नहीं तेरा अस्तित्व मेरी पहचान

नहीं तेरा अस्तित्व मेरी पहचान

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"तुम्हें किसने कहा था इन पचड़ों में पड़ने के लिए... पता नहीं क्या फितूर चढ़ा हुआ है।"

"अरे ! मैंने सोचा सब करते हैं, तो कोशिश तो करूं।",

"अरे ! यार क्या जरूरत है ? पता है तुम्हें, कितना अजीब महसूस हुआ मुझे।"

कनिष्क ने सोनाक्षी को डांटते हुए कहा।

"पर क्यों कनिष्क आपने मुझे मेरी स्टेज परफॉर्मेंस को देखकर ही पसंद किया था, फिर क्यों ? आज मैंने दोबारा हिम्मत दिखाई तो आप नाराज हो रहे हैं।"

"हाँ पसंद किया था।" सोना (सोनाक्षी), पर मैं नहीं चाहता कि मेरी पत्नी सबके सामने नाचे।"

"ऐसा मत कहिए कनिष्क, मैं क्लासिकल ट्रेंड नृत्यांगना हूँ। इसे केवल नाच का नाम मत दीजिए।"

"अरे ! पर तुम्हारे भाव जो शादी से पहले होते थे स्टेज पर, आज नहीं थे।"

"हाँ.. वह इसलिए नहीं थे क्योंकि दोबारा मुझे सोना से सोनाक्षी बनने में वक्त लगेगा, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि मैं दोबारा अपने आप को तराश नहीं सकती।"

"पर मैं पूछता हूँ कि जरूरत ही क्या है।"

"जरूरत है कनिष्क, आप अपने काम में व्यस्त रहते हैं... बच्चे अपनी पढ़ाई में...। पहले माँ-पापा थे, अब वह भी नहीं रहे। मैं 48 की हूँ। हर काम के लिए मेड है पर मैं .....आपने सोचा है मैं क्या करती हूँ।"

"अरे ! तुम घर संभालो।"

"'हम्म' ! आप सही कहते हैं, मैं घर संभालूँ पर उसके बाद क्या करूँ... आप सभी व्यस्त हैं, मैं आप लोगों से बातें करना चाहती हूँ...तीनों के साथ वक्त बिताना चाहती हूँ। परंतु आप तीनों ही के पास समय का अभाव है तो मैंने भी सोचा क्यों ना अपने पंखों पर पड़ी धूल झाड़ कर कोशिश करूँ फड़फड़ाने की।"

तभी कनिष्क ने मजाक उड़ाते हुए कहा-"फड़फड़ाने की।"

"हाँ फड़फड़ाने की।" सोनाक्षी ने कहा।

"मेरी फड़फड़ाने की चाहत है, फड़फड़ाऊँगी... तभी तो दोबारा उड़ पाऊंगी।" वरना यूं ही अंदर ही अंदर तड़प-तड़प कर मर जाऊँगी।"

"तुम्हारा दिमाग किसने खराब किया है ? अब इस उम्र में तुम्हें यह शोभा देगा क्या ? "क्यों नहीं देगा ? पहले आप यह बताए।"

"अपनी उम्र का तो ख्याल करो यार।"

"आप जानना चाहते हैं मेरा दिमाग किसने खराब किया है।"

"हाँ बिल्कुल... मैं उस शख्स का नाम जानना चाहता हूँ। आखिर उसे क्या जरूरत है हमारे जाति मामलों में दखल देने की।" "सच में बता दूँ"

"हाँ बिल्कुल।"

सोनाक्षी ने एक आईना लाकर कनिष्क के सामने रख दिया। मिलिए यह है वह शख्स,"मिस्टर कनिष्क"

"यह क्या बकवास है।"

"बकवास नहीं है और किसी ने नहीं आप ने ही मुझे मजबूर किया है।"

"याद है, उस दिन पार्टी में आप और बाकी सब मिसेज सिंह की शेरो- शायरी की कितनी तारीफ कर रहे थे, और मिसेज झा ने भी कितने सुंदर तरीके से अपने लिखे गीत को पेश किया था। सब उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे थे।"

"हांँ, तो... जो अच्छा होगा उसे अच्छा ही कहा जाएगा।" पर आपको याद है, जब सभी ने मुझसे पूछा कि आपकी क्या हॉबी है ? तो मेरे बोलने से पहले ही आप बोल पड़े.... अरे ! "यह तो केवल हाउसवाइफ है।"

