sonal johari

Drama Horror Romance

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sonal johari

Drama Horror Romance

पार्ट 19 :--क्या अनामिका वापस आएगी ?

पार्ट 19 :--क्या अनामिका वापस आएगी ?

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क्या अनामिका बापस आएगी ...पूरी तरह से काल्पनिक कहानी (धारावाहिक ) है..और इसके सर्वाधिकार सुरक्षित......

आपने पिछले भाग में पढ़ा कि राव सर और राहुल दोनों अंकित को ये बताते हैं कि अनामिका की मौत पांच महीने पहले हो चुकी है ..जिस पर उसे बिल्कुल यकीन नहीं होता ..और वो सूरज के साथ अनामिका के घर की ओर चल देता है ...अब आगे .......

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

पीछे -पीछे चल रहे सूरज ने जैसे ही रोड से उतरकर पैर रखा एक 'चर्र ' की आवाज ने ध्यान आकर्षित कर लिया ..नीचे सूखी पत्तियां थी ..ऊंचे पेड़ इतने घने थे कि बाहर की रोशनी तक नहीं आ पा रही थी.. जिस वजह से धुप्प अंधेरा छाया था..बेहद झाड़ खंखाड़ फैले थे .. सूरज ने अंकित की ओर देखा तो वो बदहवास सा आगे बढ़ा जा रहा था ..इतने में ही किसी चीज में पैर उलझा सूरज का ,और वो नीचे गिर पड़ा ..गिरते ही नजर सामने पड़ी तो... दो चमकती आंखें उसे, खुद को घूरते हुए दिखी ..बहुत गौर से देखने पर भी उसे नहीं समझ आया कि है क्या ...अंकित को आवाज दी ..लेकिन वो दूर निकल गया था ...सो हिम्मत कर के उठा और तेज़ चलते हुए आगे बढ़ गया ...अंकित के पास पहुंचते ही .."अंकित ..तुम्हें पक्का पता है ,भाभी य...हाँ रहती है.."उसने पीछे की तरफ देखकर ..डरते हुए पूछा


"तुम्हें नहीं लगता... ये बेतुका प्रश्न है " अंकित ने जवाब दिया..

अंकित का हाल देख, आगे बात ना बढ़ाना ही सूरज ने ठीक समझा..और बोला

"अंकित तुम बेकार में ही परेशान हो यार ...बंगला बिका भी है तो भाभी को पता होगा..वैसे भी ये उनका पारिवारिक मामला है ..हो सकता है झिझक के कारण तुम्हें ना बताया हो "


"हम्म ..हो सकता है ..मुझे बस्स चिंता अनामिका की है एक बार उसे देख लूं तो चैन आ जाये "..

अंकित ने जवाब दिया और कुछ देर और पैदल चलने के बाद अंकित रुक गया और खुश होते हुए बोला "लो पहुंच गए "

सूरज आंखें फाड़े उस बंगले को देख रहा था ...देखने से लगता था कि यहां शायद ही कोई रह रहा हो..बारिश और वक़्त की मार से उतरा हुआ बंगले का रंग रोगन....जींगुरों की कानफोड़ू आवाज और रोशनी के नाम पर जुगनू की चमक तक नहीं....

अजीब सा दमघोटू माहौल ...सूरज ने घबराकर अंकित का हाथ पकड़ लिया "अंकित चल यहाँ से ...ये जगह मुझे ठीक नहीं लग रही यार "


"क्या यार ..मैं उससे मिले बिना ...कहीं नहीं जाऊंगा " अंकित ने सूरज का हाथ हटाते हुए कहा ..और जहाँ पैर रखता था हमेशा वहीं पैर रख दिया ..और दरवाजे की ओर देखने लगा ..जब नहीं खुला तो उसने फिर वही प्रक्रिया दोहराई ...सूरज बड़े ध्यान से ये सब देख रहा था ...फिर घबराहट में उसने एक सिगरेट जलाई और पीने लगा .अंकित के कई बार दोहराने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला ..गुस्से और हताशा में वो तेज़ी से चिल्लाया "अ ...ना...मि ...का..."

