STORYMIRROR

अपर्णा गुप्ता

Drama

3  

अपर्णा गुप्ता

Drama

निर्मोही

निर्मोही

2 mins
458

बेटे ने घर शिफ्ट करने के लिये बुलाया था। तीसरी बार है, जब अमेरिका आना हुआ। दोनों बच्चों के होने में भी मैं घर व पतिदेव को छोड़कर आती वो आते और मुझे छोड़कर चले जाते।

बहू अच्छी है मुझे बहुत सम्मान देती है जापे के लिये दोनों बार उसने मुझे बहुत सी सौगात देकर विदा किया ये अक्सर मजाक उड़ाते, "बच्चे अपने मतलब के लिये तुम्हें बुला लेते हैं वैसे तो नहीं कहते कि यंहाँ आकर रहो हम सेवा करेंगे" ! मैं हंस कर टाल देती "अरे अपने ही तो बच्चे है हम से नहीं कहेंगें तो किससे कहेंगें अभी तो हमारे ही हाथ पैर चल रहे हैं। जब जरूरत होगी तो क्यों नहीं करेंगे सेवा.."........l

ये हंसकर रह जाते मैं भी हंसकर टाल देती थी।

रोज सुबह टहलने जाती आकर बहू-बेटे का लंच बनाती तब तक चारों उठ जाते ! दोनों पोते दादी दादी करते आगे पीछे घूमते मुझे पूरा संसार कदमों तले नज़र आता और क्या चाहिये !

आज भी सुबह घूमने जा रही थी। एक दो दिन में शिफ्ट होना था, काफी पुराना समान निकाल कर बाहर रख दिया जाता था।

मेरे हिसाब से तो वह सब नया था पर बहु बेटे की गृहस्थी में बोलना ठीक न लगता बड़ी ललक से निहारती ! अरे इसमें से कितना समान घर में काम करने वाली सुमति को दे देती तो वही निहाल हो जाती पर कैसे कहूं। कल दोनों मियां बीवी ने फाइनल सामान बाहर निकाला !

वहां पर समान निर्धारित जगह रख दिया जाता है जरूरत मन्द ले जाते हैं यहां तो जरा सा कबाड़ भी बचा कर कबाड़ी का इंतजार करते हैं।

मेरी आंँख आखिर चली ही गई जंहा समान रखा था, मैंने जाकर थोड़ा फदरौला तो जैसे कुठारपात हुआ मुझ पर मैं उन्हे उठाने का लोभ  संवहरण नहीं कर पाई, भरे दिल से उनकी लिखी कुछ किताबे मेरे साससुर और हमारी पुरानी तस्वीरे उस समान में बेतरतीब पड़ी थी। चुपचाप लाकर अपनी अटैची में रख ली और लेट गई। बेटा बहु उठे तो रसोई में कुछ बना न देखकर बहू बोली अरे आज तो मां ने कुछ भी नहीं बनाया। दोनो बहु बेटा मेरे कमरे में आये अरे मां क्या हुआ तुम्हे बेटे ने पूछा मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर बहु बोली तबीयत ठीक नहीं लगती है तो चलिये मां दवा दिलवा दें मैंने कहा नहीं तुम्हारे बाबु जी की तबीयत ठीक नहीं है मेरा टिकट करवा दो जितनी जल्दी हो सके।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama