पार्ट -11:- क्या आनामिका वापस आएगी ?
पार्ट -11:- क्या आनामिका वापस आएगी ?
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अनामिका अपनी कुछ ड्रेस लेकर अंकित के सामने आती है और
कहती है, कि ये ड्रेस अंकित के साथ डिनर पर जाने लायक नहीं, और अंकित को उलझन ये होती है
अनामिका के लिए जो ड्रेस उसने खरीदी है बता दे या नहीं..और एकाएक मानो निर्णय ले लिया..... अब आगे........
“ अ ....अ अनामिका... वो अ” अंकित बहुत कोशिश के बावजूद भी कह नहीं पा रहा था
“क्या... कहिए ना “ अनामिका ने मुस्कुराते हुए पूछा तो जैसे हिम्मत मिली और वो बोल गया कि
“जी... मैंने एक व्हाइट ड्रेस खरीदी है...काफी दिन हुए ”
“ड्रेस... क्या मेरे लिए “ उसने पास आते हुए पूछा
“जी...ब्स्स यूं ही .. दिखी ... अच्छी लगी... तो ले ली “ वो जल्दी से बोल गया
“अच्छा...तो दी क्यों नहीं ?.... अभी कहाँ है” अंकित की अपेक्षा के बिलकुल विपरीत उसने मुस्कुराते हुए पूछा
“मेरे कमरे पर “ अंकित ने जवाब दिया... और मन ही मन अफसोस किया कि क्यों पहले ही नहीं ये बताने की हिम्मत जता पाया
“तो देर किस बात की...जाइए ले आइये “ वो अब भी मुस्कुरा रही थी
“अभी…?” जैसे मानो सुनने के बाद भी यकीन ना हो रहा हो अंकित को
“जी....बिल्कुल अभी... जल्दी ले आइये.. डिनर पर नहीं चलना ? कहकर वो अंदर जाने को मुड गयी
“ब्स्स अभी लाया “ कहता हुआ अंकित अपने घर की ओर दौड़ गया, उसे लगा जैसे वो मानो हवा में तैर रहा हो..कुछ ही पल में घर पहुँच गया...दरवाजा खुला था घर का, यूँ तूफानी गति से दौड़ते हुए घर में घुसा, कि सरोज कुछ बोल पाती इससे पहले...अंकित अपने कमरे में पहुंच गया...कबर्ड में से ड्रेस को निकाला ..बड़े प्यार से उसे छुआ..और एक बैग में रख.. दौड़ते हुए नीचे दरवाजे तक पहुंचा गया।
“क्या हुआ..... अंकित…. सब ठीक तो है “ हाथ में जल का लोटा उठाए वो पुजा घर से उठ कर बाहर आ गयी थी ...उसे देख ...
“हाँ हाँ ...माँ सब ठीक है .... ब्स्स जल्दी में हूँ “ भागते हुए उसने जवाब दिया ...और दौड़ गया अनमिका के घर की ओर
जैसे ही अंकित पहुंचा... अनामिका ने ड्रेस लेने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया और अंकित ने उसके हाथ में पैकेट थमा दिया... वो वोली ब्स्स दो मिनट और अंदर चली गयी... और अंकित अपने हाथ आपस में मलते हुए चहलकदमी करने लगा ... मन ही मन ये दुआ करते हुए कि उसकी लायी हुई ड्रेस अनामिका को पसंद आ जाए और फिट भी ...दो मिनट भी ना हुए होंगे कि वो सामने आ गयी..और अंकित के मन मे आया :कहीं ऐसा तो नहीं ड्रेस फिट ना आई हो और अगले ही सेकंड नजरों ने देख लिया ..उसकी लायी हुई वही ड्रेस पहनी थी अनामिका ...फिट तो थी ही साथ ही बहुत खूबसूरत लग रही थी वो
अंकित अपने मन मे ...बहुत खूबसूरत लग रही है...मैंने सोचा भी नहीं था..... कि ये ड्रेस इतना जंचेंगी इस पर...अभी वो अपलक निहार ही रहा था, कि अनामिका ने... पास आते हुए कहा।
“ अंकित ... ये ड्रेस बहुत सुंदर है...मुझे बहुत पसंद आई... बहुत अच्छी पसंद है आपकी“ और इतना बोलते हुए अपना हाथ अंकित की ओर बढ़ा दिया… अंकित ने अपना हाथ थोड़ा आगे बढ़ाया और रुक कर इशारे से पूछा {क्या अपना हाथ तुम्हारे हाथ पर रख दूँ ?} वो मुस्कुराई और पलक झपका कर “हाँ“ में गर्दन हिलाई....
अंकित ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया..जैसे मानो एक तूफान ने हिलोर मारा हो. अंकित के अंदर..और वो ऊपर की तरफ जाने वाली सीढ़ियों पर, कदम रखती हुई बढ़ने लगी ...और उसके कदमों से ताल मिलाता अंकित उसके पीछे- पीछे...जल्दी ही वो दोनों एक खूबसूरत टेरेस पर थे...
हल्की ठंडी हवा चल रही थी ..सुंदर सी चाँदनी पूरी टेरेस पर बिखरी हुई थी..एक मेज पर डिनर तैयार था..और केंडल जो एक खूबसूरत जालीनुमा डिजाइन वाले कवर से ढकी थी..उसके भीतर से छन छन कर आ रही रोशनी एक अलग ही खूबसूरती बिखेर रही थी..बादल उसे इतने खूबसूरत... सो भी रात में कभी नहीं दिखे... और ना ही चाँद इतना खूबसूरत ...जैसे चाँद की रोशनी उन बादलों से होकर सीधे अनामिका पर पड़ रही हो और उसे इतना खूबसूरत दिखा रही हो...
