पारितोषिक

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आदतन श्रीनिवासन समय से पहले अपने कार्यालय पहुँच चुके थे... और अपने अधिपुरुष(बॉस) की प्रतीक्षा कर रहे थे.. उन्हें आज अपना त्याग पत्र सौंपना था...।

बीते कल मुख्यकार्यालय से अधिपुरुष के अधिपुरुष आये थे जिन्हें रात्रि भोजन पर वे अपने घर पर आमंत्रित कर लिए थे... तथा विनम्र आग्रह के साथ सूचित कर दिए थे कि वे अपने पिता के संग रहते हैं जिन्हें अपने पोते-पोती और पुत्र के साथ रात्रि भोजन करने में खूशी मिलती है और समय के बहुत पाबंद हैं। पोते-पोती को भी अनुशासित रहने की शिक्षा उनसे मिली हुई है। प्रातः वंदना, टहलना, योगासन सबके साथ करते हैं,.."अतः कृपया समय का ख्याल रख हमें अनुगृहीत करें !"

 अपनी पत्नी को सूचित कर दिए कि आज रात्रि भोजन पर दो अतिथि होंगे...। उनकी पत्नी कुशल गृहणी थी... गृह सज्जा से लेकर भोजन की तैयारी कर लेगी इस मामले में वे निश्चिंत थे और वही हुआ भी । जब शाम को वे घर पहुँचे तो बेहद खुश हुए...। पिता के भोजन का समय होते-होते भोजन-मेज पर सभी चीज कायदे से व्यवस्थिति हो गया... लेकिन अतिथि अभी नहीं आ पाये थे। उनके पिता बोले कि "थोड़ी प्रतीक्षा कर लिया जाए ..?"

"ना! ना, आप और बच्चे भोजन कर सोने जायें, मैं प्रतीक्षा करता हूँ।" पिता व बच्चों के भोजन कर लेने के बाद वे बाहर आकर बैठ गए। थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के बाद अंदर जाकर पत्नी के साथ भोजन कर, बचा भोजन फ्रीज में रखवाने में मदद कर चुके थे कि बाहर से पुकारने की आवाज आई..

वे बाहर जाकर देखे तो दोनों अतिथि खड़े थे.. उन्हें विनम्रतापूर्वक वापस जाने का कहकर मुख्य दरवाजा बंद कर सोने चले गए.. "आपको साहब अपने केबिन में बुला रहे हैं..," अधीनस्थ के पुकारने पर श्रीनिवासन की तन्द्रा भंग हुई और वे साहब के केबिन में जाकर अपना त्यागपत्र सौंप रहे थे कि मुख्यालय से आये साहब उन्हें गले लगाकर बोले कि-"आपकी पदोन्नति की जाती है !"


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