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Ekta shwet

Inspirational

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Ekta shwet

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नई दिशा

नई दिशा

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"अरे ओ लच्छू देवी पास गांव से हरिया की बेटी के लिए जमीदार के बेटे का रिश्ता आया है अब इस रिश्ते को तुम ना छोडना।इकलौता बेटा है उसके नाम पांच खेत हैं। अनाज मंडी में भी जमीदार का खूब नाम है। हरिया होता तो बेटी की शादी जरूर अभी पक्की कर देता हरिया की बिंदनी तो बिटिया को पढ़ाई जा रही है। पढ़ाई का भला ससुराल में क्या महत्व। करना तो उसे चूल्हा चौकी ही है। फिर हरिया की बेटा भी नहीं हुआ।"

लच्छू देवी- "सारी बात सही है पर हरिया की बिदनी माने जब ना। अब बेटी को कॉलेज में दाखिला करवा दिया है। अब उसे शहर पढ़ने भेजेगी।खुद दो रोटी कम खा लेगी बिटिया की पढ़ाई नहीं छूटनी चाहिए। और हेड मास्टर जी भी खूब सहयोग कर रहे हैं। इन दोनों मां बेटियों का दिमाग खराब हो गया है।"

इतने मे हरिया की बहू आ गई और जमींदार के मुनीम को साफ कह दिया कि वह अभी शादी नहीं करेगी और वह जा सकता है। अम्मा जी बिन्दनी पर भड़क गई और उसको लड़का न होने का भी ताना दिया ।

हरिया की बीनणी बिटिया को लेकर शहर चली गई। हरिया की बेटी की सहेली से जमीदार के बेटे का विवाह हो गया। ५ साल बाद है पता चला की जमीदार के बेटे की अधिक शराब पीने से मृत्यु हो गई। और बहू को अपशकुनी बता घर से और निकाल दिया।

इधर हरिया की बेटी प्रशासनिक सेवा में चयनित हो अपने ही गांव में अच्छे पद पर कार्यरत हो गई। जब हरिया की बिंदनी अपनी बेटी को लेकर अम्मा जी के पास आई तो पूरा गांव ही उस पर गर्व कर रहा था। 

लच्छू देवी ने अपनी बहू से क्षमा मांगी और अपनी पुरानी सोचपर, बेटियां बेटों से कम नहीं होती। साथ में लड़कियां केवल विवाह करके चूल्हे चौकी के लिए ही नहीं बनी। इस सोच को वह जीवन भर के लिए अलविदा कर देगी। और प्रत्येक लड़की को शिक्षा मिलनी चाहिए साथ में बाल विवाह पर रोक लगनी चाहिए, यह भी उसने अपने मानस पटल में बैठा लिया और अपनी पोती व बहू के साथ मिलकर गांव में बालिका शिक्षा पर जोर देगी। बाल विवाह पर रोक लगनी चाहिए इसकी अलख गांव के घर घर में जगाई। और यह प्रण कर लिया कि वह अपने और आसपास के गांव में पुरानी सोच को अलविदा करवा देगी और उन्हें नई दिशा की ओर ले जाएगी। 

लड़कियों को लड़कों से कम ना आंका जाए।

 


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