नंगे पाँव साधारण व्यक्तित्व पद्म श्री आदिवासी कवि
नंगे पाँव साधारण व्यक्तित्व पद्म श्री आदिवासी कवि
ओडिशा के रहने वाले 71 वर्षीय हलधर नाग 'कोसली भाषा' के प्रसिद्ध कवि हैं। इनका जन्म सन 1950 में ओडिशा के बारगढ़ ज़िले के एक ग़रीब परिवार में हुआ था। महज 10 साल की उम्र में मां-बाप का देहांत होने के बाद उन्होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अनाथ की ज़िंदगी जीते हुये एक ढाबा में जूठे बर्तन साफ़ कर कई साल गुज़ारे।
इसके बाद हलधर नाग ने 16 साल तक एक स्थानीय स्कूल में बावर्ची के रूप में काम किया। कुछ साल बाद उन्होंने बैंक से 1000 रुपये क़र्ज़ लेकर स्कूल के सामने ही कॉपी, किताब, पेन और पेंसिल आदि की एक छोटी सी दुकान खोल ली। इससे वो कई सालों तक अपना गुज़रा करते रहे। इस दौरान वो कुछ न कुछ लिखते ही रहते थे और उन्होंने अपने लिखने के इस शौक़ को मरने नहीं दिया।
हलधर के मुताबिक हर कोई कवि है, लेकिन कुछ के ही पास कला होती है कि इसे आकार दे पाएं। हलधर नाग पैरों में कभी कुछ नहीं पहनते। सादगी पसंद इस कवि का ड्रेस कोड धोती और बनियान है।हलधर नाग का व्यक्तित्व बहुत ही साधारण है। उन्हें देखने पर ऐसा नही लगता कि वह इतनी बड़ी शख्सियत होंगे। उनके रहन सहन, उनकी जिन्दगी, उनके संघर्षों पर तथा उनकी कविताओं पर 5 छात्र शोध करके पीएचडी कर चुके हैं। जब वह नंगे पाँव, धोती बनियान में मंच पर आते हैं तो दर्शको का मन मोह लेते हैं।
कभी पैसों के अभाव के कारण जूते, चप्पल ना पहन पाने वाले हलधर नाग अब नंगे पाँव ही रहते हैं और कपड़ों के नाम पर सिर्फ एक बनियान और धोती पहनते हैं। और सभी कार्यक्रम, प्रोग्राम में वे ऐसे ही जाते हैं। पूछने पर वे बताते हैं कि नंगे पैर और इन कपड़ों में वे अच्छा महसूस करते हैं। उनको देखकर उनकी शख्सियत का अन्दाजा लगाना बहुत मुश्किल है।
पैर में बिना जूता या चप्पल पहने आप कितने दिन रह सकते हो? चलो वो भी छोड़ो नंगे पैर आप सड़क पर कितनी दूर चल सकते हो? इस ख्याल से ही डर सा लगने लगता है कि नंगे पाँव कंकरीली पथरीली सड़क पर कैसे चला जायेगा? लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसने अपनी जिन्दगी में कभी अपने पाँव में कोई चप्पल या जूता नही पहना है और वो 70 साल से नंगे पाँव ही रह रहे हैं।
राष्ट्रपति उन्हें पद्म श्री से सम्मानित कर चुके हैं।उनके संघर्ष और सफलता की कहानी आश्चर्यजनक है। उनके बारे में विशेष बात यह है कि उन्हें अपनी लिखी सारी कविताएँ और 20 महाकाव्य कण्ठस्थ हैं।
संभलपुर विश्वविद्यालय में अब उनके लेखन के कलेक्शन 'हलधर ग्रंथावली-2' को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है।
बचपन में पिता की मौत के साथ हलधर का संघर्ष शुरू हो गया। उनकी पहली कविता 'धोडो बारगाछ (केले का पुराना पेड़)' 1990 में एक स्थानीय पत्रिका में प्रकाशित हुई। उन्होंने पत्रिका को 4 कविताएं भेजीं और सभी प्रकाशित हुईं।
सादा जीवन, उच्च विचार'। ये कहावत 21वीं सदी में फ़िट नहीं बैठती है। इसके पीछे का प्रमुख कारण है पैसा। इंसान आज सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसों के पीछे भाग रहा है, लेकिन इस देश में एक ऐसा इंसान भी है जो क़ाबिल होने के बावजूद धन-दौलत की इस मोह माया से ख़ुद को कोसों दूर रखता है।
सफ़ेद धोती, गमछा और बनियान पहने हलधर नाग जब नंगे पांव राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से 'पद्मश्री पुरस्कार' ग्रहण करने पहुंचे, तो उन्हें देखकर हर किसी की आखें फटी की फटी रह गई थी।
इस दौरान देश के न्यूज़ चैनलों पर इस बात की बहस चल रही थी कि आख़िर एक काबिल इंसान ऐसा जीवन जीने को क्यों मजबूर है
नाग कहते हैंः मुझे इस बात की ख़ुशी है कि युवा पीढ़ी 'कोसली भाषा' में लिखी गई कविताओं में खासा दिलचस्पी रखता है। मेरे विचार में कविता का वास्तविक जीवन से जुड़ाव और उसमें एक समाजिक सन्देश का होना बेहद आवश्यक है'।
ओडिशा में 'लोक कवि रत्न' के नाम से मशहूर हलधर नाग की कविताओं के विषय ज़्यादातर प्रकृति, समाज, पौराणिक कथाओं और धर्म पर आधारित होते हैं। वो अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने की ओर भी तत्पर रहते हैं।
हलधर नाग धर्म, समाज, सामाजिक परिवर्तन जैसे विषयों पर कवितायें लिखते हैं। उनका मानना है कि कविता समाज के लोगो तक संदेश पहुँचाने का सबसे अच्छा माध्यम है।
इन्होने बहुत सी कवितायें तथा 20 महाकाव्य लिखे हैं। उन्हें अपनी सभी रचनायें ज़ुबानी याद हैं। आप उनसे केवल कविता का नाम या विषय बता दीजिये वह बिना कुछ भूले सारी कवितायें सुना देंगे। हलधर नाग कविताओं को याद रखने के लिये उन्हें गाँव वालो को सुनाते हैं और गाँव वाले भी बड़े ध्यान से उनकी कविताओं को सुनते हैं और सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। इसके साथ साथ वह रोजाना तीन से चार प्रोग्राम में अपनी कवितायें सुनाने जाते हैं।
हलधर नाग की उपलब्धियाँ
1. कोसली भाषा में 20 महाकाव्य तथा बहुत सी कवितायें लिख चुके हैं।
2. ओडिशा में उन्हें ‘लोक कवि रत्न’ के नाम से जाना जाता है।
3. उनकी कवितायें देश की कई यूनिवर्सिटी के कोर्स में पढाई जाती हैं।
4.ओडिशा की संबलपुर यूनिवर्सिटी के सिलेबस में उनके महाकव्य “हलधर ग्रंथावली-2’ को
शामिल किया गया है।
5. मार्च 2016 में राष्ट्रपति द्वारा ‘पदमश्री सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
