नया नज़रिया
नया नज़रिया
विशेष खिन्न मन से इधर उधर घूम रहा था। कितने उत्साह के साथ वह यहाँ छुट्टियां मनाने आया था। बहुत दिनों से पैसे इकठ्ठे कर रहा था। पर जिस होटल में वह ठहरा था वहाँ की सर्विस उसे अच्छी नही लगी।
चारों तरफ प्रकृति की अनुपम छटा बिखरी थी। लेकिन उसे कुछ भी अच्छा नही लग रहा था। तभी एक बच्चे की किलकारी उसके कानों में पड़ी। उसने पीछे मुड़ कर देखा ढाई तीन साल का एक बच्चा आस पास की चीज़ों को देख कर खुशी से ताली बजा रहा था।
उसकी प्रसन्नता देख कर विशेष को एहसास हुआ कि खुश रहना भी एक कला है।
उसने नए नज़रिए से आस पास देखना शुरू किया।