"सच आपने कितनी आसानी से मेरी उपलब्धि गिना कर मुझे अर्श से फर्श पर ला रखा।"

"पर तुम हाउसवाइफ नहीं हो क्या।"

"वह सब भी तो हैं... पर उन्होंने अपने भीतर की सोनाक्षी को मरने नहीं दिया और मैंने मरने दिया और बस केवल आपकी सोना बनकर ही रह गई।"

वो गहरी साँस लेकर कहने लगी गर्व होता था प्रेम की अनुभूति से सरोबार हो जाती थी, जब आप मुझे सबके आगे सोना कहकर पुकारते थे। पर उस दिन एहसास हुआ कि "सोनाक्षी को खोकर आपकी सोना हो जाना उतना ही महत्वहीन है जितना सूरज की रोशनी को पाकर उस अंतहीन प्रकाश में अपना अस्तित्व ही भुला देना। और फिर उसके बाद केवल सूर्य का प्रकाश है, जो आपके इर्द-गिर्द किसी और को आने नहीं देता और आप अस्तित्व हीन से प्रतीत होते हैं।"

"मैंने आपको अपना सर्वस्व देकर अपने स्वयं को सोनाक्षी को अस्तित्व हीन कर दिया......"

"परंतु, यदि नहीं चल पाया तुम्हारा यह नृत्यांगना का विचार तो क्या करोगी ? बेकार में इस उम्र में तुम्हारे साथ-साथ मेरी भी जग हंसाई होगी.... । वैसे भी तुम औरतों का फितूर दो-चार दिन का ही होता है, किसी भी चीज को लेकर।"

"अरे ! ...तो क्या हुआ ? मैं डांस क्लास लेने की सोच रही हूँ, कुछ से तो बात भी हुई है, वैसे भी बच्चे आधा टाइम तो घर से बाहर पढ़ाई के चक्कर में ही रहते हैं, ऐसे में कोई डिस्टर्ब भी नहीं होगा।"

अच्छा सब सोच रखा है....पर मैं यह कह रहा था, "यदि यह नहीं चला तब क्या करोगी।"

"तब भी कुछ तो करूँगी, अब यह मैंने सोच लिया है कि अब यूँ ही नहीं जाया जाने दूंगी अपनी जिंदगी को।"

"अगर एक जगह मुझे सफलता नहीं मिली, तो दूसरी राह तलाश करूँगी। समझूँगी मेहनत करने के बाद भी यदि सफलता नहीं मिली, तो निराश नहीं होना मुझे। जानूंगी कि यह मेरी राह नहीं, मेरे लिए ईश्वर ने दूसरी राह बना रखी है। सफलता और असफलता जीवन के ही हिस्से हैं, असफलता मिली तो उससे भी एक अनुभव प्राप्त करूँगी, डर कर छुपकर नहीं बैठूंगी। हाँ.. अगर सफलता मिली तो अपने अनुभव बाँटूँगी... ताकि दूसरों को भी प्रेरणा मिले।"

"अच्छा तो इतना सोच रखा है।"

"हाँ,सोच रखा है।"

"तो एक बात और अगर डांस क्लास ना चले, तो मोटिवेशनल गुरु बन जाना... क्या पता...? तुम्हारा काम तो उतना ना चले, पर तुम्हारी दी हुई प्रेरणा से किसी और का भला हो जाए।"

ओह..! "यह विचार तो सराहनीय है", "मिस्टर कनिष्क" जी,

"मिसेज सोनाक्षी कनिष्क" कृपया,मुझे "मिसेज सोनाक्षी" ही कहें.. या फिर...सिर्फ "सोना", "मिसेज कनिष्क" नहीं। जी,"मिसेज सोनाक्षी" और कमरे में एक ठहाके की आवाज गूंज उठी....।

यहां "मिस्टर कनिष्क" को "सोनाक्षी" ने मना लिया और कमरे में एक ठहाके की आवाज गूंज उठी.... । परन्तु कभी-कभी "दरवाजा जोर से पटकने या फिर चीखने-चिल्लाने की आवाज भी सुनाई पड़ेगी।"

बस, इस ब्लॉग के माध्यम से यही कहना चाहती हूँ कि "कोशिश बार-बार करते रहिएगा कि उनके अस्तित्व से अलग अपनी पहचान अवश्य बनाए।"


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