पार्ट 2 : मालवन में "वो"
पार्ट 2 : मालवन में "वो"
पिछले पार्ट में पढ़ा कि कुछ गुंडे एक लड़के का मर्डर कर देते हैं ..वहीं दूसरी तरफ अर्जुन से ब्रेकअप के बाद मंजरी आत्महत्या करने जा रही है..अब आगे..
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
मंजरी ने अपने पंजे पर उचककर अपने दोनों हाथ ऐसे फैलाये जैसे वो एक चिड़िया है जो उड़ान भरने जा रही है..उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, तेज़ हवा थपेड़े से लगा रही थी,और पानी की लहरे ऊपर तक आ आ कर जैसे उसे बुला रही हों..उसने एक गहरी साँस भरी...
.."एक सुंदर बांसुरी की ध्वनि वाली रिंगटोन बजी उसके मोबाइल पर....वो झींक गयी "हे भगवान ये फोन इसी वक्त आना था क्या..आह ...हे शायद अर्जुन का हो..( खुश होकर) आह तुमने मेरी सुन ली भगवान " उसने दोनों हाथ आसमान की ओर जोड़ कर कहा...अपने पर्स से मोबाइल निकाला..एक अननोन नम्बर से फोन आ रहा था,
'मुझे पता है अर्जुन ये तुम ही हो..' बुदबुदाते हुए उसने फ़ोन उठाया
"हैलो ..मंजरी..अरी कहाँ है सुबह से..दवा मिली या नहीं..जल्दी घर आ.." उसकी माँ सुशीला का फ़ोन था
"अररे माँ ..क्या है ये...पहले ये बताइये..ये नम्बर किसका है"? मंजरी चिढ़ते हुए बोला
"तेरे ताऊ जी का..जल्दी घर आ ..वो तुझे देखना चाहते हैं.." वो खुश होकर बोली
"अररे माँ नहीं आना मुझे घर वर..ना अभी.. ना कभी.." वो रोते हुए बोली
"ओहहो आलू के पराठे ना हुए ..नियामत हो गया..जल्दी आ बना देती हूँ अपनी लाडो के लिए आलू के पराठे, चटनी और बढ़िया सी चाय के साथ खिलाती हूँ, " सुशीला ने ये सोचते हुए बोला कि सुबह आलू के पराठे बनाने की मंजरी की फरमाइश को उन्होंने मना कर दिया था..इसलिए मंजरी नाराज है।
"मुझे नहीं आना माँ ..सब खत्म हो गया"..वो उदास होकर बोली।
"उतर गया हो तेरी एक्टिंग का भूत ..तो घर आजा, तेरे ताऊ जी आज ही वापस जाएंगे..सोमेश की शादी है..जो नीले रंग का लहंगा खरीदा है बड़े अरमान से तूने उसे पहनने का टाइम आ गया..जल्दी आजा"..बड़ी खुश होकर वो बोली और उन्होंने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया...
"हद्द है.. मैं मरने को उतारू हूँ और वो इसे हल्के में ले रही हैं...मैं मर भी नहीं सकती...हे भगवान क्या है ये..क्या करूँ..अजय भी बाहर गया है ...दवा भी रोज़ लेनी होती है माँ को. ..ठीक है ताऊ जी से मिल ही लेती हूँ..लेकिन सच में कल तो पक्का सोसाइट कर ही लूँगी..."वो टूटी -फूटी दीवार से उतरते हुए बोली...और टैक्सी लेकर घर आ गयी।
दोनों बांहों की आस्तीन कोहनी तक समेटे वो दनदनाता हुआ राहुल के ऑफिस घुसा..और सीधे उसकी केबिन की ओर जाने लगा..लगभग 800 से 1200 लोगों से भरा राहुल का ऑफिस उसकी उन्नति की जीती जागती तस्वीर बयान कर रहा था...
उसने राहुल के दरवाजे को पैर मारकर खोला.. "ये जानते हुए भी कि मंजरी और मैं एक दूसरे को इतना चाहते हैं...प्रोजेक्ट के नाम पर तू उसे कौन सी पट्टी पढ़ा रहा है..."
अर्जुन गुस्से में अपनी एक आई ब्रो उचकाते हुए बोला
"भगवान के लिए अंदर आ जा ..अंदर बात करते हैं, (राहुल अपनी सीट से उठा और हाथ पकड़कर उसे अंदर की ओर खींचते हुए बोला...