गूंजती हुई आवाज गुम हो गयी...एक बार, दो बार, तीन बार ...लेकिन अनामिका का कोई उत्तर नहीं ...अंकित ने अंधेरे में वही पड़ी एक भारी सा पेड़ का तना उठाया और दरवाजे में दे मारा "ये क्या कर रहे हो अंकित?" सूरज ने घबराहट में पूछा 


"वो... मुसीबत में है ...सूरज ...उसे बचाना होगा " दरवाजे पर चोट करते हुए अंकित बोला..उस 'सायं ...सांय से करते वातावरण में दर्जनों चमकती हुई आंखें सूरज को दिखी ..तो वो डर गया ...अपनी सिगरेट फेंकी और अंकित को खींचते हुए बोला

"गेट तोड़ देने से भाभी नहीं मिलेगी ...जरा देखो तो ..यहाँ का हाल ..तुम्हें लगता है वो अंदर होंगी "


"वो यही रहती है " अंकित ने कहने के साथ ही एक जोरदार टक्कर दरवाजे में फिर मारी ..लेकिन दरवाजा नहीं खुला


"दरवाजा टूट भी जाये, तो इतने अंधेरे में ढूंढोगे कैसे ...चलो ..पुलिस को लेकर आएंगे कल दिन में " सूरज ने उसके हाथ से वो मोटा से तना फेंकते हुए कहा...

तो अंकित ने दरवाजे में तेज़ी से धक्का देते हुए कहा

"मैं कहीं नहीं जाऊंगा ...सूरज ...तुम्हें जाना है ...तो तुम जाओ " 

अंकित की हालत से वाक़िफ़ सूरज ने उसे अपने डर के बारे में ना बताते हुए, पूरी ताक़त से पकड़ा और पीछे की ओर धकेलता सा बाहर की ओर खींचने लगा 

"मैंने कहा छोड़ दो.... मुझे ...सूरज " सूरज की पकड़ से छूटने की कोशिश करता अंकित चीखते हुए बोला ...लेकिन तनाव और कमजोरी के चलते खुद को छुटा नहीं पाया ...उसके कई बार बोलने पर भी सूरज ने अपनी पकड़ ढीली नहीं की और उसे वहाँ से निकाल रोड तक ले आया ..जल्दी ही टैक्सी पकड़ दोनों उसमें बैठे ...तो अंकित ने गुस्से से सूरज की ओर देखा लेकिन उसे काँपता ...और घबराया हुआ देख ...वो शांत हो गया और बोला 

" तुम इतने घबराये क्यों हो ..क्या हुआ ?"


"पूछ तो ऐसे रहे हो ...जैसे कुछ पता ना हो " फिर अंकित के हालात को याद करते हुए खुद ही बोला

....बस्स ठंड लग रही है ...एक बोतल लें लेता हूँ"

अंकित चिढ़ता हुआ सिर झटककर बोला

"कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा..जाओ...लो जाकर "


सूरज ने बीयर शॉप से एक बोतल ली और दोनों अंकित के घर आ गए और..बेड पर बैठते ही अंकित, हताशा में अपने सिर के बालों को खींचते हुए बोला 


"मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा ...कुछ नहीं ...अनामिका कहाँ हो तुम ... कहाँ ढूंढूँ... मैं तुम्हें " फिर अचानक उठकर जाने लगा 

"कहाँ जा रहे हो " सूरज ने पूछा

अंकित :--"पुलिस स्टेशन "

सूरज :--तुम्हें लगता है..इस वक़्त पुलिस मदद करेगी हमारी इतनी रात गए?"

अंकित :--"पुलिस स्टेशन हमेशा खुला रहता है "

सूरज :--"काम करने वाले हैं तो आदमी ही हैं यार ..झूठी तसल्ली और कुछ लेक्चर के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला ..बेहतर है हम सुबह तक का इंतजार करें "


अंकित :-- "कहीं सुबह तक उन लोगों ने उसे कुछ कर दिया तो "?

सूरज :--"पहले ये बताओ..हम आज जहाँ गए थे ..पक्का यकीन है तुम्हें ..वो वहीं रहती है "

अंकित :- "तुम्हारी परेशानी क्या है सूरज ...तुमने अगर ये सवाल फिर पूछा तो... मुझसे बुरा कोई ना होगा " अंकित चिढ़ते हुए बोला

सूरज :--"माफ करना यार ( कुछ सोचते हुए ) भगवान करे मैं गलत होऊँ ..लेकिन अभी जो देखा है .."

अंकित :-क्या देखा है ...बताओ ?

