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Neerja Pandey

Romance

3  

Neerja Pandey

Romance

नैना अश्क ना हो.....

नैना अश्क ना हो.....

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शाश्वत ने अपने पिता को एक अजीब सी दुविधा में डाल दिया था। अगर वो बेटे की इच्छा का मान रखते हैं, तो समाज में क्या प्रतिष्ठा रह जाएगी?  कैसे सामना करेंगे समाज से मिलने वाले तानों का? अभी कुछ समय पहले ही  उनके साथ काम करने वाले सिन्हा जी के बेटे ने साथ पढ़ने वाली यादव जी की पुत्री से विवाह कर लिया था। बेशक दोनों खुश थे परन्तु, उस समय बहुत चर्चाएं हुई थी। हर किसी की जुबान पर उन्हीं की बातें रहती थी। पूरा घटनाक्रम उन्हें याद आ गया। फिर उन्होंने सोचा  शाश्वत अभी तो ट्रेनिंग पर जा रहा है। जब तक ट्रेनिंग पूरी नहीं हो जाती है वो आएगा नहीं। इतना समय काफी होता है किसी को भी भूलने के लिए। हो सकता है तब तक नव्या इसके दिल से उतर जाए। उन्हें थोड़ी देर बाद पूरा विश्वास होने लगा कि नई जगह जा कर वो अवश्य ही नव्या को भूल जाएगा। ये उम्र ही ऐसी होती है कि लड़के सहज ही लड़कियों की ओर आकर्षित हो  जाते हैं। इसका यकीन होते हीं उनका मन शांत हो गया और वो तुरंत ही गहरी नींद में सो गए। 

 सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई। मां कभी अचार का डब्बा रखती, तो कभी च्यवनप्राश का, कभी लड्डू रखने की हिदायत देती , तो कभी मठरी रखने की। तभी शांतनु जी आए और कहने लगे अरी भाग्यवान ये सेना में अफसर बनने जा रहा है किसी छोटी मोटी नौकरी पर नहीं।उसे वहां हर चीज मिलेगी। क्यों बेटा बताया नहीं मां को शाश्वत हंसते हुए बोला मिलेगा तो पापा पर उसमें मां का प्यार थोड़ी ना होगा । इतना कहते हुए वो मां के कमर में हाथ डाल कर पीछे पीठ से चिपक गया। मां की आंखों में 

(बेटे से बिछुड़ने का सोच कर) आंसू आ गए। जिन्हें किसी के देखने के पहले ही पोंछ दिया। प्यार से डांटते हुए बोली

अच्छा अच्छा ठीक है चल हट मुझे काम करने दे। शाश्वत बेहद खुश था। उसे लग रहा था पापा ने कुछ कहा नहीं इसका मतलब उन्हें इस रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है। सारी तैयारी हो गई। शाम की ट्रेन पर पापा मां और साक्षी 

छोड़ने आए थे। उसे छोड़ कर सभी घर आ गए। घर शाश्वत के बिना खाली खाली लग रहा था।

    इधर ट्रेन चलते ही अपना सामान रख कर शाश्वत आराम से बैठ गया। बैठते ही उसने नव्या को फोन लगाया। खुशी से बताने लगा मैंने रात में पापा से बात की थी पर उन्होंने कुछ कहा नहीं इसका मतलब वो राज़ी है। नव्या ने शक जाहिर करते हुए कहा कि

हो सकता है कि नाराज़ हों इसलिए कुछ ना कहा हो। ये तो मैंने सोचा हीं नहीं। पर पापा गुस्सा नहीं थे यही मेरे लिए काफी है मैं सब ठीक कर लूंगा। काफी देर तक बातें करता रहा वो क्योंकि उसे पता था कि वहां पहुंच कर वो व्यस्त हो जाएगा। अब ज्यादा वक्त बात करने के लिए नहीं मिल पाएगा। उसके बाद वो मां का दिया स्वादिष्ट भोजन किया और सो गया।   

सुबह आंख खुली तो ट्रेन पूरे वेग से भागी जा रही थी। उसने फ्रेश होकर नाश्ता किया और स्टेशन आने की प्रतीक्षा करने लगा। ट्रेन सही समय पर देहरादून पहुंच गई।

 वहां उतरते ही उसे सेना की वर्दी में कुछ लोग दिखे तो वो समझ गया कि ये सब उसे ही लेने आए हैं। पास जाकर उसने अपना परिचय दिया। इसके बाद एक शख्स सामान जीप में रखने लगा। वो सीधा उनके साथ हेड क्वार्टर गया

