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Kumar Vikrant

Inspirational

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Kumar Vikrant

Inspirational

नया जीवन/गरीबी

नया जीवन/गरीबी

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"तुम्हारा नाम वैशाली है ?"

"जी साहब......"

"नाम तो बड़ा ऐतिहासिक रखा है तेरे माँ-बाप ने लेकिन ऐसा काम क्यों कर रही है।"

"उन्ही माँ-बाप की देखभाल के लिए, तुम अपना काम निपटाओ साहब मुझे यहाँ से निपटकर घर जाकर अपने माता-पिता के लिए खाना भी बनाना है।"

"क्या यही काम मिला है तुझे अपनी गरीबी मिटाने के लिए......हाथ पैर सलामत है......सिलाई मशीन चलाना जानती है ?"

"नहीं साहब......अब तू ये बाते न कर; बहुत मिलते है तेरे जैसी बात करने वाले लेकिन काम खत्म होते ही वो सब भूल जाते है।"

"मेरी बात का जवाब दे; सिलाई मशीन चलाना जानती है ?"

"नहीं जानती हूँ।"

"सीखने का मन है ?"

"नहीं है।"

"क्या इसी काम से जिंदगी गुजरेगी तेरी, अभी जवान है तो लोग पूछते है लेकिन तू हमेशा जवान नहीं रहेगी।"

"बाबू ये भाषण क्यों दे रहा है, इतना दूध का धुला है तो मेरी जैसी के साथ क्या कर रहा है।"

"वैशाली मेरा नाम पोरस है, मैं तुम जैसी लड़कियों के पुनर्वास में कार्यरत एक एन जी ओ में काम करता हूँ इसलिए लगभग रोज तेरी जैसी लड़कियों के साथ इसी तरह की बात करता हूँ, अब बोल सिलाई मशीन चलाना सीखेगी ?"

"सीखेगी साहब, लेकिन आमदनी कितनी होगी ?"

"इस काम के जितनी तो नहीं होगी लेकिन जो भी होगी उससे तू और तेरा परिवार इज्जत से जिंदगी जी सकेगा।"

"लेकिन कालू दादा मुझे जाने नहीं देगा।"

"उसके खिलाफ अदालत में बयान देगी ?"

"देगी साहब।"

"तो वो जेल की सलाखों के पीछे होगा, आ अब मेरे साथ चल एक नया जीवन तेरा इंतजार कर रहा है।"


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