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Indu Prabha

Others

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Indu Prabha

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मेरा टीपू

मेरा टीपू

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फोन की घंटी बज रही थी। देखना इप्रा किसका फोन आया है, इप्रा ने आकर बताया उसकी सखी मीनू अपने घर एक छोटा और प्यारा पप्पी ले आयी है। वह पप्पी रात भर वर्षा होने से वर्षा में भीगता रहा था। अब वह उसकी देखभाल कर रही है। अब पप्पी देखने के लिए घर पर बुला रही है। मीनू के पास टाइगर नाम का कुत्ता है। इस कारण वह इप्रा से पप्पी को अपने साथ घर पर रखने को कह रही है।

   येन केन वह पप्पी हमारे घर पर आ गया, इप्रा तो जैसे यह चाह ही रही थी। पप्पी के घर आने से इप्रा को सारी चीजें सुंदर लगने लगी, अब सुंदरता का प्रतिरूप जैसे पप्पी बन गया। इप्रा पप्पी के लिए सुंदर नाम सोचती ,अनेकों नाम सोचे शेरू, टेडी, टीपू, बोन्जों अतः में टीपू नाम सहमति से रखा गया। अब टीपू प्रतिदिन शाम सवेरें घूमने जाता आस पास की सब खबर रखता। टीपू धवल रंग का था सामने माथे के बाल बीच के श्याम रंग के थे। जो कि टीका लगने का भ्रम उत्पन्न करते थे। 

   उन दिनों हमारी बुआ चाची का आना हुआ। उनके आने से जैसे घर में रौनक आ गई। बुआ चाची से बातें करने के लिए सब एकत्र होकर बैठ जाते और बाते होने लगती, बातों का अंत भी नहीं होता। टीपू भी उसी घेरे में आने की कोशिश करता तब बुआ चाची कह देती यह तो वहाँ से ही अच्छा लग रहा है वही ठीक है। 

   प्रातः प्रतिदिन बुआ चाची सूर्य को अर्क देने जाती तब टीपू को पकड़े रखने के लिए कहती। इप्रा जब स्कूल से आती टीपू दौड़कर टिफन लेने जाता। लाकर रख देता। प्रतिदिन सवेंरे पेपर ले आता और पास बैठ जाता तथा प्रतिक्षा करता जब हमारी चाय आयेगी तब ही उसको भी बिस्कुट पनीर तथा उबला आलू मिलेगा। आलू शौक से खाता ।

   आज बुआ चाची का जन्मदिन के कारण रात्रि में देर तक मनोरंजन चलता रहा, बाद में सब लोग विश्राम के लिए चले गये। अभी कुछ ही समय बीता होगा टीपू के जोर-जोर से भौंकने की आवाज आने लगी।, इप्रा ने लेटे ही लेटे कहा टीपू चुप रहो, चुप रहो पर टीपू चुप नहीं हो पा रहा था। कुछ लोग जग गये और प्रकाश किया । तब ही  हम सब ने दो लोगों को रोशनदान से जाते देखा, जो सामान बांधा था उस सामान को रोशनदान से नहीं ले जा सके। जब हमने अंदर कमरे में जाकर देखा वहाँ रात्रि में रखी चूडियाँ और माला आदि सुरक्षित रखी थी।

   टीपू अपने पूरे जोश में खड़ा था और चैकसी कर रहा था। बुआ चाची ने कहा आज टीपू ने हम सबकी रक्षा की है प्रातः जब बुआ चाची सूर्य को अर्क देने जाने लगी तो कहा कि टीपू को न पकड़ना। सूर्य की तेजोमय किरणें सब में समान रूप से रस का संचार करती है, सूर्य के उगते ही तिमिर लुप्त हो जाता है और फूल खिल जाते है सबको साथ लेकर चलने में भी हजारों खुशियां बंट जाती है और धीरे- धीरे निखार आता जाता है एक आनंद का अनुभव प्राप्त होने लगता है। यह कह कर बुआ चाची ने एक खूबसूरत मुस्कान दी। यह मुस्कान भी प्रार्थना से कम नहीं थी। जब हम किसी को मुस्कान देते है तब ईश्वर भी हमारे साथ हो जाता है।

   कुछ समय बाद देखा सब बुआ चाची के पास बैठे बात कर रहे है उसी ने टीपू भी शामिल होकर बैठा है। वास्तव में वाणी और आचरण की कोमलता ही ईश्वर की स्तुती बन जाती है। 



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