नवासे का मोह
नवासे का मोह
रघु और रानी अपनी बेटी से मिलने उसके शहर जा रहे थे क्योंकि उनकी बेटीआरती के बेटा हुआ था।
उनके पास सामान्य डिब्बे का टिकट था लेकिन अत्यधिक भीड के कारण वे जनरल डिब्बे में चढ नहीं पाए ,अतः आरक्षित डिब्बे में ही बैठ गए। इतने में टी टी आ गया उसने कहा।" पर्ची कटवाओ,आरक्षित डिब्बे का टिकट नहीं है तुम्हारे पास।200/ 200रुपए की पर्ची कटेगी।" ।रानी धीरे से बोली" भैया एक ही पर्ची बना दीजिए,हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं।" टी टी नहीं माना और 400रु लेकर माना।"
मुनिया के बापू इतना उदास मत हो।हम लोग शाम का खाना नहीं खांएगे और पैदल ही स्टेशन से मुनिया के घर चले जाएंगे कुछ पैसे हमने बचा कर रखे हैं करीब 200/रु वह भी साथ लाई हूं।।" ।" वह तो ठीक है पर 300/ रु में क्या कर पाएंगे।।" रानी ने समाझाया-।" अरे मुनिया जब आपने घर आएगी तब ज्यादा दे देंगे।अपना मन छोटा न करो।"
रानी फिर बोली-।" मैं मोदी जी को पत्र लिखूंगी-आपने आयुष्मान योजना और न जाने कितनी योजना चलाई है, पर गाडी में सामान्य दर्जे के 4-4 डिब्बे और लगवा दें ताकि हम गरीब अपने नवासे का मुंह खुश होकर देख तो सकें।
मोदी जी मैट्रो ट्रेन चलवा रहे हैं, इसमें करोड़ों लग जाएंगे, ये तो अमीरों के चोंचले हैं। हमने भी तो वोट दिया है।"
अरी भाग्यवान हमारा वोट देने का अधिकार तो है पर सलाह देने का नहीं, समझीं।" रानी हँस दी।