पापा और शब्द
पापा और शब्द
पापा के साथ पूना जाना हुआ। पूना मैं मुझे एम. बी. ए करना था। अंदर से लग रहा था घर से दूर रहकर कैसे होगा। पापा को देखती तो वह शांत लग रहे थे। पापा को देखकर मैं भी अपना साहस समेट लेती। पूना पहुंचकर कुछ समय पापा के साथ रहना और समझना हुआ। पापा कहते खुद पर विश्वास रखना जीत सदा तुम्हारी होगी। पापा के साथ पूना में अच्छा लग रहा था। मुझे सीखने को भी बहुत कुछ मिलता रहा। पापा जब मुझे देखते तो आंखें उनकी बड़ी-बड़ी मुझे सुंदर लगती। पापा की आंखें बहुत कुछ कह जाती और समझा जाती। यह समय शीघ्र ही बीत गया और पापा का वापस जाने का समय आ गया। पापा जब जाने लगे तो पापा ने कहा "शब्द अनमोल निधि होते हैं ,ध्यान और मान दोनों ही बातों को रखना होता है।" पापा ने कहा हमारे चेहरे की हंसी जीत की रहा को सरल बना देती है।
पापा की बातों से पूना में मुझे बहुत सहारा मिला। पापा की बातें मुझे हर समय राह दिखाती। पूना मैं मेरा एम. बी. ए ठीक से हो गया। वहां मुझे सफलता भी मिली और मित्र भी मिले। आज भी जब मुझे मेरे पापा की याद आती है आगे की राह मिल जाती है। पापा की अनमोल बातें हमें अनमोल राह दिखा जाती है। हमें इसका आभास भी नहीं हो पाता। कितनी सरलता से पापा हर बात को समझा जाते हैं। अनमोल शब्द की तरह हमारे पापा जी भी अनमोल है। पापा की बातों में तथा शब्दों में जीवन रहता है। वह रहा को सुंदर तथा सरल बनाता चलता है तथा जिंदगी को जीना सिखा देता है।
