खाली घर
खाली घर


एक वृद्धा, प्रसाद की छोटी-छोटी थैलियां बनाती और ऊपर राम-नाम अंकित करती।आज आसमान में बादल छाए हुए थे, आज पूर्णिमा थी और बारिश की बूंदे गिर रही थी।वृद्धा मां से थैलियां बनाते समय सुई हाथ से गिर गई। वृद्धा मां आस-पास ने ढूंढने पर भी सुई नहीं मिली, तब वह मां ढूंढते-ढूंढते घर से बाहर आ गई।संध्या घिर आने से, लैंप-पोस्ट जगमगा रहे थे, उसी प्रकार की सहायता से सुई खोजने लगी, तभी एक युवक आया और बोला "दादी क्या ढूंढ रही हो, मैं सहायता कर देता हूं।"मां बोली "बेटा काम करते वक्त सुई गिर गई थी, वही खोज रही हूं।"युवक ने पूछा "दादी आप कहां काम कर रही थी", मां ने उत्तर दिया "बेटा मैं काम तो अंदर कर रही थी, खोजते खोजते यहां चली आई, रोशनी में सुई जल्दी मिल जाएगी।अभी काम भी बहुत बाकी है।"युवक बोला "दादी मां तुम्हारी सुई अंदर घर में ही मिलेगी वही जाकर खोजें, बाहर की दुनिया चमकदार तो हो सकती है , पर वह वास्तविक नहीं होती।तुम्हारी असली खोई वस्तु अंदर ही मिलेगी, चलो मैं तुम्हें घर के अंदर पहुंचा दूं।"वृद्धा मां हंस कर बोली "बेटा तेर
ा भला हो, मैं चली जाऊंगी और खोज भी लूंगी।"मां धीरे-धीरे अंदर आई और देखा थोड़ा ढूंढने पर जहां राम-नाम अंकित कर रही थी, वहीं पर सुई पड़ी हुई थी।मां प्रसन्नता से राम-नाम अंकित करने लगी, तब उसने देखा धागा कम पड़ गया है।मां ने अपनी बेटी को बुलाकर धागा लाने के लिए कहा।शीघ्र ही उसकी बेटी माला रेशमी सुनहरा धागा लेने पास की दुकान पर पहुंची।दुकानदार से बेटी माला बोली "भाई सामने के डिब्बे में क्या रखा है ?" दुकानदार ने कहा "इस डिब्बे में , गोपाल जी के कंगन है।"माला ने फिर पूछा "भाई बराबर वाले डिब्बे में क्या रखा है ?" दुकानदार ने कहा "यह तो गोपाल जी के मुकुट का डिब्बा है"माला ने उत्सुकता से पूछा इसके ऊपर वाले डिब्बे में क्या है ? दुकानदार ने उत्साह से उत्तर दिया "यह तो खाली है, इसमें तो गोपाल जी स्वयं बैठते हैं।"माला रेशमी धागा लेकर वापस आ गई और विचार कर रही थी, और खाली और स्वच्छ डिब्बे में गोपाल जी हैं।दादी मां ने भी कहा खालीपन संजीवनी बूटी होती है।सत्य आत्मा का गुण है, निर्मल और स्वच्छ खाली मन और खाली घर में ही गोपाल जी रहने आते हैं |