मोर पंख
मोर पंख
बात उन दिनों की है जब बालक विनय पिलानी में माता-पिता के साथ रहता था। विनय को पापा राम कृष्ण का अपने व्यापार के कारण दूसरे शहरों में जाना रहता था। विनय पापा के वापस आने पर उन शहरों की घटनाओं और वस्तुओं के बारे में कहानी की तरह सुनता। विनय उन कहानियों और वस्तुओं को अपनी कल्पनाओं से बुना करता |
विनय के पापा इस बार विनय के लिये मोर पंख लाये साथ में सुन्दर सा शंख भी लेते आये । विनय इस सुन्दर, चमकीले लम्बे, सुनहरी रंगबिरंगे मोर पंख को देख कर बहुत खुशी से कहने लगा यह तो राष्ट्र पक्षी मोर का पंख है इसे में अपनी पुस्तक में रख लेता हूँ। पापा कहने लगे आऊ इसे देखो मोर पंख से एकाग्रता बढ़ती है, मन शान्त होता है, कार्य होने पर सफलता मिलती है|
पापा विनय को बताने लगे कथा मैं वर्णन आता है कि इन्द्र भी मोर पंख के बने सिंहासन पर बैठते है | श्री बालकृष्ण को मोर मुकुट धारी कहते है क्योंकि कृष्ण मुकुट में मोर पंख लगाते हैं।
इस तरह की जब भी बातें होती विनय की माता जी भी आकर बैठ जाती,, माता जी कहने लगी मोर पंख को नव ग्रह की तरह उच्च स्थान प्राप्त है। यह पंख हम को संदेश देता है जीवन में मोर पंख की तरह हल्के तथा गहरे रंग हुआ करते है | हम भी कभी दुःख मुसिबत का सामना मोर पंख के गहरे रंग की तरह करते है कभी हमें हल्के
रंग की तरह सुख तथा समृद्धि मिलती है , माँ ने कहा कि हमारे ऋषि मुनी लोग ग्रंथ को मोर पंख की कलम बना कर लिखा करते थे | ऋषि मुनि लोग मानते थे की मोर पंख में देवी-देवताओं का वास होता है|
विनय शंख को देखने लगा, पापा ने विनय को बताया की मां दुर्गाऔर भगवान विष्णु अपने हाथ में दक्षिण मुखी शंख धारण करते है | शंख की ध्वनि को शंख नाद कहते है शंख की ध्वनि कल्याण कारी साकारात्मक ऊर्जा देती है जहाँ तक शंख की ध्वनि जाती है वहाँ वैज्ञानिक रूप से कीटाणु का नाश होता है तथा श्वास में सुधार होता है। विनय की माता जी ने कहा हम शंख में रात को पानी भरकर रख देंगे, सुबह शंख मैं पानी को पायेंगे इस से पेट, मन ठीक रहता है शुगैर दमा को लाभ होता है, शंख सेहत और सुन्दरता का खजाना होता है। अजों का संचार होता है शंख की ध्वनी ओम की ध्वनि के के समान महत्त्व पूर्ण ऊर्जावान है माँ ने कहा इसे पूजा स्थल पर रोव देती है विनय ने कहा हम प्रतिदिन शख बजायगे शेख समुन्द्र मंथन से, चौदह रत्न में से एक है।, विनय को शरख सुन्दर और
मोहूक लग रहा था पापा से शंख बजाने की कहने लगा, पापा ने शख बजाया इक शेख की ध्वनि विनय को प्रिय लग रही थी तभी शुख की सुन कर विनय का दास्त कमल रहता है। भी आ गया वह बराबर के घर स्कूल भी साथ साथ जाते है, कमल को भी विनय ने मोर पंख, शेख के बारे ' में बताया कमल ने कहा मेरे पास भी मैं भी इस को बनाया बजा शख है मै भी में बजाया करूंगा | कमल शवस्थान शरण की क धुन सुने सब दुःख मीटाये विनय ने कहा हाँ हाँ ठीक है शंख की ध्वनी सुन होए स्वस्थ्य कहने इसी तरह दोनो मित्र वस्तु एवम् कथा का आनन्द लेते रहे लगा |