सूरज :- "नाराज ना होओ तो एक बात पूछूँ ?"

अंकित :- "हम्म" 

सूरज :-"कहीं भाभी ने सच में अगूंठी तो नहीं पहना दी ..राहुल को"

अंकित :-"दुबारा ये बात मन में भी मत लाना...सारी दुनिया कहे तो भी नहीं मानूँगा..झूठ बोलता है वो"

सूरज :-"मारने तो तुम भी चले थे उनको, ये सुनकर ...वो तो अच्छा ये रहा कि नहीं मिलीं "

अंकित :-"हम्म शर्मिंदा हूँ ...बहुत गुस्सा आ गया था मुझे"

सूरज :-"एक बात बताओ कौन से कॉलेज में है वो, क्या पता है"

अंकित :-"एस. एम.आई.टी. कॉलेज ऑफ हिस्ट्री"

सूरज :- हम्म अच्छा....तुम कपड़े बदल लो मैं कुछ खाने को बना देता हूँ...खा लो और सो जाओ मैं यही रुकूँगा आज "

अंकित :-"कुछ मत बनाओ आंटी खाना रख गयी होंगी ..तुम खा लो और सो जाओ ...मुझे नींद कहाँ ...ना जाने किस हाल में होगी वो."

सूरज ने देखा तो खाना रखा हुआ था, उसने जबरदस्ती अंकित को थोड़ा खाना खिलाया और फिर अपनी जेब से शराब की बोतल निकाल उस की ओर बढ़ाते हुए बोला

"लो दो घूँट भर लो ...आराम मिलेगा "

अंकित :-- "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे शराब देने की ...सूरज"

सूरज :-शराब नहीं है... पी लो (बोलने के साथ ही उसने एक हाथ से अंकित का चेहरा पकड़कर जबरदस्ती दूसरे हाथ से बोतल उसके मुंह में उड़ेल दी ) अंकित खुद को छुटाते हुए गुस्से में बोला

"कितना भरोसा करता हूँ तुम पर, और तुमने जबरदस्ती मुझे शराब पिला दी "

सूरज ;-"तो भरोसा बनाये भी रखो, अगर तुम्हारा ये हाल ना होता, तो नहीं पिलाता ....तुम्हारे लिए आराम करना बेहद जरूरी है ..कल ढूंढना नहीं है क्या भाभी को ?"

बची हुई बोतल सूरज ने ख़ाली कर दी, और सोने की तैयारी करने लगा ..

कुछ देर चुप रहने के बाद अंकित बोला 

"अनामिका ने बहुत रोका था मुझे...लेकिन मैं नहीं रुका ..काश रुक गया होता...ना जाने क्या कहना चाहती थी "

सूरज:-"अंकित ...तकिया है क्या यार ...सिरहाने रखने को ?"

अंकित:-"उसने बहुत रोका...लेकिन मैं रुका नहीं"

सूरज :--"कोई बात नहीं ..मिले तब पूछ लेना ..अब सो जाओ... कल बहुत काम करना है...ये बताओ तकिया मिलेगा क्या?"

अंकित:--"मैं उसके बिना नहीं जी पाऊँगा"

सूरज :-"हम्म ..समझ गया ...पहली बार पी है ना"

अंकित :-"उसने बहुत रोका ...लेकिन मैं रुका नहीं"

सूरज:--" तो अभी भी कौन सा रुक रहा है तू ...मेरे भाई "

अंकित :-"उसके बिना जी नहीं पाऊँगा"

सूरज :-(चादर से सिर ढकते हुए ) "तू कंटीन्यू रख ...मैं सो जाता हूँ"

अंकित:-" मैं रुका नहीं ...ना जाने क्या कहना चाहती थीं तुम ...नहीं जी पाऊंगा तुम्हारे बिना ...नहीं जी ....पा..ऊँगा 

नहीं .....अनामिका ....अना ....मि ....का .....मैं ...क्यों...रुका नहीं ....अना ....मि .....का....

न ...ही .....जी ....पा ...पा ...ऊँगा.....अहह .... न ...नहीं ....


सुबह जल्दी से तैयार होकर सूरज ,अंकित को सोता छोड़ घर से निकल गया...अंकित भी जब उठा तो बिना वक़्त गवाए सीधे पुलिस स्टेशन पहुँच गया ...जब पहुंचा तो सामने इंस्पेक्टर नवीन ही बैठा मिला ...अंकित को देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी

बोला "आइये पी.ए.साहब ..कैसे आना हुआ "?