दोनों कॉलेज तक साथ ही थे..कैरियर में जहाँ अर्जुन ने रीयल स्टेट का बिजनेस चुना और खुद को स्थापित किया वहीं राहुल ने खुद को ट्रेवल के बिजनेस में ...अर्जुन का बिजनेस अच्छा चल निकला दोनों दोस्त जब मिलते अर्जुन अपने सफलता के किस्से राहुल को बताता ..और राहुल जिसका बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा था तो उसे लगता अर्जुन उसे अपनी सफलता के बखान सुना कर चिड़ाता है..जिससे समय बीतते- बीतते राहुल मन ही मन अर्जुन से जलने लगा था...और फ़िलहाल अर्जुन अपने बिजनेस में लगातार घाटा और असफलता का मुँह देख रहा था...वहीं राहुल इन दिनों सफलता के दौर को जी रहा था....
"छोड़ मुझे, और जो पूछा है उसका जवाब दे.." अर्जुन अपना हाथ छुटाते हुए बोला...
"कैसी बात कर रहा है अर्जुन...जब से मुझे पता लगा है तुम दोनों रिलेशन में हो...मैं बल्कि ज्यादा सजग हो गया हूँ, लेकिन देख रहा हूँ इधर मंजरी ही मुझमें इट्रेस्ट ले रही है यार....
"रा...हु...ल...." अर्जुन ने चीखते हुए राहुल का कॉलर पकड़ लिया .." उसकी की आँखें गुस्से से लाल हो गयी..और बिना एक पल गवाये उसने राहुल को एक थप्पड़ जड़ दिया..
'चटाक ' की आवाज के साथ ही कुछ पल के लिए केबिन में सन्नाटा छा गया...बस्स अर्जुन की साँसे सुनी जा सकती थी...
...राहुल कुछ देर अपने दाहिने हाथ को अपने गाल पर चुपकाये खड़ा रहा...और दाँत पीसता रहा ...फिर ना जाने क्या सोचकर खुद को संयत किया उसने और बोला
"तेरे इस थप्पड़ का बुरा नहीं मानूँगा ..दोस्त जो ठहरा ...समझ सकता हूँ यार...लेकिन उसने प्रोजेक्ट के लिए खुद रिकवेस्ट की तो बता...मना कैसे करता ?....तुझे बिजनेस में घाटा लग रहा है और आजकल लड़कियों को तरक्की करते हुए लड़के ज्यादा पसंद आते हैं तो ..यू नो...शायद इसीलिए।" इतना बोल उसने कन्धे उचकाते हुए कनखियों से अर्जुन की ओर देखा।
अर्जुन की आंखें गुस्से में आँसुओं से भर गई
"अब जब सामने से ही कोई इंट्रेस्ट दिखा रहा हो ..तो क्या दोष है मेरा" राहुल ने कहा।
अर्जुन माथे पर बल डालता मुड़ा और राहुल के केबिन के दरवाजे पर उसने पूरी ताकत से मुक्का मार दिया..
राहुल के मुंह से 'आह' निकला..और दनदनाता हुआ अर्जुन बाहर निकल गया..अर्जुन का घूँसा पड़ने से कांच में हल्का निशान बन गया था...राहुल अपनी कुर्सी पर बैठा और मुँह से "युहुऊ "करते हुए कुर्सी सहित घूम गया।
"मंजरी के लायक नहीं है तू..अर्जुन ..बहुत गुमाँ था ना तुझे अपनी कामयाबी और प्यार पर..(फिर गाल पर हाथ रखते हुए) ये थप्पड़ मारा तो तूने मुझे है ...लेकिन तिलमिलायेगा तू सारी जिंदगी....कुछ भी कहो तुझे ऐसे बिलबिलाते देख मज़ा आ गया ...कसम से "
माथे पर बल डाले और गुस्से में तमतमाते खुद से ही ये बोलते हुए उसने लैंडलाइन का रिसीवर उठाया और बोला...
"सुनो बाँके, सारे ऑफिस स्टाफ के लिए पिज़्ज़ा और कोल्ड ड्रिंक मँगवाओ "..फिर उसने अपने दोनों पैर मेज़ पर रखे और आंखें बंद कर कोई गाना गुनगुनाने लगा...
