STORYMIRROR

Neerja Pandey

Romance

4  

Neerja Pandey

Romance

नैना अश्क ना हो भाग - 3

नैना अश्क ना हो भाग - 3

9 mins
322

शाश्वत की पोस्टिंग उधमपुर आर्मी बेस के किश्तवाड़ में थी। घर से आने के बाद उसे कुछ समय लगा यहां के परिवेश में ढलने में पहाड़ों के बीच का अनुभव अब काम आ रहा था। बाॅर्डर पास होने के कारण एक सेना की एक टुकड़ी हमेशा अलर्ट मोड में रहती थी। लगातार गश्त पर जाना होता था। यहां मोबाइल नेटवर्क भी नहीं आता था कभी कभी ही ऐसा होता जब नेटवर्क आता और तभी घर पे बात हो पाती थी।

                नव्या हमेशा हाथ में फोन लिए रहती थी। क्या पता कब शाश्वत की काॅल आ जाए और कहीं ऐसा ना हो कि वो जब तक फोन रिसीव करे फोन कट जाए। शाश्वत तो चला गया था पर उसकी यादें नव्या को व्याकुल कर देती। उधर शाश्वत का भी यही हाल था। जब भी फ्री होता बस बात करने के लिए नेटवर्क की तलाश में रहता। समय बीत रहा था धीरे-धीरे एक वर्ष पूरा होने को आया। उसको छुट्टी मिलने वाली थी। उसके आने की खबर से नव्या बेहद खुश थी। रोज कैलेण्डर में एक दिन कम होने का गोला करती रहती। 

                      इधर शाश्वत भी आने की तैयारी कर रहा था। उसने सब के लिए कोई ना कोई उपहार खरीद लिया था नव्या और साक्षी के लिए उसने खासकर कश्मीरी कढ़ाई वाला सूट खरीद कर रख लिया था। नव्या की मम्मी और अपनी मां के लिए पश्मिने की शाॅल खरीदी थी।  

             घर आने में कुल पांच दिन बचे थे। शाश्वत की गश्त में रात की शिफ्ट थी। वो अपनी टुकड़ी के साथ दूर तक निकल गया था। जब वापस लौटने लगा  तभी उसे दूर अंधेरे में कुछ आहट सुनाई दी ऐसा लगा जैसे कोई छुप कर उनका पीछा कर रहा है। शाश्वत ने अपने सहयोगियों को इशारा किया कि वे चुपचाप धीरे धीरे चलते रहे और पीछे होने वाले हर हरकत पर नजर रखे। कुछ देर उन्हें एहसास हुआ कि पीछे पीछे जो चल रहे थे उनकी संख्या कुछ और बढ़ गई है। अब चौकी थोड़ी ही दूर थी।

 शाश्वत सोच रहा था कि ऐसे ही थोड़ी दूर और उन्हें भ्रमित कर के चौकी तक पहुंच जाए तो और सहायता मिल जाएगी 

 फिर उनपर काबू पाने में कोई परेशानी नहीं होगी। पीछा करने वाले आतंकवादी लग रहे थे और वो संख्या में भी इन लोगों से दो गुने लग रहे थे। एक बार यतो शाश्वत ने सोचा कि पलट कर फायर झोंक दे। पर उनके पास भी हथियार थे। उसे अपनी कोई परवाह नहीं थी। पर साथ में रहे सिपाहियों की उसे चिंता थी। शायद वो शाश्वत की मंशा समझ गए थे। अभी वो चौकी से थोड़ी ही दूर थे और गुप्त रूप से मैसेज भेज चुके थे कि उनका पीछा किया जा रहा है। पीछा करने वाले संख्या बल में ज्यादा है।

                                उन्हें चकमा देने में कामयाब हो रहे थे सहयोगी दल आ ही रहा था कि तभी अचानक से वो लोग पीछे चल रहे एक सैनिक को पकड़ लिया। और उन्हें चेतावनी देकर रुकने को कहा।

अब कोई चारा नहीं था शाश्वत ने अपने साथियों को मोर्चा लेने के लिए इशारा किया और खुद आतंकवादियों को ललकारता हुआ आगे बढ़ गया खुद को सुरक्षित पोजीशन में आड़ लेकर फायर करने लगा। उसके इस हमले के लिए वो तैयार नहीं थे। शाश्वत के साथी भी पोजीशन ले चुके थे।