अंकित :--(मन ही मन सोचते हुए ..इसे भी यहीं मिलना था अब किसी और इंस्पेक्टर के बारे में पुछूँ तो चिढ़ जाएगा ..इसे ही बताना पड़ेगा )"नवीन सर ..मुझे आपकी मदद चाहिए .."

नवीन :--"मदद ....सो भी मेरी ...कहो " हँसते हुए बोला 

अंकित :-(अनामिका का फोटो दिखाते हुए) ये दो दिन पहले तक अपने घर में थी ..लेकिन अब नहीं है...मुझे डर है इनके साथ कोई हादसा ना हो जाये ..कृपया जल्दी ढूंढने में मेरी मदद करेंगे ?.

नवीन :--"कहीं देखी हुई सी लग रही है कौन है ये ?"

अंकित :-"मेरी प्रेमिका है ..प्लीज़ सर मदद कीजिये ना..

नवीन :-"झगड़ा किया होगा आपस में ...चली गयी होगी और हमारे पास पच्चीस काम और भी हैं ...अब हम घर के झगड़े भी सुलझाएं?" जाओ यहाँ से "

अंकित :-"एक मिनट के लिए भूल जाइए ..कि आप इंस्पेक्टर हैं..आपने भी किसी से प्यार किया होगा...हमारा कोई झगड़ा नहीं हुआ है ...इसकी जान खतरे में है ...प्लीज़ मेरी मदद कीजिये "

नवीन :-(एकदम गंभीर बनते हुए ) "हम्म ...तेरी बात पसंद आई मुझे ...मदद करूँगा तेरी ...अच्छा ला फ़ोटो दिखा ..."

अंकित ने फ़ोटो दिया तो गौर से देखने के बाद उसके माथे पर बल पड़ गए ...फिर अपना निचला होंठ चबाते हुए 

"कहीं देखा है मैंने इसे ...लेकिन याद नहीं आ रहा ...चलो छोड़ो ...ये बताओ किसी पर शक है तुम्हें "

अंकित :-"हाँ ...राहुल पर? "

नवीन :--"कौन राहुल?"

अंकित :-- (गुस्से में ) "राव सर का भतीजा "

नवीन :--(चुटकी बजाते हुए ...जैसे याद आ गया हो ) अररे हाँ ...याद आया ...ये तो राहुल की होने वाली पत्नी का फोटो है ...और इसकी तो मौत ...उन दिनों यहां नहीं था मैं ...बाद में अखबारों में फ़ोटो देखी थी इसकी....एक मिनट... तुम तो कह रहे थे ये तुम्हारी प्रेमिका है ...क्या सुबह से कोई और मिला नहीं तुम्हें "


अंकित :-"(उत्तेजित होते हुए ) झूठ है ये सब ...बकवास है ...उन लोगों ने ही गायब कराया है इसे...अच्छी भली है ..और ..जीवित है 

नवीन :--"क्या ? जीवित है "

अंकित :-"परसों मिला हूँ मैं इससे "

नवीन :--"कहाँ पर मिले हो"

अंकित :-"उसके घर पर "

नवीन :- " घर ...वो ..वो मोड़ वाला बंगला ?" 

अंकित :- "हाँ "

नवीन :-"क्या बकवास है ये ?...उस तरफ कोई जाता तक नहीं .."

अंकित :-"मैं सच कह रहा हूँ"

नवीन :-"... मुझे यकीन नहीं ...लेकिन तुम्हारी बात और इस विश्वास की खातिर तफ्तीश करता हूँ...मदद का वादा जो किया है ...एक दिन की मोहलत दो ...राव सर हों या उनका भतीजा ..गुनाहगार हैं तो बचेंगे नहीं ...ये एक दोस्त का वादा है ...राव ...हम्म शक तो उस पर था मुझे ...कोई भला एम्प्लोयी के लिए रिश्वत देगा ...लेकिन जब उसने मुझे नोटों का बैग दिया ...तो लगा मेरी गलतफहमी होगी ...लेकिन अब .....हम्म ..

अंकित :- "क्या... क्या दिया आपको ?'

