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Vibha Rani Shrivastava

Inspirational

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Vibha Rani Shrivastava

Inspirational

"निदान"

"निदान"

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भारत और वेस्टइंडीज के मध्य क्रिकेट का मैच चल रहा था और ऋत्विक जो कि न केवल क्रिकेट का शौकीन था अपितु अपने महाविद्यालय की क्रिकेट टीम का एक खिलाड़ी भी, की आँखें टी.वी. स्क्रीन पर गड़ी हुई थी। वह भारत की बॉलिंग एवं वेस्टइंडीज की बैटिंग बड़े गौर से देख रहा था। भारत की बॉलिंग और फील्डिंग पर वह बार-बार मोहित हुआ जा रहा था। उसे टीम के प्रत्येक सदस्य का तालमेल लुभा रहा था तो वेस्टइंडीज की बिखरी–बिखरी बैटिंग पर वह भीतर ही भीतर क्रोधित हो रहा था। वेस्टइंडीज के लगातार चार खिलाड़ियों के आउट होते ही उसके मुँह से अकस्मात् निकला,-"इस टीम की हार तो निश्चित है।"बगल में बैठे उसके छोटे भाई ने कहा,-"अभी तो बैटिंग हेतु उनके खिलाड़ी बाकी हैं। अभी से ही भैया आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?"


"छोटे! तू नहीं समझेगा... जहाँ बिखराव हो वहाँ हार निश्चित है... भारत ने बॉलिंग एवं फील्डिंग की तरह ही यदि आपसी तालमेल से बैटिंग की तो उनकी जीत निश्चित है।"

"हूँह.. ये.. तो है भैया!"अपनी बात के साथ ही ऋत्विक के मन–मस्तिष्क में अंकित होने लगे नित्य प्रतिदिन के आपसी लड़ाई-झगड़े... अभी वह इन मानसिक उलझनों में उलझ सुलझ ही रह था कि बाहर से सबसे छोटा भाई रोते हुए दाखिल हुआ,-"भैया! मोहल्ले के हातिम और उसके भाई ने मिलकर मुझे पीटा है।" इतना कहते हुए वह अपने कमरे में चला गया। उसके मुँह से अकस्मात् निकला,-"अब मेरा कोई भाई या किसी और का भी भाई ऐसे रोता नहीं आएगा.. हम सब भाई आपस में प्यार-मोहब्बत से मिलकर उदाहरण बनकर रहेंगे और किसी भी समस्या का समाधान मिलकर करेंगे।"



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