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भारत में स्थित दुनिया के एकमात्र तैरते हुए उद्यान का रहस्य

भारत में स्थित दुनिया के एकमात्र तैरते हुए उद्यान का रहस्य

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क्या आपने कभी कोई तैरता हुआ उद्यान (पार्क) देखा है, शायद नहीं देखा होगा क्योंकि यह भारत तो क्या बल्कि पूरी दुनिया में एक ही है और बहुत से लोग तो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। आइए आज हम आपको भारत में स्थित दुनिया के इसी एकमात्र तैरते हुए उद्यान के बारे में बताते हैं।

कहाँ पर है यह तैरता हुआ उद्यान:-यह तैरता हुआ उद्यान भारत के मणिपुर राज्य में है और ये लोकटक झील का एक हिस्सा है। यह पार्क केयबुल लामजाओ नेशनल पार्क के नाम से प्रसिद्ध है। जब आप मणिपुर की राजधानी इंफाल से 29 किलोमीटर दूर विष्णुपुर नाम के गांव की तरफ जाते हैं तो वहाँ पर आपको यह तैरने वाला नेशनल पार्क मिलेगा।

यह लगभग 40 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्रफल में बसा हुआ है और सन 1977 में इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया था। लोकटक झील भारत की सबसे बड़ी शुद्ध पानी की झील है (फ्रेश वाटर लेक) है। इस झील में छोटे-छोटे जमीन के तैरते हुए टुकड़े पाए जाते हैं जिन्हें फुमड़ी कहा जाता है। दुनिया में सिर्फ लोकटक झील में ही फुमड़ी पाए जाते हैं, है ना कमाल की बात!

उद्यान में पाई जाने वाली अनोखे जानवरो की प्रजातियां :-यहाँ पर कई जानवरों की सारी दुर्लभ प्रजातियाँ (रेयर स्पीशीज) पाई जाती हैं जैसे इंडियन पाइथन (अजगर) और बार्किंग डियर (भौंकने वाला हिरन) परंतु जिस दुर्लभ जानवर के लिए यह तैरता हुआ उद्यान विश्व में सबसे अधिक प्रसिद्ध है वह है संगाई डियर क्योंकि पूरी दुनिया में एकमात्र यही वह जगह है जहाँ यह पाया जाता है। इसे डांसिंग डियर के नाम से भी जाना जाता है।

कैसे तैरता है एक मात्रा उद्यान ?अब आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि फुमड़ी होती क्या है? फुमड़ी फ्लोटिंग (तैरते रहने वाले) ब्लॉक होते हैं जो कि बाहर से तो बहुत ठोस होते हैं परंतु अंदर से खोखले होते हैं, इसलिए ये पानी में तैरते रहते हैं। जब तैरती हुई घास-फूस और मिट्टी परत दर परत जुड़ती है तो यह फुमड़ी बनती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह फुमड़ी कभी भी पानी में डूबती नहीं है। इन का 80% हिस्सा पानी के अंदर होता है और सिर्फ 20% हिस्सा पानी के ऊपर होता है।

यह फुमड़ी काफी मजबूत होती है और यहाँ रहने वाली माटी जाति के लोगों ने तो इन पर अपने घर भी बसाए हुए हैं। यहाँ तक कि ऐसी ही एक फुमड़ी पर बच्चों का स्कूल भी है।

यहाँ रहने वाली भाटी जाति के लोग मछली पालन का काम करते हैं। मछली पकड़ कर शहर की बाजार में बेचना यही इनका जीवन यापन का तरीका है। तैरते रहने के कारण ये फुमड़ियाँ अक्सर ही अपना पता बदलती रहती हैं। जहाँ पर कई फुमड़ियाँ आर्टिफिशियल हैं यानी मनुष्यों द्वारा बनाई गई हैं जिनको इस्तेमाल कर के यहाँ के लोग फोम बनाते हैं और मछलियाँ पकड़ने के लिए भी इनका इस्तेमाल करते हैं।

तो फिर देर किस बात की, चलिए करते हैं अपना बैग तैयार और निकल पड़ते हैं इन तैरते हुए उद्यान को देखने के लिए, यह आपको निश्चित रूप से एक अनोखा अनुभव देगा!

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