निरीह
निरीह
"बंद करो इस तरह के गलत फारवर्ड को फैलाना यह आप सबकी ना समझी को बता रहा है। यह पूरा सच नहीं है।"
"अगर आपको पसंद नहीं है तो डिलीट कर दीजिए। वैसे यह पूरा सच नहीं है, तो फिर पूरा सच क्या है?"
व्हाट्सएप पर जब एक स्त्री को घेरे हुए कई डॉगी का पिक्चर यह कहकर फॉरवर्ड किया गया कि डॉगी घेर कर काटते हैं तब एक महिला ने इसके विरोध में आवाज उठाई। तब किसी दूसरी महिला ने प्रत्युत्तर में पलट सवाल किया।
"देखिए मेरे अवलोकन व अनुभव के आधार पर मैं कह रही हूँ। जरूर यह महिला प्रतिदिन दुकान से कुछ खरीद कर दुकान के आसपास के डॉगी को खिलाती होगी। जिससे इ
न डॉगी की इस महिला के प्रति आशा जगी, कि जब-जब यह दुकान से निकलेगी उन्हें कुछ न कुछ खाने को जरूर देगी।
इस फोटो से भी यह साफ दिख रहा है। सभी डॉगी की आँखें महिला के थैले को देख रही है और सबकी पूँछ ऊपर की तरफ है।
कोई भी डॉगी किसी भी व्यक्ति के पास अपने आपसे नहीं जाते हैं, जब तक कि आप उनमें भोजन मिलने की आशा नहीं जगाते हैं। ये किसी भी इंसान को तब तक कोई नुकसान नहीं पहुँचाते जब तलक आप इन्हें नहीं छेड़ते, इनके बच्चों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते हैं।
इंसानों पर तो झूठे आरोप लगाकर उन्हें फँसाते हो ही, कम से कम इन निरीह, गूंगे प्राणियों को तो बख्श दो।"