"नर्तकी"
"नर्तकी"
अपनी बालकनी में बैठ कर,चाय की प्याली हाथ में पकड़े पकड़े दूर सामने की छत पे छोटी छोटी बच्चियों को कत्थक नृत्य करते हुए देखना मृणालिनी जी का सबसे अच्छा टाइम पास है। शाम के इस एक घंटे के समय का उन्हें दिन भर इंतज़ार रहता है। किसी दिन अगर ये छूट जाए तो फिर लगता है कि जैसे कोई जरूरी काम छूट गया हो।
बचपन में मृणालिनी जी को भी कत्थक का बहुत शौक था।शौक तो बाद में बना,पहले तो दरअसल शौक क्या होता है?ये भी नहीं पता था। कत्थक केन्द्र में तब से जाने लगीं थीं जब कुछ जानने समझने की उम्र ही नहीं थी। कत्थक सीखते सीखते ही बड़ी हुई थीं।फिर बाद के बरसों में स्कूल कॉलेज की पढ़ाई में ऐसी व्यस्त हुईं कि कत्थक वत्थक सब कहीं पीछे छूट गया,जान करके नहीं छोड़ा लेकिन पता नहीं कैसे छूट ही गया।
शादी हुई।राघव जी जैसे अच्छे पति मिले।फिर नृत्य तो क्या?घर परिवार शहर सब छूट गया।राघव जी की सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी थी,हर तीन चार साल में ट्रांसफर होता रहता था।किसी भी एक जगह टिक कर रहना ही नहीं हुआ। दो बेटे हुए राहुल और रोहित।फिर तो मृणालिनी जी की ज़िंदगी की धुरी ही घर परिवार, पति और बेटे हो गए। कभी राघव जी से कहती कि,इस भाग दौड़ में कत्थक के छूटने के बहुत अफसोस होता है। तो राघव जी हंस देते कहते 'इतनी अच्छी नर्तकी हो तभी तो सब सम्भाल रखा है।'खैर बात आई गई हो जाती।
समय चक्र तो चलता ही रहता है। समय के साथ राहुल और रोहित भी बड़े हो गए।राहुल तो एमबीए करके अमेरिका चला गया। रोहित की जॉब बेंगलुरु में लग गई वो वहाँ रहने लगे गया। दोनों बेटों ने अपनी पसंद की शादी भी कर ली। पिछले साल राघव जी का साथ भी छूट गया। हर समय एकदम फिट रहने वाले राघव जी एक छोटा हार्ट अटैक न झेल सके और डॉक्टर के पास पहुँचने से पहले ही बीच सफर में मृणालिनी जी का साथ छोड़ गए।
तबसे मृणालिनी जी छोटे बेटे रोहित के साथ बेंगलुरु आ गईं। रोहित ओर रिया दोनों जॉब करते हैं।सुबह साथ साथ निकलते हैं और देर रात गए घर वापस लौटते हैं।
पिछले संडे को जब मृणालिनी जी अपने पसंदीदा काम में लगी हुईं थीं, बच्चियों को कत्थक करते देखने में लगीं थीं। तभी न जाने कब रिया उनके पीछे आ कर खड़ी हो गई उन्हें पता ही न चला। फिर बातों बातों में रिया को पता चला कि उन्हें कत्थक का बचपन से शौक है। रिया ने रोहित से बात की,और पता लगाया कि कत्थक का नृत्य कहाँ सिखाया जाता है।
आज रात खाने के बाद रिया ने कहना शुरू किया 'मम्मी कल वीमेंस डे है।कल से आप एक नई शुरूआत कीजिये। मैंने पता कर लिया है आप कल से शाम को एक घंटे के लिए कत्थक केंद्र में जाइये, बच्चियों को नृत्य करते देखिए और उन्हें बारीकियां सिखाइये। फिर अगर आप चाहें तो हम एक नया केंद्र भी खोल सकते हैं।'
मृणालिनी जी ने रिया को गले लगा लिया और नई शुरुआत के लिए हामी भर दी।