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Nandita Srivastava

Drama

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Nandita Srivastava

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नीला आंचल

नीला आंचल

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हाँ तुमको बहुत पंसद करता हूँ, पर बोल नहीं पाता यह भावना है उस जावेद की जो नीना को बहुत चाहता तो है, पर मन ही कभी कह नहीं पाया।

दोनों का मजहब अलग है ना इसीलिये। नीना को भी जावेद बहुत पंसद है पर वह कह नहीं पाती कैसे कहे नारी, पुरूष ही इस तरह की बात करते हैं पर जो भी दोनों चाहते बहुत है एक दूसरे को।

जावेद को हर सोमवार का इंतजार रहता है। उस दिन सांवले रंग की नीना नीली साड़ी पहनती है, रेशम की नीली साड़ी का आंचल जब हवा में लहराता है तो लगता जैसे कि कोई सीनरी वाकई में उतर आयी और जावेद का वह अहसास जैसे रूहनियत का अहसास।

खुदाया माफ करे पर उसको तो लगता है खुदा ही मिल गया। जावेद इन पलो में ही जीना चाहता है, मरना चाहता, उसकी चाहत बढ़ ही रही है कहाँ तक सफल होगा यह तो शिव ही जाने पर हम तो यही कामना करते है कि वह एक दूसरे को पा जाये बिछड़े ना कभी।


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