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ओइएल हाउस (OEL House) लखनऊ का रहस्य

ओइएल हाउस (OEL House) लखनऊ का रहस्य

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ओइएल हाउस (OEL House) का रहस्य जहां आज भी लोग जाने से डरते हैं लखनऊ के नवाबों को बेहतरीन हवेलियाँ बनवाने का बहुत शौक़ था जिससे मज़दूरों को रोजगार भी मिलता रहता था। ऐसी ही एक शानदार हवेली थी ओइएल हाउस (OEL House) , जहां पर लखनऊ पर शासन करने वाला अंतिम नवाब, वाज़िद अली शाह रहा करता था और उसके बाद वह लखनऊ यूनिवर्सिटी के वाईस-चांसलर का निवास बना। आजकल इस हवेली को बहुत ही रहस्यमय और भुतहा माना जाता है, तो आइये आपको इस हवेली की कहानी के बारे में बतायें कि आखिर ये शानदार हवेली भुतहा क्यों, कब और कैसे बन गई।


क्या है ओइएल हाउस की कहानी? ओइएल हाउस (OEL House) की कहानी, लखनऊ के ग्यारहवें और अंतिम शासक नवाब वाज़िद अली शाह की कहानी है, जिनको वामपंथी इतिहासकारों ने कवि, नाटककार, नर्तक और कला के महान संरक्षक के रूप में प्रदर्शित किया है। सनातन धर्म के विरोध में नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले इतिहास कारों ने यहाँ तक लिखा है कि “अवध में कथक को फिर से लोकप्रिय करने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

उसको लखनऊ से और वहां की जनता से प्यार था, और वो अपनी दरियादिली का सबूत अक्सर ही लोगों की जितना हो सके मदद कर के दिया करता था” लेकिन वास्तविकता यह थी कि इस विचित्र व्यक्तित्व के नवाब वाज़िद अली शाह के हाथ पूरी तरह से अंग्रेजों ने बाँध रखे थे क्योंकि जब तक वो लखनऊ की राजगद्दी पर विराजमान रहा, अंग्रेजों ने लगभग पूरे अवध पर कब्ज़ा जमा लिया था और वाज़िद अली शाह सिर्फ नाम का ही नवाब था।

सन् 1857 के विद्रोह के समय अंग्रेजों को इस बात का पूरा अंदेशा था कि नवाब वाज़िद अली शाह भले ही ज़ाहिर ना करें पर दिल से वो अहसान फरामोश है और अंग्रेजों के साथ दगा करेगा, इसलिए उसको लखनऊ से कैद कर के कोलकाता भेज दिया गया जहां वो अंतिम समय तक एक बड़ी हवेली में नज़रबंद रहा और बाद में मर गया। अंग्रेजों के सामने नवाब वाज़िद अली शाह की इस मज़बूरी और मायूसी को उसके वफ़ादार सिपाहियों ने गहरायी से महसूस किया और सन् 1857 के विद्रोह में बहुत से अंग्रेजी सिपाहियों और उनके अफसरों को ओइएल हाउस में मार कर के कुएँ के अंदर फेंक दिया गया।



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