निर्णय(लघुकथा)
निर्णय(लघुकथा)
रवि के आर्मी में भर्ती होने की बात सुनकर मां एकदम चिंतित हो गईं क्योंकि वो नहीं चाहतीं थीं कि रवि सेना में जाए।इस बारे में दोनों के बीच बहुत बार बातचीत ,बहसें,लड़ाई भी हो चुकी थी ।बहुत दिन तक जब इस बारे में कोई बात न हुई तो मां समझी कि ये बात यहीं ख़त्म हो गयी है,लेकिन फिर ये आज फिर वही बात? इस मनाही के पीछे मां की कोई बुरी भावना नहीं थी , वो अपने पति और बड़े बेटे को कारगिल युद्ध में खो चुकीं थीं,इसीलिए उसे रवि के सेना में जाने पर एतराज था।अब रवि भी सेना में चला जाएगा तो वह अकेली कैसे रहेंगीं? पर दूसरी ओर रवि का भी पक्ष सही था ।वह देशप्रेम की परम्परा को आगे बढाना चाहता था।मां जब शाम को सोकर उठी तो नौकर ने रवि का ख़त दिया ।माँ ने पूछा कि "ये क्या है?रवि कहाँ है?" नौकर ने कहा कि -"भैया मुँह अंधेरे सामान लेकर निकल गए हैं" माँ ख़त खोलकर आश्चर्य से पढ़ने बैठीं तो आंखें छलछला गईं।उसमें लिखा था -"मेरी प्यारी मां,आप पढ़कर दुखी मत होना कि मैनें आपकी बात नहीं रखी ।एक दिन आपको मेरे निर्णय के कारण मुझपर गर्व होगा ।आप मेरी मां हो ,लेकिन मैं पापा और भाई की राह चलकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करना चाहता हूँ ,जो करोड़ भारतवासी की मां है।"