STORYMIRROR

अपर्णा गुप्ता

Children Stories

3  

अपर्णा गुप्ता

Children Stories

सुबह का भूला

सुबह का भूला

1 min
163


रिटायर हुए आज साल होने जा रहा है । वो चुस्ती फुर्ती भी जैसे आफिस की फाइल में ही रह गई थी ।सीमा भी अलसाई सी कभी सोफे पर, कभी पलंग पर पसरी रहती ।मुझे आज भी ध्यान है । सुबह सुबह नहा धोकर सीमा मेरा लंच तैयार कर रही होती और मै तैयार होकर मुस्तैद रहता बीच बीच में आकर सब पर मीठा सा रौब झाड़ता रहता।

अब तो लगता है कि कुछ काम ही नहीं है दिन भर घर में बैठकर बोरियत होने लगती ।आज मुझे समझ आने लगा था जब कहता हाथ पैरो में दर्द हो रहा है । 

जवाब मिलता 

 "खाली रहने से "

बोरियत हो रही है

"खाली रहने से"

 कितनी बार सीमा ने कहा कि चलो कुछ समाज सेवा करते हैं । मै हमेशा टाल देता ।

आज मन में निश्चित कर लिया.. .........

 "चलो तैयार हो जाओ "

"अरे कहां सुबह सुबह "

चलो किसी वृद्धाश्रम में चलकर देखे क्या कर सकते है किसी अनाथालय में अनाथ बच्चों से मिलकर आते है ।

सीमा तो जैसे फूल सी खिल गई "क्यों आज हाथ पैर दर्द नही कर रहे"..........

हो रहे हैं वही तो ठीक करने है ।



Rate this content
Log in