एक एक कर करके जो भी आतंकवादी भागने की कोशिश करता उन्हें गोलियों से भून दिया जाता। फायरिंग की आवाज से आने वाली मदद और भी जल्दी आ गई। आतंकियों को चारों ओर से घेर लिया गया था। करीब एक घंटे तक आपरेशन चला सारे आतंकियों को मार दिया गया।

सब वापस जाने लगे। तभी शाश्वत मुड़ा और एक आतंकवादी जो पेट के बल पड़ा था उसके पास गया। शाश्वत को कुछ शक हुआ कि शायद वो अभी वो जीवित है। वो उसके पास पहुंच कर जैसे ही सीधा करने की कोशिश करने लगा। अचानक ही वो आतंकवादी पलटा और शाश्वत के ऊपर गोलियों की बौछार कर दी। ये इतना अचानक हुआ कि शाश्वत खुद को न बचा सका परन्तु शाश्वत ने गिरने से पहले उसकी गन छीन ली और उसके गन की बची गोलियां उसी के अंदर उतार दी। साथ रहे सैनिकों ने तुरंत ही मोर्चा लिया कुछ लोग शाश्वत को लेकर हाॅस्पिटल भागे वहां डॉक्टर ने शाश्वत को मृत घोषित कर दिया।   

     आर्मी हेडक्वार्टर से तड़के सुबह करीब चार बजे रहे होंगे फोन गया। सारे लोग सो रहे थे। नव्या ने काफी देर रात तक पढ़ाई की थी इसलिए वो गहरी नींद में सो रही थी। 

 फिर फोन की चीखती  हुई आवाज उसके कानों में पड़ी वो अनमनी सी हो गई की सुबह-सुबह ही किसका फोन आ गया पर रात में गश्त पर जाने से पहले शाश्वत की काॅल आई थी किन्तु कुछ ही देर में डिस्कनेक्ट हो गया था। इस वजह से उसे लगा कि शाश्वत अब गश्त से वापस लौट आए होंगे और उन्होंने ही फोन किया होगा। वो जल्दी से उठ कर बैठ गई और जल्दी जल्दी बाहर निकल आई। इधर शांतनु जी भी उठकर आ गए कि सब सो रहे हैं मैं ही देख लूं इतनी सुबह-सुबह किसका फोन है। नव्या के पहले शांतनु जी पहुंच गए थे। उन्होंने रिसीवर उठाया और हैलो कहा उधर से ये जानकारी होने पर की शाश्वत के पापा बोले रहे हैं। कहा गया। कैप्टन शाश्वत आतंकवादीयों से वीरता से मोर्चा लेते हुए। शहीद हुए हैं। आप एक बहादुर सैनिक के पिता हैं उसने इस मुठभेड़ में अदम्य साहस का परिचय दिया। हम आपसे फिर बात करेंगे। इतना कह कर फ़ोन कट गया। शांतनु जी कभी नव्या को देखते तो कभी फोन को। नव्या को तो भान भी नहीं था कि उसकी दुनिया उजड़ चुकी है। उसके ये पूछने पर कि क्या हुआ पापा किसका फोन था ? शाश्वत का था क्या ? क्या कह रहे थे वो ? मुझसे क्यों बात नहीं की ? शांतनु जी ने खुद पर काबू करते हुए कहा 

 हाँ उसी का फोन था नव्या ठुनकते हुए बोली क्या पापा आपने मेरी बात क्यों नहीं करवाई मुझे अपने सूट की मैचिंग चूड़ियां भी मगवानी थी। हां बेटा फिर फोन आएगा तो बोल दूंगा। वो थका था सोने गया। जा तू भी सो जा अभी से उठ कर क्या करेंगी। नव्या ने पूछा पापा चाय बना दूं पर उन्होंने मना कर दिया और कहा जब तेरी मम्मी उठेगी तब पी लूंगा। 

    नव्या को सोने भेज कर शांतनु जी अपने कमरे का दरवाजा बंद कर हिचक हिचक कर रोने लगे। उनकी सिसकियों से शाश्वत की मां की नींद भी खुल गई। वो चौंक कर बैठ गई और पूछा क्या हुआ जी आप रो क्यूं रहें हैं। खुद को संयत करते हुए वो बोले हमें अपनी आंखों में आंसू नहीं आने देना है शाश्वत की मां, हमें अपनी आंखों में आंसू नहीं आने देना है। जानती हो शाश्वत देश के काम आया है।