 और रिपोर्टिंग दर्ज कराई । 

उसी दिन वो हाॅस्टल में शिफ्ट हो गया। अगले दिन से उसकी ट्रेनिंग शुरू हो गई।  

 सुबह की पहली किरण दिखाई देने के पहले ही ग्राउंड

 में पहुंचना होता था। बेहद थकाने वाली दिनचर्या के पश्चात  रात में बिस्तर पर पड़ते ही सो जाता और उसे होश ना रहता।कुछ समय लगा , उसे यहां के परिवेश में रचने बसने में। फिर उसके बाद उसे यहां समय की कोई परेशानी नहीं हुई। अब वो समय निकाल कर घर भी बात कर लेता और नव्या से भी।

      धीरे धीरे समय बीतता गया और ट्रेनिंग पूरी हो 

 गई। आज उसे घर आना था। मां, साक्षी और पापा बेसब्री 

 से उसका इंतजार कर रहे थे। घर पहुंचते ही जैसे  

 त्योहार का माहौल बन गया। मां ने तरह-तरह के 

 पकवान बनाए थे जो सब के सब शाश्वत को बहुत 

 पसंद थे। बेहद खुशनुमा माहौल में सभी ने रात का  

 खाना खाया। सभी कुछ देर शाश्वत से वहां के अनुभवों 

 को सुनते रहे और उसके बाद अपने अपने कमरे में सोने

 चले गए।

 इस बीच में शांतनु जी के मन से नव्या की बात 

  निकल चुकी थी। वो इस बात को लगभग भूल गए थे।

  कई अच्छे रिश्ते शाश्वत के लिए आए थे। उन्होंने पूरा मन बना लिया था कि शाश्वत से बात कर के जो भी रिश्ता उसे

जंचेगा वहां बात पक्की कर देंगे। उन्होंने शा्श्वत की मां से 

कहा तुम सुबह शीतू को सारी तस्वीरें दिखा कर पूछ लेना

जहां भी वो चाहेगा बात पक्की कर देंगे। मैं चाहता हूं पोस्टिंग पे वो जाए तो शादी कर के ही जाए। इसके पश्चात वो सो गए।

  सुबह सभी ने साथ में नाश्ता किया और शांतनु जी ऑफिस चले गए। मां, शाश्वत और साक्षी बैठ कर बातें कर रहे थे। शाश्वत अपने ट्रेनिग की मजेदार वाकये 

सब को सुना रहा था। तभी मां को शांतनु जी की बात याद आ गई और वो बोली साक्षी बेटा जा वो तस्वीरें तो ला कर भैया को तो दिखा। साक्षी भी बेहद उत्साहित थी भैया की शादी को लेकर। घर में चर्चा होती थी तो वो भी शामिल रहती थी। सारी तस्वीरें उसी ने संभाल कर रखीं थी।

 झट से गई और लेकर आई। देखो भैया ये सभी कितनी

 सुन्दर हैं। एक फोटो दिखाते हुए साक्षी बोली भैया मुझे तो ये बहुत अच्छी लग रही है तुम बताओ कि तुम्हें कौन सी अच्छी लग रही है। पर बिना देखे ही शाश्वत ने सारी तस्वीरें 

 बगल सरका दी और साक्षी से बोला छोटी तेरे हाथों की चाय पीये बहुत समय हो गया जा जरा अपने हाथों की अच्छी सी चाय तो पिला। जी भैया कहती हुई साक्षी रसोई में चली गई। उसके जाने के बाद शाश्वत ने मां से कहा मां

 मैंने बताया तो था आप सब से कि मैं नव्या से शादी करना चाहता हूं। फिर ये सब क्या है ? बेटा हमें तो लगा ये सब तू भूल गया होगा। क्या मां मैं तो समझा कि आप सबों को कोई एतराज़ नहीं। पर बेटा ये सब भी बहुत अच्छी लड़कियां हैं तू इनके साथ खुश रहेगा। शाश्वत नीचे फर्श पर बैठ कर मां के गोद में सर रख कर बैठ गया। और बेहद भावुक होकर कहने लगा मां मैंने हमेशा से ही नव्या को ही

 अपने जीवन साथी के रूप में देखा है. अगर वो नहीं तो 

 कोई भी नहीं मां, कोई भी नहीं, मां बस मुझे मेरी खुशी देदो। कहकर बिल्कुल खामोश हो गया।      


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