पांच हज़ार से दस हजार की कहानी
पांच हज़ार से दस हजार की कहानी
एक बाप ने अपने बेटे को पांच हजार दिए और बोला बेटा इस पांच हजार को बाहर जाकर दस हजार करके आओ। अब उसने वैसे ही किया वो पांच हजार लेकर घर से बाहर निकला रास्ते में चल ही रहा था एक आदमी कपड़ों की दुकान पर हजार रुपय में चार जोड़ी कपड़े बेच रहा था उसने पांच हजार में से एक हजार खर्च कर दिए उसके पास अब चार हजार बचे रास्ते में चल ही रहा था एक आदमी हजार रुपय में दो जोड़ी जूते बेच रहा था बिना सोचे समझे उसने खरीद लिया अब उसके पास तीन हजार रूपए थे वो सोचने लगा की ये पैसे ज्यादा होनी की बजाय कम हो रहे हैं वह आगे बढ़ता गया एक आदमी हजार रुपए में दो घड़ी बेच रहा उसका फिर मन हुआ उसने खरीद ली अब उसके पास अब दो हजार रुपए बचे फिर सोचने लगा कि ये पैसे तो फिर से कम हो गए और फिर आगे बढ़ता गया एक आदमी बोल रहा था हजार रुपए में जीतना मर्ज़ी खाओ महंगें से लेकर सस्ता सब हजार रूपए में फिर क्या उसने हजार रुपए फिर खर्च कर दिए पेट भर जाने के बाद बोला अब तो मेरे पास हजार रुपए है एक आदमी बोल रहा था हजार रुपए दो और भविष्य देखो बस वो पैसे भी खर्च हो गए और अब वह घर की और चल पड़ा घर पहुंच कर जब उसके बाप ने पूछा बेटा तुम पांच के दस हजार करके आ गए वह दुःखी होकर बोला कि मुझको पता चल गया है कि पैसों की कीमत के बारे में।
आपको पैसों की कीमत तब पता नहीं चलती जब आप खुद नहीं कमाते।