अवसर

अवसर

1 min
305



खट-खट-खट....!! "कौन है बे?" राजवीर चीखा। "मैं अवसर हूँ...." "मैं किसी अफसर-वफसर को नहीं जानता।" तभी फिर से आवाज़ आई-"मैं अफसर नहीं अवसर हूं।" "उठता क्यों नहीं? राजवीर,अवसर द्वार पर खड़ा है" उसका बापू बोला। राजवीर की नींद उड़ गई। बोला-"बापू क्या करूँ?" "देख अवसर तो पलक झपकते ही निकल जाता है। घर आए अवसर का स्वागत कर।" राजवीर तुरंत जरूरी कागज़ात लेकर नौकरी के लिए निकल पड़ा।अवसर मुस्कराता हुआ दूसरा दरवाज़ा ढूंढने लगा।


Rate this content
Log in