नवीन :--"कुछ नहीं ...कल मिलो मुझसे इसी वक्त "

अंकित :-"बहुत धन्यवाद आपका ..कल मिलता हूँ"


अंकित जब वापस आया तो ...सूरज को बैठे हुए पाया 

सूरज :-" कहाँ गए थे तुम "?

अंकित :-"पुलिस स्टेशन "..

सूरज :- "कुछ हुआ "?

अंकित :- "नवीन मिला..बहुत प्यार से बात की उसने मुझसे"

सूरज :- "तुमने तो बताया था ...सुरुचि के केस के वक़्त बहुत चिड़ा हुआ था वो तुमसे "

अंकित :-"हम्म ...आज मैंने उसे उसके प्रेम का वास्ता दिया ...तो दोस्त बनाते हुए उसने मदद का वादा किया है कल तक का समय लिया है ....तुम कहाँ गए थे "?

सूरज :-"भाभी के कॉलेज गया था "

अंकित :- "कुछ पता लगा "?

सूरज :--" (दुखी होते हुए ")हम्म" 

अंकित :--" क्या ...तो बताओ ना "

सूरज :--"भाभी बहुत होशियार थी "

अंकित : -" थीं नहीं ...है"

सूरज :--"पहली और दूसरी दोनों सालों में उन्होंने टॉप किया था "

अंकित :--"हम्म "

सूरज :--"कॉलेज के बहुत बच्चों की फीस वो भर दिया करती थी ..मदद करती रहीं थी सबकी '"

अंकित :--(खीजते हुए )"तुम पता करने क्या गए थे? ...कि वो कितनी होशियार है या ये कि कुछ पता लग सके "

सूरज :-" पता तो लगा है लेकिन पहले वादा करो कि तुम धैर्य से काम लोगे ?"

अंकित :- " हाँ ...हाँ बोलो भी ..."

सूरज :-" लगभग हर प्रोफेसर से मिला होऊंगा ...सब उनकी तारीफ करते हुए यही कहते हैं कि वो लगभग पांच महीने पहले इस दुनिया से चली गयी हैं ...

अंकित :- "(गुस्से में ) सू....र...ज 

सूरज :- "मैं नहीं वो सब कहते हैं...यहां तक कि हर स्टूडेंट ...वो सबकी मदद करती रही थी इसलिए उन्हें सब जानते हैं "

अंकित :-"राव ने रिश्वत खिलाई होगी "

सूरज :- " रिश्वत एक को खिलाई जा सकती है...दो को ...चलो सबको खिला दी ...लेकिन उनको तो नहीं जो कॉलेज पास आउट हैं ..."

अंकित :- " क्या ...? 

सूरज :--" हाँ ...इतनी बड़ी बात ..तुम्हें क्या लगता है कमी छोडूंगा मैं तफ्तीश करने में ? ...धीरज जो इसी कॉलेज से पास आउट है ..उससे मिल कर आ रहा हूँ...वो भी यही कहता है ..और कल जब मैं तुम्हारे साथ वहां गया था जहाँ तुमने कहा भाभी रहती है ...तो माफ करना ...वो जगह सामान्य नहीं थी ...डर लग रहा था मुझे वहाँ ..वो डरावनी जगह थी ..ना जाने तुम्हें सब क्यों नहीं दिखा ..मेरी तो अंतड़ियां काँप गयी ..मुझे लगता है ...मुझे लगता है कि सब ठीक कह रहे हैं "

अंकित :-"सू...र ...ज ...." अंकित ने सूरज को मारने के लिए अपना हाथ उछाला और ना जाने क्या सोच रुक गया 


सूरज :--"रुक क्यों गए मार लो मुझे ...जो तुम्हारा हाल है ...जितना चाहो मुझे पीट लो ..उफ्फ तक करूँ तो कहना ...तुम्हारी हालत समझता हूँ ...लेकिन क्या करूँ ...कुछ समझ नहीं आ रहा ...एक काम करो अंकित, तुम डॉ लाल से मिल लो वो बड़े अच्छे मनोचिकित्सक है...मुझे यकीन है कुछ ऐसा है ...जो हमारी समझ से बाहर है "


अंकित ने सुरज को घूरते हुए देखा और बदहवास सा घर से निकल गया.....

सूरज :- "कहाँ जा रहे हो अंकित ...अ .....कि....त.. रुको मैं .कहता हूँ रुको ............लेकिन अंकित नहीं रुका .....


अगला भाग जल्दी ही 


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