मुहंबोला
मुहंबोला
देखो गांव से कोई तुम्हारा मुंहबोला भाई आया है ।
"मेरा मुंहबोला भाई"बड़बड़ाते हुए मैं बाहर आई, मन में सोच रही थी सगा भाई तो कोई है नहीं ये मुहंबोला कौन पैदा हो गया?"
आकर देखा तो हैरान हो गई "अरे तुम हो छुटका ,भईया कैसे हो? भईया गांव में सब ठीक है? गला रुंध गया बोलते हुए ।बहुत छोटी थी तब मेरी छोटी बहन हुई थी, तो नाराज रहती थी मुझे तो भाई चाहिये था। पड़ोस मे छुटका हुआ तो बहुत खिलाती थी ,कुछ साल बाद जब बड़े हुए तो छुटके के पापा का ट्रांसफर हो गया।
शादी के आठ साल बाद अचानक कंहा से टपक पड़ा और मेरे घर में मेहमान बनकर सबके दिल में उतर गया ,जीजी की रसोई से लेकर जीजा के आफिस जाते जाते पीछे लगे रहता छुटक्का! बच्चों को प्यार से खाना खिलाने से लेकर शाम को घुमाने फिराने का काम भी उसी ने सम्भाल लिया था ।बचपन में कुछ दिन गोद खिलाये जाने का अपना मुंहबोला कहलाये जाने का कर्ज उसने अपने एक महीने की ट्रेनिंग पर आकर यूं उतारा कि वो दिल में ही उतर गया था।सुबह सुबह मै उठ भी न पाती थी कि तीन कप चाय लिये खड़ा रहता था।
बाजार का कोई काम हो तुरन्त हाजिर ।ट्रेनिंग से लौटते समय बच्चो के लिये टाफियां चाकलेट लाना ही नही बल्कि सब्जी ही उठा कर लिये आता ।जब जाने लगा तो आंख मे आंसु भर आये "रोना मत जीजी मै जल्दी ही आऊंगा ।" जाते समय एक साड़ी लाकर मुझे थमा दी बोला ना मत कहना सगा नही हूं तो क्या मुंह बोला सही!
मैने मुंह पर हाथ रखकर कहा ऐसा मत कह भईया सगा होता तो भी इतना न करता .........वो चला गया उसे जाते देखती रही ।अगले तीन चार दिन तक घर में खामोशी पसरी रही!कुछ दिन बाद टीवी पर खबर देखी कशमीर में एक सैनिक शहीद हो गया उसकी फोटो देखकर चिल्लाई "अरे देखो ये सैनिक एकदम अपने छुटक्के सा नहीं लग रहा"
"अरे वही तो है हाय राम"हाथ से चाय का प्याला छूट गया था !
रोकर बोली "कितनी बार पूछा किस चीज की ट्रेनिगं है तो बताया नही" !
सुबह का समय ,चाय का प्याला हाथ में लेकर बैठी थी तभी टीवी पर खबर देखकर जड़वत रह गई।कश्मीर मे एक सैनिक शहीद हो गया था आंखे नम हो आई थीं।