****
मंजरी ने डोर बेल बजायीं तो रबेन्द्र उसके ताऊ जी ने ही दरवाजा खोला उसे देख उनके चेहरे पर हँसी तैर गयी थी
"मंजरी...मेरी बच्ची ..पता है तुझे कितने सालों बाद देख रहा हूँ (फिर अपनी तीन उंगलियां हिलाए हुये) पूरे तीन साल बाद...सुना है जॉब करने लगी है..बहुत बढ़िया.."
सत्तर साल की उम्र रही होगी रबेन्द्र क़ी, एक सरकारी बैंक से मैनेजर के पद से रिटायर्ड हुए, सिर के दस परसेंट बाल अब भी काले थे, मोटा चश्मा लगा था..औसत नैन नख्श ..बहुत खयाल ना रखने के कारण और तायी जी के देहान्त के बाद दुखी रहने से ..काफी हद तक शरीर के खाल लटक गई थी..लेकिन अपने सामान्य काम और आवाजाही खुद करने में सक्षम थे, सोफे पर पास ही एक छोटा सा बैग रखा था..जिसमें एक पेंट-शर्ट था ...उनका नियम था..किसी भी रिश्तेदारी में अगर दिन के दिन भी बापस आना होता था,फिर भी वो कपड़े जरूर बदलते..
मंजरी "नमस्ते" की मुद्रा में अपने दोनों हाथ जोड़े खड़ी थी लेकिन रबेन्द्र ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया..अपनी बात पूरी कर वे सोफे पर बैठ गए..और अखबार उठा लिया..आश्चर्य में मंजरी ने अपनी आँखें घुमाई और सुशीला पर टिका कर गर्दन हिला दी जैसे कहना चाहती हो 'ये अब भी अजीब ही हैं'
सुशीला मुस्कुरायी और आँखें दिखाते हुए धीमे से बुदबुदाकर बोली 'बड़े हैं ...आ.. ले भई ..अपना आलू का पराठा खा..भाई साहब आप भी खा लीजिये"...दोनों प्लेट मेज पर रखते हुए वो बोली ..
मंजरी हाथ, मुँह धोकर आई और खाने लगी ..रबेन्द्र अभी भी अखबार में ही उलझे थे..
पास ही रखे बैग को देखकर मंजरी बोली "ताऊ जी आज ही जा रहें हैं क्या"?
वो उसकी आवाज से चौंके और 'हां 'में सिर हिलाते हुए , पराठा खाना शुरू कर दिया फिर निवाला मुँह में रखते हुए बोले" मैं नहीं हम..हम आज ही जा रहे हैं.."वो मंजरी की ओर देखकर मुस्कुराते हुए बोले
"क्या.. आज" ? वो चौंकी
"क्यों कोई दिक्कत?..सोमेश की शादी में दो दिन ही बचे हैं बेटा...बहुत काम करना है"
"मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा..कि आखिर इतनी जल्दी शादी हो क्यों रही है" मंजरी बोली
"बेटा शादी तो तय बहुत समय से है, लेकिन सोमेश मंगली है..पंडित कहते हैं शादी या तो एक साल बाद करो या इसी हफ्ते...तो शुभ काम में देर क्यों ? सो इसी हफ्ते की 13 तारीख सुभ निकली है ....चल जल्दी बैग लगा ले" वो परांठा खाते हुए बोले
"ऐसे कैसे ताऊ जी, मुझे शॉपिंग भी तो करनी है..मैं कल शॉपिंग कर के परसों सुबह निकल आऊँगी" उसने जैसे अपना फाइनल फैसला सुनाया
ताऊ जी ने सुशीला की ओर देखा ..तो वो बोली " चली जा ना मंजरी.."
"क्या माँ सोमेश की शादी है..और मैं बिना शॉपिंग ऐसे कैसे जा सकती हूँ"
"रहने दो बहु ..ठीक है मंजरी, जैसी तेरी मर्ज़ी..लेकिन बहू को साथ लेकर जल्दी आ जाना ..(फिर उठते हुए) जा रहा हूँ"
"शादी है वर्ना मैं आपको अकेले बिल्कुल ना जाने देती" मंजरी उन्हें जाते देख बोली..तो वो मुस्कुराये और बोले
"मैं खुद भी नहीं जाता ..वो तो शादी है" कहते हुए वो बाहर की ओर निकल गए और साथ में मंजरी, उन्हें छोड़ने ...
****
"आज ही बुखार आना था आपको भी ..अब बताइये वहाँ कैसे मन लगेगा मेरा?" मंजरी बैग उठा कर कार की डिग्गी में रखते हुए बोली
"अजय है तो सही मेरी देखभाल के लिए..मुझे तो तेरी चिन्ता लगी है..बस से जाती तो ज्यादा बेहतर रहता " सुशीला बोलीं
"क्या माँ पास ही तो है.."वो सीट बेल्ट लगाते हुए बोली..
"संभल कर जाना " वो हाथ हिलाकर उससे बोली
"हाँ हाँ माँ" बोलते हुए उसने गाड़ी बढ़ा दी..तेज़ आवाज में गाने लगा कर सुनते हुए वो शानदार सफर का आनंद ले रही थी और गाड़ी सड़क पर जैसे हवा में तैर रही थी ..कुछ लगभग एक घंटे के सफर ही हुआ होगा कि तभी गाड़ी बन्द हो गयी...उसने स्टार्ट की...'घिर्र 'की आवाज होती और गाड़ी बन्द हो जाती..लेकिन कार स्टार्ट नहीं हुई..फिर की ..नहीं हुई..चिढ़ते हुए कार से निकली और कार की बोनट खोल कर देखने लगी..
"'सही कहता है अजय कि कार के इन पार्ट्स की जानकारी भी होनी चाहिए...लेकिन तू किसी की सुने तब ना मंजरी..ओह्ह क्या करूँ अर्जुन को फोन भी नहीं कर सकती ..और राहुल..नहीं ..नहीं..राहुल की वजह से तो अर्जुन नाराज है एक काम करती हूँ अजय को ही कॉल करती हूँ.." बुदबुदाती मंजरी ने अजय को कॉल किया..लेकिन फोन उठाया सुशीला ने
"हेलो मंजरी पहुँची नहीं अब तक? .."सुशीला ने चिंतित होकर पूछा
"माँ समझिए पहुंच गई...बस्स आप मेरी अजय से बात करा दीजिये जल्दी" वो संयत होकर बोली
"क्या हुआ बता मुझे, वो फोन चार्जिंग पर लगा कर बाहर निकल गया है...बता मंजरी" वो घबरा रही थीं
"अररे माँ...बस्स कपडों की स्टाइल के बारे में बात करनी है उससे..आप मत घबराइये ... बस्स पहुंचने वाली हूँ..उससे आते ही बोलना.. मुझे फोन करे"
उसने फ़ोन रख दिया और बुदबुदाई 'अभी ही जाना था तुझे बाहर अजय..क्या यार ...जरा से सफर में शाम होने को आई है...वो बोनट के पास खड़ी थी... उसने बैटरी में हाथ लगाया 'ऊईई ' कर के वापस पीछे खींच लिया..
'शायद बैटरी गर्म हो गयी है..पानी डालने से सही हो जाएगी...हम्म... पानी ...पानी कहाँ मिलेगा...(बोनट को उंगलियों से बाजाते हुए उसने नजर इधर उधर डाली उसे एक गंदला सा तालाब दिखा ) उसने एक पानी की बोतल उठायी...और तालाब की ओर चल दी....और बोतल पानी भर लिया..और कार की ओर जाने लगी..
"हमें भी थोड़ा पानी पिला दो , बहुत प्यास लगी है" ये आवाज सुनी तो साइड में देखा एक भयानक शक्ल वाला अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए उसी की ओर देख रहा था...वो तेज़ी से कार की ओर दौड़ी..कि एक और मोटा सा गुंडा उसके सामने आ गया " जरा संभल कर ...कहीं लचक ना आ जाये...हा हा " बोलते हुए उसने मंजरी की ओर हाथ बढ़ाया ...मंजरी के मुँह से चीखी "हे...ल्प" और साथ ही नीचे झुक कर कार की ओर दौड़ी...एक और गुंडा जिसने सिर्फ सेंडो बनियान और लुंगी पहनी थी उसकी कार के पास ही खड़ा था और उसे देखकर.. उसकी हालत पर हँस रहा था..
"कौन हो तुम लोग....क्या चाहते हो...(फिर पूरी ताकत से चीखते हुए) हेल्प....बचाओ...कोई है " वो हाँफने लगी
अब वे तीनों हँसते हुए उसके पास घेरा बनाकर बढ़ने लगे..
