़ीट इलेवन"

"हम्म, बॉडी वेट?"

"सेवेंटी नाइन"

"उम्र"

"29"

गेँहूए रंग के स्मार्ट और खूबसूरत और काबिल अंकित को राखी मुस्कुराते हुए देखने लगी, अपनी ओर राखी को ऐसे देखते हुए अंकित थोड़ा असहज हो गया और बोला 

"मेंम, कुछ और पूछना है क्या आपको"

"अ ..अ ..नहीं... लेकिन बताना है, राव सर को शुगर की प्रॉब्लम है, तो कुछ मीठा मत खाने देना, आज आपका पहला दिन है, तो मुबारक हो"

"थैंक यू"

अंकित जब अंदर पहुंचा ही था, कि राव सर आ गये,

"गुड़ मॉर्निंग सर"

"वेरी गुड़ मोर्निग अंकित, सबसे पहले कॉफी मंगा लो" उन्होंने बेग रखते हुए कहा

"अंकित ने कॉफी मंगा, उन्हें फीकी कॉफी दी, और अपनी कॉफी में शुगर डालने लगा अभी एक चम्मच ही डाली थी, कि नजर राव सर की तरफ चली गयी जो, उसे ही देख रहे थे,

"हा हा जनाब ,यूँ मेरे सामने अपने कप में आप ऐसे शुगर डालेंगे तो क्या मैं खुद को रोक पाऊंगा" वो अभी भी जोर से हँस रहे थे

"माफ कीजिये सर, आज के बाद मीठी कॉफी कभी नहीं पिऊंगा, और आपके सामने तो बिल्कुल नहीं"

"बहुत अच्छे, अच्छा सुनो, टाइम कम है, और आपने पहले ही कहा है कि ट्रेनिंग नहीं चाहिए, तो पकड़ो इस फ़ाइल को, इसमें सारे बागानों की डिटेल है, ध्यान से पढ़ो ...उसके बाद संपतलाल के साथ चले जाना और खुद देखकर आना.."

"यस सर"

"मैं चाहता हूँ, तुम्हें चीज़े अच्छे से पता हो, एक हिंट देता हूँ कि वहां जाकर बस बाग़ान देखना भर नहीं... समझ गये ना"

"जी बिल्कुल सर"

"ठीक है जाओ फिर, खत्म करो ये काम आज के आज"

और अंकित संपतलाल के साथ बागान देखने चला गया, गाड़ी से उतर जब ..फलों से लदे पेड़ देखकर बड़ी खुशी से वो बोला 

"देखो संपत ,ये पेड़ फलों के साथ कितने खूबसूरत दिख रहे हैं, हैं ना?"  कुछ बोलो ना, कोई उत्तर न पाकर जब वो पीछे पलटा तो देखा.. कोई नहीं था, संपतलाल ने थोड़ी दूर से अपना हाथ उसकी ओर देखकर हिलाया ये जताने कि वो वहाँ है, संपतलाल पगडंडी पर आया ही नहीं, बल्कि वही रुक गया और बीड़ी पीने लगा 

अंकित वापस मुड़ा अपना काम पूरा करने में लग गया, उसे बराबर लगा कि कोई साथ साथ चल रहा है, लेकिन जब पीछे मुड़कर देखता तो कोई ना दिखता, काम खत्म कर जब जाने लगा तो उसे यकीं हो गया कि कोई उसके पीछे -पीछे चल रहा है, और इस बार वो अचानक एक झटके से पीछे मुड़ा तो अपनी आंखों पर यकीन ना हुआ................क्रमश


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama