sonal johari

Drama Horror Romance

3.4  

sonal johari

Drama Horror Romance

पार्ट 12 :-क्या अनामिका वापस आएगी ??

पार्ट 12 :-क्या अनामिका वापस आएगी ??

6 mins
595


आपने पिछले भाग में पढ़ा कि अंकित, मस्कुलर को पंच मारता है और किसी की आवाज सुनकर बाहर निकल जाता है.. कि उसके कदम किसी जानी पहचानी सी आवाज को सुन कर रुक जाते हैं और जब वो दरार से झाँक कर देखता है तो आश्चर्य से उसकी आंखें फैल जाती हैं...अब आगे ---


"राव सर... यहाँ " उसका मुंह खुला का खुला रह गया, उसने अपना हाथ माथे पर रखा ..और ये सोच कर कि कहीं धोखा ना हो गया हो देखने में...फिर देखा तो राव सर ही थे..वो उस मस्कुलर को कह रहे थे,

"आज भी शराब पीकर आये हो ...कैसे समझाऊँ तुम्हें"

फिर से अनगिनत प्रश्न मन में आने लगे अंकित के मन में ...राव सर यहाँ कैसे ? इससे सर का क्या कनेक्शन, राव सर इसके साथ पहले कभी क्यों नहीं दिखे... या ये कभी ऑफिस में दिख सकता था ...इतने दिनों में सर ने अपने परिवार का कोई जिक्र कभी नहीं किया...इन्हीं सब प्रश्नों में डूबता उतरता 

अंकित घर पहुंचा.. 

दरवाजा खोलते ही सरोज बड़ी खुशी से बोली ..

"अंकित देख तो जरा..."इतना बोलकर उन्होंने किचन की ओर इशारा किया...घनश्याम... उसे देख किचन से बाहर निकल आये थे...हाथ में सब्जी से सना हुआ चमचा पकड़कर ...और बोले

"अंकित...जल्दी हाथ ..मुंह धोकर तैयार हो जाओ...मलाई कोफ्ते बनाये हैं आज स्पेशली तुम्हारे लिए.."बड़े खुश दिख रहे थे... पहली बार अंकित ने..घनश्याम को खुद,  से पहली बार इतना प्यार से बात करते देखा तो, एक बार को तो यकीन नहीं हुआ..लेकिन उसे बहुत अच्छा लगा..

"अच्छा...बस्स पांच मिनट में आया " इतना ही बोल वो अपने कमरे के लिए सीढ़ियाँ चढ़ गया...

खाना खाने के बाद जब वो सोने गया तो उसके मन में आया कि अब राव सर को पता लग जायेगा कि उसने मस्कुलर के साथ मारपीट की है तो कल का दिन उस ऑफिस में अंतिम दिन होगा...

या ऐसा भी हो सकता है कि बेहद नशे की हालत में था मस्कुलर, तो शायद उसे ना पहचान पाए... जो होगा वो देख लेगा यही सब ..सोचते सोचते सो गया...


अंकित पूरी तरह से खुद को तैयार कर चुका था कि ये उसका ऑफिस में अंतिम दिन है ...बचे काम निपटा देने चाहिए..ये सोचकर काम करने में जुट गया ऑफिस में कहीं भी एक्सटेंशन पर फ़ोन आता तो वो चौकन्ना हो जाता ..कि राव सर का फ़ोन तो नहीं आया..वो अभी उसे बुलवाकर बोलेंगे कि ऑफिस से निकल जाओ...ठीक है निकल जाऊँगा... लेकिन अनामिका को कोई भी तकलीफ दे, ये नहीं सहूँगा...बोल दूँगा ये ना सिर्फ उसकी फोटो लिए घूमता है बल्कि घर के बाहर जाकर उसके फ़ोटो खींचता है...इतने में नीरू सामने खड़े दिखी ..

"अंकित, आपको राव सर बुला रहे हैं...और आपका एक्स्टेंशन फोन काम क्यों नहीं कर रहा..कितनी बार ट्राई किया"

नीरू को अपनी सीट छोड़कर यूँ चलकर अंकित को बुलाने आना अच्छा नहीं लगा ...और अंकित को ये महसूस भी ही गया उसने देखा तो सच में रिसीवर अलग पड़ा था..

"ठीक है जा रहा हूँ...सॉरी.. तुम्हें यहाँ तक आना पड़ा " अंकित चाहता था वो जल्द से जल्द सामने से चली जाए ..ताकि वो सीधे अपना बैग उठाकर राव सर के पास जाए ...और जब वो निकल जाने को बोले तो सीधे वहीं से ऑफिस से निकल जाए...


"अररे कोई बात नहीं" नीरू ने झूठी मुस्कान के साथ कहा, और चली गयी..अंकित ने भी बैग उठाया और राव सर के सामने पहुंच गया

"गुड़ मॉर्निंग सर... अंकित ने बड़े रूखे मन से कहा

"गुड़ मॉर्निंग ...अंकित ये बताओ ...क्या राखी ने तुम्हारी कोई मदद की?" कुछ लिखते हुए, बिना उसकी ओर देखे बोले वो

"बिल्कुल की सर..बहुत की"

"हम्म...तो तुम्हें नहीं लगता ...तुम्हें रुचिका की मदद करनी चाहिए..वो यहाँ अभी अभी आयी है... ऑफिस के सारे मेम्बर्स को आपस में एक परिवार की तरह मिलजुल कर रहना चाहिए..."

"मैं समझ गया सर"

"हम्म...कोई मीटिंग है क्या अभी ..."

"जी...सर ...मेहता सर आने वाले होंगे...

"ठीक है ...तुम साथ रहना "

"जी सर "...अंकित ने राहत की सांस ली...वो जैसा सोच रहा था वैसा बिल्कुल नहीं हुआ वो केबिन से बाहर आया तो रुचिका अपनी सीट पर नीरू के साथ पिज़्ज़ा खाते दिखी... वो सीधे डेस्क तक ही पहुंच गया मुस्कुराया तो रुचिका ने उसकी ओर पिज़्ज़ा बढ़ा दिया.. 

.."सॉरी ...मैं पिज़्ज़ा नहीं खाता" उसने बड़ी नर्मता से कहा 

"थोड़ा सा तो लीजिये प्लीज़" रुचिका ने आग्रह किया तो उसने एक छोटा सा टुकड़ा उठा लिया

"कैसा लग रहा है आपको यहाँ इस ऑफिस में " उसने यूँ ही पूछ लिया

'सब अच्छे हैं...अच्छा लग रहा हैं... बस्स आप को छोड़कर"

उसने हँसते हुए कहा तो अंकित बोला

"हम्म...मैं खड़ूस जो हूँ "दोनों हँसने लगे इतने में अंकित को ऑफिस के ठीक बाहर अनामिका दिखीं ...और वो उसे देख, तेज़ी से बाहर निकल गया...बाहर आकर देखा, पर नहीं दिखी ..थोड़ी दूर चलकर भी देखा...लेकिन नहीं दिखी ...उसने खुद से कहा 'कहाँ चली गयी अभी तो यही देखा था मैंने उसे ...

शायद अनामिका का प्यार मेरे सिर चढ़कर बोल रहा है ...इसलिये हर जगह वो ही दिख रही है और उसने खुद को सिर के पीछे एक हल्की सी चपत लगाई और मुस्कुराते हुए अंदर आ गया... 


आज अनामिका के घर का दरवाजा खुला दिखा तो सीधे ही अंदर चला गया और नजर ऊपर गयी तो हल्की चीख निकल गयी उसके मुंह से ...झूमर पर अनामिका उलटी लटकी थी ...उसकी चीख सुनी तो नीचे उतर आई ..

"क्या हुआ ...चीखे क्यों "?

"तुम तुम ...ऊपर लटकी हुई थी "

"तो...? इसने चीखने जैसा क्या है...जिम्नास्टिक के लिए कौन सी बड़ी बात है ये, बल्कि यहाँ से तो शुरुआत करते हैं हम " उसने चिढ़ते हुए कहा

"तुम जिम्नास्टिक भी करती हो "उसने हँसते हुए पूछा

"अभी तुमने जाना ही क्या है " उसने अंकित के चेहरे पर नजर टिका मुस्कुराते हुए कहा

"हम्म...बहुत अच्छे" अंकित ने उसका उत्साहवर्धन करने को ताली बजाते हुए कहा

"तुम बैठो ...अभी आयी " बोलते हुए वो अंदर चली गयी ..और जल्दी ही एक ट्रे में काफ़ी संग पिज़्ज़ा ले कर लौटी 

ट्रे देखते ही अंकित बोला .."मैं पिज़्ज़ा नहीं खाऊंगा... एक तो खाता नहीं ऊपर से ..रुचिका का मन रखने को खाना पड़ा आज ऑफिस में"

"रुचिका ?"

"हाँ ...राखी की जगह आयी है...काफी तेज़ और खूबसूरत है..और हां थोड़ी सी फ़्लर्ट भी तुम्हारी तरह " और जोर से हँस दिया

अंकित का मन : तू जला रहा है उसे 

अंकित: मैंने सुना था..जलन, बहुत खूबसूरत फीलिंग है लेकिन तब ही, जब इसे आप अपनी आंखों से देख सको 

अंकित का मन : और पॉजिटिव भी हो

अंकित "हाँ ...तो मैं कौन सा नेगेटिव कर रहा हूँ

अंकित का मन " देख ...बुरा लग रहा है उसे शायद उसे"

अंकित "ऐसा? ...अरे यार

अंकित:-- ...हे अनामिका ...क्या हुआ"

"सोच रही थी "

"क्या"

"तुम्हारे प्यार में शिद्दत तो है ना ?"

"शिद्द्त ? तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे दूंगा" अंकित ने गंभीर होते हुए कहा

"पता है ना ...जो कह रहे हो ?"

"अच्छी तरह से ...जब चाहे आजमा लेना...तुम कहो तो अभी दे दूं अपनी जान "

"नहीं... अभी नहीं "

"अब चलूं" उसने जाने को पूछा

"हम्म " हाँ में सिर हिलाते हुए

"क्या हम्म....गले कौन लगेगा ?" अंकित अपनी बाहें फैलाते हुए बोला तो अनामिका उसके गले लग गयी


सुबह जिम से लौटने के बाद अंकित ऑफिस के लिए तैयार हो हुआ और निकल गया...लेकिन मन में उथल पुथल मची हुई थी 

ना सही कल लेकिन राव सर को पता लग ही जायेगा और वो मुझे ऑफिस से निकाल देंगे...चाहे लाख अच्छे हो वो लेकिन पक्ष तो उसी मस्कुलर का लेंगे .. क्या पता कौन है ..लगता तो उनका बेटा है, मुझे जल्दी ही कोई इंतजाम करना होगा अपनी जॉब का,

'आहह '! विचारों में उलझे अंकित को सामने पड़ा पत्थर नहीं दिखा और मुंह के बल गिर पड़ा ...और दर्द से कराह उठा...

एक, दो बार उठने की कोशिश की पर नहीं उठ पाया...कि किसी ने उसकी मदद के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया

......... ................क्रमशः....................



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama