पार्ट 16:-क्या अनामिका वापस आएगी ?
पार्ट 16:-क्या अनामिका वापस आएगी ?
आपने पिछले भाग में पढ़ा कि राव सर ,इंस्पेक्टर नवीन को रिश्वत देकर, केस क्लोज करवा देते हैं और इंस्पेक्टर नवीन के जाने के बाद किसी को आवाज देते हैं जो उनके केविन से निकल कर उनके सामने बैठ जाता है
अब आगे
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"आप को नहीं लगताआपने कुछ महंगा सौदा कर लिया"
उसने मुस्कुराते हुए पूछा
"नहीं बल्कि सस्ताअंकित दूर की कौडी साबित होगी। "
बड़े इत्मीनान से राव सर ने पानी का गिलास उठाया और घूंट भरते हुए कहा
"मतलब "उसने भौंहें सिकोड़ते हुए कहा
"मतलब ये उसे मैं जो भी काम सौंपता हूँ ना सिर्फ वो उसे बेहतरीन तरीके से करता है , बल्कि एक नई उम्मीद भी लेकर आता है हमेशा मेरे काम को वो बहुत अच्छी तरह से बढ़ा सकता है"
"इतना भरोसा है आपको उस पर " उसने मुस्कुरा कर कहा
"नहीं। खुद परऔर मत भूलो एक अच्छा जौहरी ही सच्चे हीरे की कीमत जानता है। उन्होंने कुर्सी से उठते हुए कहा और दोंनो ऑफिस से बाहर निकल गए
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वो आज बाहर ही थीपौधे लगा रही थीबालों को हल्का सा बांधे। ढीले कपड़े पहनेलंबी बाहों वाली ड्रेस कभी हथेलियों तक आ जाती तो दांतो से पकड़ उसे ऊपर की ओर खींचतीतो कभी ठीट बाल जो चेहरे पर आ जाते। तो उन्हे सिर झटक पीछे कर देती मिट्टी में सनी भी कितनी खूबसूरत लग रही है वहीं उसके घर की सीढ़ियों पर बैठ वो हथेली पर अपना चेहरा टिका उसे निहारने लगा
मिट्टी में खाद मिलाकर उठी और थोड़ी दूरी पर रखा हुआ गमला उठाया और शायद भारी वजन के कारण लड़खड़ा गयी इससे पहले कि गिरती ,अंकित ने दौडकर उसे और सीमेन्ट के गमलें दोनों को संभाल लियाअंकित को देख वो खुश हो गयी अंकित अपने एक हाथ मे उसे थामे था। दूसरे में सीमेंट के बने गमले को कुछ पल यूँ ही एक दूसरे को देख बीत गए वो चिहुंक कर खुश होते हुए बोली
"तुम कब आये "
अभी बस्स कुछ ही मिनट पहले "
"हाथ नहीं दुख रहे तुम्हारे " उसने पूछा
"तुम फूलों सी नाजुक और हल्कीसारी जिंदगी ऐसे ही उठाये रख सकता हूँ"
"और इस गमले को भी " उसने गमले की ओर इशारा करते हुए कहा तो अंकित ने मुस्कुराते हुए गमले को नीचे रख दिया और बोला
"ओह्हजब तुम सामने होती हो ना मुझे कुछ नहीं दिखता " और झुककर उसने अनामिका के होठों को चूम लिया
"बताया क्यों नहीं कब से आये थे ? उसने हटते हुए कहा
"बता देता तो ये खूबसूरत नजारा कैसे देख पाता "
"खूबसूरत फिर अपने दोनो हाथ उसे दिखाते हुए "देखो जरा मिट्टी लगे ये हाथ क्या खूबसूरत हैं इनमें"
"तुम नहीं समझोगी "
"क्यों ऐसा भी क्या है"?
"कहा ना नहीं समझोगी"
"बताओ भी"
"बस्स यही तुम कैसे भी हाल में हो। मुझे सुंदर ही दिखती हो और जब प्यार होता है तो मन की बात मन खुद समझ लेता हैबिना बोले"
वो अनामिका की आंखों में देखते हुए बोला और कुछ पल दोनों एक दूसरे को अपलक ऐसे ही देखते रहेफिर वो बोली
"अच्छा रुकोबस्स पांच मिनट में आई "
और अंदर मुड गयी अंकित भी उसके पीछे - पीछे अंदर चला गया
"जब तुम ऐसे बोलती हो ना मुझे बिल्कुल घबराहट नहीं होती" वो सोफे पर बैठते हुए बोला
"घबराहट होनी भी क्यों चाहिए "? उसने पलटते हुए पूछा
"क्यों ना हो मुझे तुम्हारा इंतज़ार जो नहीं करना पड़ता
जब तुम बोलती होपांच मिनट में आई लेकिन आ तुम चार मिनट में ही जाती होबस्स हमेशा ऐसी ही रहना शादी के बाद भीरहोगी ना"?
वो मुस्कुरा दी तो अंकित ने कहना जारी रखा
"मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान हूँऔर जल्द ही एक खुशनसीब पति भी बंनने वाला हूँचेंज करने जा रही हो ना ?
अनामिका:-"हम्म"
अंकित:-- मिट्टी लगे ये हाथ बिखरे बाल तुम ऐसे भी खूबसूरत लग रही हो यकीन करोमेरी आँखों से देखो"
अनामिका:--ऐसे भी ? (आँखे बड़ी करते हुए )लड़के कभी खूबसूरती नोटिस करना नहीं भूलते ना"? शरारत से मुस्कुराते हुए बोली वो
अंकित:--"कभी नहीं। कम से कम मैं तो कभी नहीं। हो सकता है कुछ अपवाद होइसीलिए मैं कहूंगा की सौ में निन्यानबे परसेंट तुम ठीक कह रही हो"
बड़े खुश होते हुए बोला और अपने बनाये हुए नोट्स देखने लगा
अनामिका उसकी ओर बड़ी प्रभावित होकर प्यार से कुछ देर अपलक देखती रहीफिर दौडती हुई उसकी ओर आयी अंकित ने देखा तो उठकर अपनी बाहें खोल दी और अनामिका उनमे समा गई । कुछ पल ऐसे ही बीत गए
"तुम ठीक तो हो अंकित ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए पूछा तो उसने हाँ में सिर हिलायातो अंकित बोला
"चिंता रहती है। मुझे तुम्हारी हमेशा समझ नहीं आता क्या करूँ"
अनामिका :--"तुम भी अच्छा रुको अभी आयी "
अनामिका बोली और अंदर चली गयी थोड़ी ही देर में बापस
आयी तो एक आसमानी कलर की साड़ी पहने हुए
"बिल्कुल परी लग रही होबात क्या है आज"? अंकित ने खुशी से पूंछा
"बात ये है आज हम घूमने जा रहे हैं "
"सच"?
"हाँ हाँ" उसने बाहर निकलते हुए बोला
"मुझे तो अब तक यकीन नहीं हो रहा" अंकित बोला और उसके पीछे हो लिया
अभी थोड़ी दूर ही निकल पाए होंगे कि सामने सड़क पर सूरज आता दिखाअंकित ने उसे देखा तो बोला
"अनामिका वो देखो सूरज वो जिसकी मैं बात कर रहा था" उसने उंगली का इशारा सूरज की ओर कर उसे बताया
अनामिका:-"हम्म अच्छा"
अंकित :-"क्या अच्छा। चलो मिलाता हूँ"
और अनामिका कुछ बोलती। इससे पहले ही अंकित ने सूरज को आवाज लगा दी और इशारे से पास बुला लियासूरज ने अंकित को देखा तो दौड़ा आया
"अरे यार तुम यहाँ कहाँ ?" उसने सिगरेट का कश खींचते हुए कहा
"बस्स ऐसे ही अच्छा इनसे मिलोकुछ आगे बोल पाताइससे पहले ही तेज़ हवा का एक बबंडर सा उठा और देखना तो दूरखड़े रह पाना मुश्किल हो गया तीनो का
"हे ये क्या हो गया अचानक " सूरज ने अपना चेहरा ढकते हुए कहा
" तूफान आने वाला है शायदहमें किनारे चलना चाहिए "
बोलते हुए अंकित ने अनामिका का हाथ पकड़ा और सूरज आगे आगे चलने की कोशिश करने लगा कदम तो आगे बढ़ाता लेकिन तेज़ हवा की वजह से बढ़ नही पाते हवा इतनी तेज़ कि आंखे खोलना मुश्किल और कुछ पलों में ही तेज़ बारिश शुरू हो गयी तीनों आगे बढने लगेदो चार कदम ही बढ़ा पाए होंगे कि सूरज का पैर फिसला और वो गहरे खड्डे जा गिरा अंकित ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ा और उसे बाहर की ओर खींचने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं। बादल घिर आने की वजह से अंधेरा भी हो गया था अंकित के पैर फ़िसलन की वजह से ठीक से नहीं टिक नहीं पा रहे थे और वो सूरज को ऊपर नहीं खींच पा रहा था। कुछ याद हो आया हो जैसे उसे बोला,
"अनामिका तुम तो जिम्नास्टिक हो इसे बाहर निकालने में मेरी मदद करो "
अंकित अपने दोंनो हाथो से पूरी ताकत से उसे खींचने में लगा था। अनामिका ने आगे बढ़कर सूरज का एक हाथ पकड़ा और दूसरा अंकित ने और जल्दी ही सुरज खड्डे से बाहर निकल आया जमीन पर लेटा वो दर्द से कराहने लगा उसे ऐसी हालत में देख अनामिका बोली
"अंकित तुम इन्हें इनके घर तक ले जाओमैं यहीं से बापस जा रही हूँ"
कुछ देर की कोशिश के बाद एक टेक्सी रोक पायी अंकित ने और सूरज को उसमे बिठा दिया
"तुम ऐसे में। कहाँ जाओगी चलो साथ चलो " अंकित ने कहा
"नहीं मेरा घर जाना जरूरी है अब " उसने बोला और जाने लगी
"कितनी मुश्किल से हम घूमने निकल पाए थे अनामिकाइतनी बारिश में अकेली मत जाओ मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ"उसने उसे रोकते हुए बोला
"कोई बात नही पास ही तो है अंकित । तुम सूरज को संभालो"बोलते हुए वो तेज़ी से वहाँ से चली गयी
अंकित सूरज को डिस्पेंसरी ले गया और वहाँ से ड्रेसिंग करा उसे मौसम थोड़ा ठीक होने के बाद उसके घर छोड़ आयाथोड़ी देर में बारिश भी बन्द हो गयी थी
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राव इंडस्ट्री
सूरज सिर पर छोटी सी पट्टी बांधे ऑफ़िस आया था अंकित ने उसके पास जाकर एक सिगरेट का पैकेट थमा दियाऔर बोला
"कैसे हो अब "
"बेहतर हूँ यार जरा सी तो चोट ही लगी है" सूरज ने सिगरेट निकालते हुए कहा
अंकित:-"जरा सी कल तो तुम्हारी हालत देखने लायक थी तुम तो ऐसे कराह रहे थे जैसे ना जाने कितनी चोट लगी हैअंकित ने हँसते हुए कहा
सूरज :--"अमा यार हालत तो ये सोचकर खराब हुई कि मेरे बाद मेरी बेटी का क्या होगा। बीबी की तो कोई चिंता नहीं "
अंकित":--"अच्छा बीबी की क्यों नहीं "?
सूरज :--"वो मेरे बिना और मैं उसके बिना ज्यादा खुश हैं"
अंकित :--"काश मैं तुम्हारी इस मामले में कोई मदद कर पाता लेकिन"
सूरज :--"छोड़ो यार ऊपर वाले ने मदद नहीं की। तो "
अंकित:--अनामिका ना होती तो तुम्हें निकाल भी ना पाता मैं। उससे मिला भी नहीं पाया "
सूरज :--कौन ?किससे ?
अंकित :-- वही जिसने तुम्हें खड्ढे से निकलने में मदद की
सूरज :--मुझे तो बस्स यमराज दिखते रहे "
अंकित :--हा हा क्या यार अच्छा तुम परेशान थे ना इसलिए वैसे भी सब बड़ी जल्दी हुआ
तभी संपत ने आकर बोला
अंकित सरआपको राव सर बुला रहे हैं "
'हम्म ' बोलते हुए अंकित राव सर के केविन की ओर भागा
बड़े खुश दिख रहे थे राव सर उसे देखते ही बोले "अंकित गोपाल दास से डील पक्की कर ली है मैंने "
अंकित:--"बहुत मुबारक हो सर "
राव सर :--"तुम्हे भी भई। बहुत मुबारक होबहुत दिनों से
हमारा एक ड्रीम प्रोजेक्ट है उस पर राहुल काम भी कर रहा हैजगह भी चुन ली है मैंने। जल्द ही इस पर काम शुरू करेंगे
राव सर:--"बहुत मुबारक हो सर आपको"
राव सर :--इतना कह देने से काम नहीं चलने वालाअंकित तुम्हे उस प्रोजेक्ट में काम करना होगा मेहनत करनी होगीहम शॉपिंग मॉल बनायेंगे "
"लेकिन सर मुझे इसका कोई अनुभव नहीं " अंकित ने कहा
तो राव सर बोले
"क्या तुम्हें पर्सनल अस्सिस्टेंट का अनुभव था अंकित"?
अंकित चुप हो गया, तो राव सर बोले ,"अंकित। ना सही इस बिज़नेस की नॉलेज लेकिन कम से कम ये तो बताओगे प्लान कैसा है जो योजनाएं हम बनाये उस पर अपनी राय रखो और बेहतर कैसे हो इस पर सुझाव दोऐसा तो कर पाओगे?
अंकित :- "बहुत खुशी से सर "
राव सर :-- ठीक है,में तुम्हे मिलाता हूँ राहुल से
उन्होंने एक्स्टेंशन पर फ़ोन किया "राहुल जरा मेरे केविन में आओ "
ऑफिस के ही एक दूसरे केविन में बैठा वो काम कर रहा था जल्दी ही राव सर के सामने आ कर बैठ गया
उसे देख अंकित अपनी सीट से उठ कर खड़ा हो गया राव सर बोले
"ये हैं राहुल मेरे भतीजे अमेरिका से हाल ही में लौटे हैआर्किटेक्ट हैं ये ही उस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। मुझे यकीन है तुम राहुल के साथ रहे तो ये ज्यादा बेहतर तरीके से और उत्साहित होकर काम कर पायेगा "
राव सर की कोई बात अंकित के कानो में नहीं पहुंची
बस्स उसके चेहरे पर गुस्से ,नफरत और आश्चर्य के भाव आ गए थे राहुल को देखकर
एकाएक सब याद हो आया अंकित के दिमाग मे जैसे फ़ास्ट फॉरवर्ड में पूरी रील चल गई हो उसका बाज़ार में मिलना टकराना अनामिका का फोटो गिर जाना। फिर उसका अनामिका के घर के बाहर खड़े होकर फ़ोटो क्लिक करना और घर मे जाकर उसके मुँह पर पंच मारना
उसने अपने मन मे कहा तो ये मस्कुलर राव सर का भतीजा हैअब मुझे ये पहचान लेगा और राव सर मुझे जॉब से तो निकालेंगे ही साथ ही साथ जो मुझसे प्रभावित रहते हैं जब इस राहुल से सुनेंगे कि मैंने मारपीट की है इसके साथ तो हो सकता है जॉब से निकालने के साथ बुरा भला भी कहें। ठीक है जो होगा देखा जाएगा
"क्या सोच रहे हो अंकित। राहुल कब से तुमसे हाथ मिलाना चाह रहा हैकहाँ खोये हो ?"
राव सर ने कहा तो, अंकित अपनी सोच से बाहर आया देखा तो हाथ बढ़ाये वो मस्कुलर यानी राहुल उसी की ओर देख रहा था
"कुछ नहीं सरकुछ भी नहीं सॉरी वो जरा " हड़बड़ाते हुए अंकित के मुँह से निकला। और उसने अपना हाथ बढ़ा कर राहुल के हाथ पर रख दिया बड़े गर्मजोशी से हेंडशेक किया।
क्रमशः