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shaheen shaikh

Romance Fantasy

4  

shaheen shaikh

Romance Fantasy

निकाह भाग-2

निकाह भाग-2

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(फोन की बेल बजती है)

सना किचन से दौड़ती हुई ऐसे कदम रखती है जैसे मानो उसने महसूस कर लिया था फोन पर उसे उसकी दुनियां बुला रही थी।

अपने दुप्पटे से हाथो को पोछती हुई वो फोन उठाती है और एक मर्दाना,दिल को छू जाने वाली भारी आवाज उसके कानो में पड़ती है।

Hello........Helloooooo....

सना एक पल की खामोशी से उस आवाज को बड़े गौर से सुनती है और उस आवाज की गूंज में खो जाती है।

फिर से फोन की बेल बजती है और इस बार सना डरते हुए

फोन उठाती है क्यू की अब उसे खबर लग चुकी थीं फोन पे वो है। बड़े खामोशी, धीमे और नर्म अंदाज में वो As salamu alaikum कहती है। 

जी walaikumus salam..... और फोन कट हो जाता है।

बड़ा लंबा,भारी और मजबूत सलाम,

ऐसा सलमा का जवाब सना ने पहले कभी नही सुना था,

जवाब इतना असरदार था,जिसने सना को ये सोचने पर 

मजबूर किया के वाकई उसका निकाह ऐसे शख्स के साथ होने जा रहा है जो वो ख्वाबों में देखा करती थी।उसके खुशी की कोई हद नही थी, अपने खुशी में वो झूमने लगी, गाने लगी। मानो ऐसे लग रहा था जैसे उसे वाकई पहेली नजर में प्यार हो चुका था।

सना अपने खयालों में खोए हुए,फोन के इंतजार में बैठी रहती है,बार बार अपने फोन पर नज़रे दौड़ती लेकिन फोन 

अब क्यों नही बज रहा ये खयाल उसे परेशान कर रहा था।

कुछ वक्त बाद उसे मैसेज मिलता है,

"बाइक पे हू,ऑफिस पोहोच कर कॉल करता हूं।"

मैसेज पढ कर सना की जान में जान आ गई और मोबाइल को हाथ में लिए वो डांस करने लगी।

उसके बाद कुछ दिनों तक फ़ोन का सिलसिला चलता रहा, फिर दोनो ने ये तय किया के अब वो ज्यादा बाते नही करेगे, शादी के बाद ही सारी बातें होगी।

लेकिन सना को एक ही बार में अरबाज से इतना लगाव हो चूका था के उसे अब अरबाज से बात किए बिना अच्छा नही लगता,वो पूरा दिन अपने फोन को ताकती और हर एक मैसेज की आवाज़ पे उसे लगता अरबाज का मैसेज होगा,लेकिन मैसेज किसी और का होता।

सना अपनी अम्मी से हर बात कहती,दोनो मां बेटी में बोहोत गहरा ताल्लुक था बिलकुल एक सच्चे दोस्त की तरह,

लेकिन अब उसे वो शख्स मिल गया था जिसे वो चाहती थी और उसे हर वक्त ये लगता के मेरे दिल की हर बात मैं अरबाज से कहूं,अपना हाल मैं उसे भी सुनाऊं,लेकिन ये

मुमकिन नहीं हुआ।

अपनी दिल की बाते वो अब कागज पे उतरने लगी, अरबाज से बात न करने की तड़प और अरबाज के

लिए उभरे जज़्बातो ने उसे लिखने पर मजबूर कर दिया।

सना ने अपनी पहेली नज़्म अरबाज के लिए लिखी इस निय्यत से की उसी बहाने अरबाज से बात करने का मौका मील जायेगा।

"Kisi din agr tumse bat na karu toh mano aisa lagta hai,

Jaise kisi ne phool se uski mahek chin li ho,

Mano dariya o ne apni mithas kho di ho aur samandar ne apni kadwahat,

Haibat tari karne wali mauje mano tham si gai ho,

aise lagta hai suraj ne jaise raat se talluq tod diya ho,

Aur rat k taro ne toh mano jaise tim timana hi chod diya ho, 

Dekho na ab Ye hawaye bhi apna rukh nhi badal rahi,

 Ye parind aur charind b suba khidki me akar shor nhi kar rahe,

Ye dil ki dhadkane aj bhi tumare msg ka intezar kar rahi hai aur mujse tumari berukhi ka shikwa kar rahi hai. "

उसका अरबाज के लिए इतना गहेरा प्यार था जो उसे किसी और चीज के बारे मे सोचने नही दे रहा था।उसने अरबाज को अपना सब कुछ और जिंदगी मान लिया था।सना को उस अजनबी से इतना प्यार हुआ के वो ये समझने लगी "वो मिल गया,सब कुछ मिल गया,अब उसे कुछ पाने की ख्वाहिश और जरूरत नहीं रही।"अपने आप से वो कहती,

"I got my man for Life."

To be continued........


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