एक अच्छे मेजबान की तरह अनामिका ने आगे बढ़कर ,पहले से सही रखी कुर्सी को ...
थोड़ा खिसका कर ऐसे ठीक किया मानो पहले गलत तरीके से रखी हो और अंकित से बैठ जाने को कहा,
“मैं आपको डिनर कराने बाहर ले जाने वाला था ना...हम बाहर जा रहे थे ना?" उसने बैठते हुए कहा
“हम कहीं भी जाते... बाहर बहुत लोग होते...मुझे भीड़ -भाड़ बिल्कुल पसंद नहीं....मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है..क्या ये सब… आपको अच्छा नहीं लगा ? वो भी बिना कोई बाहरी आडंबर“
“बेहद ...बेहद...इतना खूबसूरत नजारा मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा.. ना महसूस किया ...अनामिका जी ......आपकी मेहनत जो आपने इस डिनर के लिए की है, जगह की पसंद और ये शाम .. वाह ... मेरे पास तारीफ के लिए शब्द नहीं “
अंकित ने खुशी से भरकर ..आसमान की ओर दोनों हाथ फैलाते हुए जवाब दिया
“ जी नहीं.... सिर्फ अनामिका कहिए “ उसने अंकित की ओर खाने की प्लेट बढ़ाते हुए कहा
“अ ....ना...मि... का ” उसने शर्माते हुए कहा और प्लेट पकड़ कर अपने सामने रख ली
अंकित का मन “अब कब?? इससे बेहतर मौका कब मिलेगा...बता दे अपने मन की बात...हम्म
अंकित:- मैं कुछ कहना चाहता हूँ ...
अनामिका:-“हम्म कहिए ना” उसने खाने का निवाला मुंह में रखते हुए कहा
अंकित:- “ आप बहुत खूबसूरत हैं, ना जाने कब से... मुझे खुद एहसास नहीं हुआ, कि मैं कब तुमसे इतनी मोहब्बत करने लगा, मैं बब्स्स तुम्हें और तुम्हें चाहता हूँ...और जीवन के अंतिम क्षण तक तुम्हें चाहूँगा....कहते हुए अंकित अपनी कुर्सी से उठ कर कर नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया मैं तुमसे प्यार करता हूँ ..........अनामिका….बहुत...बहुत ...अगर तुम स्वीकार कर लो तो इस धरती पर मुझसे ज्यादा कोई खुशनसीब नहीं होगा”
अंकित अनामिका की ओर अपने जवाब की उम्मीद में देखना लगा, और अनामिका जो खड़ी- खड़ी उसकी ओर ही देख रही थी ..धीमे कदमों से चलते हुए उसकी ओर बढ़ने लगी..अंकित को लगा जैसे उसका दिल सौ की स्पीड से भी तेज़ दौड़ रहा है..अनामिका ने पास आकर अपने दोनों हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए बोली
“ना प्यार करती होती ... तो डिनर ऐसे टेरेस पर रखती ?..मैं भी बहुत चाहती हूँ तुम्हें” उसने मुसकुराते हुए कहा तो अंकित एक बच्चे की तरह खुश होकर बोला “सच”
“हाँ....बिल्कुल सच....तुम्हारे बोलने का ही इंतज़ार कर रही थी” कहते हुए अनामिका और नजदीक आ गई अंकित के, और दोनों एक दूसरे के गले लग गए ...इतने नजदीक आकर जो भावनाओं का वेग उमड़ा तो एक खूबसूरत चुम्मन ... दोनों के प्रेम का गवाह बन गया...
और चाँद मानो शरमा कर बादलों के पीछे छुप गया ................
अंकित अपने ऑफिस से घर की ओर आ रहा था कि उसकी नजर थोड़ी दूरी पर सामने रुकी कार पर चली गयी,
दो लड़के उसी मस्कुलर लड़के को कार में बैठा कर ड्राइवर को कुछ हिदायत दे रहे थे...
उसे देख अंकित का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया ...और उसके पीछे दौड़ने ही वाला था कि
मन ने कहा “फिर वही गलती मत कर ...छोड़ना नहीं है इसे बार...टैक्सी ले....
अंकित “हम्म...हम्म”
और अंकित टैक्सी लेकर उस कार के पीछे लग गया.. जल्दी ही कार एक बड़े से बंगलेनुमा घर के आगे रुकी … और ड्राइवर उस मस्कुलर को संभालता हुआ अंदर ले जाने लगा... और अंकित उसके पीछे-पीछे जाने लगा...
मस्कुलर को घर में छोड़ ड्राइवर वापस हो गया, भाग्यवश कोई और नहीं दिख रहा था घर में इसलिए अंकित आराम से अंदर चला गया...और बिना एक मिनट गवाएं उसने पांचों उंगलियां इक्कठा कर एक जोरदार पंच बनाया और उसके मुंह पर दे मारा।
“बता...अनामिका के पीछे क्यों पड़ा है...तेरे पास उसकी फोटो कैसे आई....बोल”
अंकित ने गुस्से में दांत भिंचते हुए कहा ,लेकिन पंच खाने के बाद भी जैसे होश में नहीं आया मस्कुलर ...बेहद नशे की हालत में बोला
“कौन हो तुम .... अंदर कैसे आए?"
“बस्स इतना जान ले ... कि अनामिका सिर्फ मेरी है “ बेहद गुस्से में बोलते हुए उसने एक जोरदार पंच और रसीद कर दिया मस्कुलर को...
इतने में घर से ही किसी की आवाज आई और अंकित बाहर की ओर तेज़ी से निकल गया....फिर पहचानी सी आवाज सुन उसके कदम रुक गए और उसने दरवाजे के दरार से झांक कर देखा तो ... एक बार फिर आश्चर्य से उसकी आंखें फैल गयी।
..................क्रमश:------------------