नकारा बेटा ।

नकारा बेटा ।

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राधेश्याम एक किसान थे उनके तीन बेटे थे । बड़ा बेटा पढ़ने में बहुत हुशियार था , उसने शहर जा कर पढ़ाई की थी , मझला बेटा पढ़ाई में ठीक ठाक था तो उसको राधेश्यामजी ने गांव में एक किराने की दुकान खोल के दी थी । राम शुरू से ही सुस्त किस्म का आदमी था । बचपन मे भी उसने पढ़ाई नही की , उसे कुछ नही आता था जोड़ घटाना भी नही आता था ।उसे कुछ भी काम दो वो उसे उल्टा या खराब कर देता था इसीलिए उसे कोई कुछ भी काम नही देता था । पूरा दिन इधर उधर घूमता रहता था बस खाने के टाइम घर आता था उसे भी रोज़ की किट किट और अपने भाइयों से तुलना अच्छी नही लगती थी । ऐसा नही था कि उसने कभी कुछ करने की कोशिश नही की , उसने पढ़ने की भी बहुत कोशिश की पर कुछ उसके दिमाग मे जाता ही नही था , वो बिचारा भी क्या करता उसके भाइयो ने कभी उसकी मदद नही की उल्टा वो लोग उस पर हँसते और उसे गधा कहते थे । तो राम ने भी कभी भाइयो से मदद नही मांगी । माँ पापा भी दिन भर उसे काम न करने के कारण ताने देते थे । उसे हमेशा नकारा बेटा यही लफ्ज़ सुनने मिलते थे ।उसके दोनों भाइयों की शादी हो चुकी थी पर राम कुछ नही करता था इसलिए उसके लिए लड़की मिलना बहुत मुश्किल था । वो अपना सारा दिन जंगल मे कुछ न कुछ करते हुए ही बितता था। एक दिन राम कुछ बना रहा था जंगल मे तभी जंगल के पास से एक व्यापारी की गाड़ी गुजरी उन्होंने राम को कुछ बनाते देखा तो ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहा । वो गाड़ी से उतार के राम के पास गए और पीछे खड़े हो कर उसे लकड़ी के छाल से रस्सी बनाते हुए देखने लगे , उसके आस पास बहुत सारी रस्सियां पड़ी थी उन्हें देख कर मालूम पड़ रहा था कि राम को इन रस्सियां बनाने में बहुत मेहनत करनी पड़ी है उन्होंने उस रस्सियों की बहुत तारीफ की राम को उनके वर्कर्स को ये रस्सी बनाना सीखने का काम सौपा, और बहुत ही अच्छी तनख्वाह भी देने का वादा किया । उन्होंने राम को कल से कारखाने आने को कहा और उसे ये भी कहा कि उसे लेने कल उनकी गाड़ी आएगी । राम की तो जैसे बोलती ही बंद हो गई थी उसे समझ ही नही आ रहा था कि वो जो अपना समय बिताने के लिए रस्सियां बनाता है उसका भी कोई मोल है वो उन रस्सियों को भी अपनी ही तरह बेकार समझ रहा था । उसे तो यकीन ही नही हो रहा था वो भागते भागते घर पहुँचा और उसने ये बात सभी को बताई , किसी को भी उसकी बातों में विश्वास नही हुआ , सब उसे झूठा कहकर चलते बने । सुबह जब सच मे गाड़ी उसे लेने आए तो सभी की आँखे खुली की खुली रह गई , सब उसे प्यार करने लगे , गले लगाने लगे । उसकी माँ ने कहा " देखा मैं ना कहती थी कि एक दिन मेरा राम बहुत बड़ा आदमी बनेगा" मेरा राजा बेटा। सब हाँ में हाँ मिलने लगे । राम को कुछ समझ नही आ रहा था , वो सोचने लगा जैसे उस व्यपारी को मेरी असफलता और सफलता दोनो दिखाई दी वैसे मेरे परिवार को क्यो नही दिखाई दी उन्हें ये क्यो नही लगा कि असफलता के बाद ही कड़ी मेहनत करके ही तो आदमी सफल बनता है सफलता के पीछे बहुत सारी असफलता भी तो जुड़ी होती है लेकिन उसे तो कोई नही देखता । आज उनका नकारा बेटा एकदम से राजा बेटा बन गया । यही सोचते सोचते उसने गाड़ी का दरवाजा बंद कर दिया।


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