"बहुत जोश है ना तुम लोगों में...अभी ठीक करती हूँ..पुलिस जब पीटना शुरू करेगी ना तो सारी अक्ल ठिकाने पर आ जाएगी.." और उसने फ़ोन पुलिस के नम्बर पर डायल कर दिया...वे तीनों और तेज़ी से हँसने लगे...पुलिस हेल्पलाइन पर लगातार कॉल जाने के बाद भी नहीं उठ रही थी।
"इसने पूछा ' कोई है ' तो लो बुला लेते है.." और एक बेडौल से गुंडे ने अपने हाथों की दोनों उंगलियाँ अपने मोटे से होंठो से लगा एक सीटी बजाई ...और पेड़ो के झुरमुट में से दो गुंडे और निकल आये...हँसते हुए वो पांचो उसकी ओर बढ़ने लगे..
"देखो ..बन्द करो ये सब ...क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा ..प्लीज़ जाने दो मुझे " वो अब बहुत नरम आवाज में बोली और उल्टी चलते हुए पीछे की ओर बढ़ने लगी ..."लो ..कहती है छोड़ दो...अहा हा हा...हम इतने पागल है क्या रे ...क्यों बे टिपरी "
मंजरी की ओर बढ़ रहे उस सेंडो बनियान वाले ने अपने साथ वाले से आँख दबाते हुए जब ये कहा तो बाकी सब ठठा कर हँस पड़े.
..'हे भगवान अब मैं क्या करूँ.."वो खुद से बोली
उसके पैर एकाएक रुक गए क्योंकि अब एक दीवार आ गयी थी..वो दीवार से चिपक गयी और उसने अपने दोनों हाथ जोड़ दिए...."जाने दो मुझे प्ली...ज..." वो रोते हुये तेज़ चीखी...
अब वो मोटा गुंडा अपने होंठों पर जीभ फिराता उसके बिल्कुल पास आ गया था..उसने डर से आंख बंद अपने हाथ से कुछ टटोला और एक ईंट उसके हाथ लगी ,उसने उठा ली....अगले ही पल
"आहह " की एक तेज़ आवाज के साथ वो गुंडा नीचे गिर गया था..मंजरी ने चौंकते हुए देखा ईंट अब भी उसके हाथ में ही थी..इससे पहले वो कुछ और सोच और समझ पाती दूसरा गुंडा चीखा "आह"
मंजरी ने देखा उस गुंडे के सिर से खून की धार बहने लगी थी....
"अब...अब.." वो घबराई सी खुद से बोली
"अब क्या भाग ..भाग मंजरी" उसके अन्तर्मन ने कहा उससे
"और जो मदद कर रहा है..उसका शुक्रिया??"खुद से ही पूछा
"अरे भाड़ में गया शुक्रिया...मंजरी...भाग" उसने खुद से ही कहा और वो भागने लगी .....
"इधर से न...ही...दूसरी तरफ से" किसी की आवाज मंजरी को सुनाई दी ...उसने रुककर पीछे मुड़कर देखा, बस्स उस फरिश्ते की पीठ दिखाई दी जो उन गुंडों को पीटने में व्यस्त था..और गुंडे पिटने में...तो उसे दूसरी ओर से भागने का सुझाव किसने दिया "शायद उन गुंडों में से ही किसी ने" उसने खुद से कहा, और उसी दिशा में फिर भागने लगी..
....मंजरी को उसके पीछे कुछ लोग दौड़ते महसूस हुए वो घबराकर एक कार की खुली डिग्गी में बैठ गयी...अब उसने देखा दो गुंडे थे जो उसके पीछे दौड़ रहे थे...
"कहाँ गयी...अभी यहीं थी "उनमें से एक ने अपने दोनों हाथ कमर पर रखते हुए कहा
"मिल जाये ये लड़की..मार दूँगा ..छोडूंगा नहीं..खून खौल रहा है मेरा..और ना जाने कौन है वो जो हमारे साथियों को मार रहा है" दूसरा हाँफते हुए बोला
"ढूंढ़ उसे ...लेके निकलते हैं लड़की को अपने अड्डे पर..देखते -देखते कहाँ निकल गयी " वो अपने हाथ पर दूसरा हाथ मारते हुए बोला
"वो...वो रही.." वो बोला
"कहाँ.. किधर.."? दूसरे गुंडे ने इधर उधर देखते हुए पूछा
"अररे..उधर उस कार के डिग्गी में" उसने मंजरी की ओर हाथ का इशारा करके बताया और उस ओर दौड़ गया
"ईईई.." की आवाज के साथ मंजरी उस डिग्गी से निकली और पूरी ताकत से सड़क पर दौड़ने लगी ...और वो दोनों गुंडे उसके पीछे-पीछे .....................क्रमशः..................