वो शहीद हुआ है शाश्वत की मां वो शहीद हुआ है। तुम एक शहीद की मां हो। भौचक्की सी वो शांतनु जी का चेहरा ही देखती रह गई तुम्हें क्या हो गया है क्या पागल हो गए हो जो सुबह सुबह बहकी-बहकी बातें कर रहे हो।

उन्हें झकझोरते हुए वो बोली। अब शांतनु जी उन्हें अपने गले लगा कर कहने लगे तुम्हें धैर्य से काम लेना होगा मैं ने नव्या को सोने भेज दिया है  उसे पता नहीं चलना चाहिए।

हमें अपना दुख भूल कर नव्या को संभालना है। पर मां के आंसू कहाँ रुकते हैं। उन्हें संभलने का समय देकर शांतनु जी ने नवल जी को फोन किया वे भी घबरा गए क्या बात है भाई साहब बस कुछ जरूरी काम है आप दोनों तुरंत आ जाइए। कह कर फ़ोन रख दिया। नवल जी सोचने लगे नव्या बीमार हो गई या उसने कुछ गलत किया है जो शांतनु जी इतनी सुबह-सुबह बुला रहे हैं। सशंकित मन से नवल जी यथाशीघ्र पत्नी सहित आ गए।  

                          नवल जी घर में घुसते ही पूछने लगे सब खैरियत तो है भाई साहब। उन्हें इशारा करते हुए चुपचाप अंदर के कमरे में ले आए। और कहा अपना हौसला बनाए रखियेगा हमें नव्या को मिल कर संभालना है। फिर पूरी बात बताई। नवल जी और उनकी पत्नी दोनों ही ये सुनते ही बेसुध हो गए। काफी देर तक उन्हें संभालने में लगा। अब चारों मिलकर नव्या को कैसे समझाना है ये सोचने लगे। अभी कुछ ही देर हुई थी कि नव्या चाय लेकर आती दिखी। नवल जी को देखकर चौंक गई अरे!! मम्मी पापा आप लोग और वो भी सुबह-सुबह

नवल जी बोले क्या करें तू तो आती नहीं तो सोचा हम ही चले मिल आए। क्या हम मिलने नहीं आ सकते  ? अरे नहीं पापा आप बिलकुल आ सकते हैं। सब को चाय देकर वहीं बैठ गई सब के चेहरे से उसे कुछ गड़बड़ लग रहा था। 

अपनी उलझन दूर करने को बोली सच बताओ मां कोई बात हो गई क्या। अब उसकी मम्मी बोली शाश्वत आ रहा है ना इसलिए हम दोनों भी आए हैं। शाश्वत तो अभी तीन दिन बाद आएगा। नव्या बोली। अब शांतनु जी बोले नहीं बेटा वो आ रहा है। नव्या उठ खड़ी हुई अरे तब तो मुझे बहुत तैयारी करनी  है आप सब बातें करो मैं जाती हूं। झट से साक्षी के पास गई और उसे जगाते हुए बोली साक्षी तेरे भैया आज ही आ रहे हैं मैं कुछ कर भी नहीं पाई।। प्लीज़ उठ जा मुझे जल्दी से मेहंदी तो लगा दे। शाश्वत को मेहंदी लगे हाथ बहुत पसंद हैं। अभी तो कुछ काम भी नहीं है। ये कहते हुए मेहंदी का कोन साक्षी को पकड़ा दिया। साक्षी सुन्दर सी मेहंदी लगाते हुए शाश्वत का नाम लिख दिया। 

         उधर हेडक्वार्टर से बार बार फोन आ रहा था जिसे शांतनु जी बाहर जाकर बात कर रहे थे। उसे लेकर वे लोग निकल चुके थे सेना  के हेलीकॉप्टर से शाश्वत का पार्थिव शरीर लाया जा रहा था। इधर  जैसे जैसे शहर में बात फैल रही थी लोगों के फोन और लोग खुद भी आ रहे थे। जिसे नव्या के पापा अभी आने में समय कहकर भेज दे रहे थे। नव्या की मेहंदी सूख गई थी वो शाश्वत के पसंद की पीली साड़ी लेकर नहाने चली गई। जब वो नहाकर निकली तो कुछ शोर सुनाई दी। बाकी सब को तो नवल जी ने भेज दिया था पर कुछ पत्रकार आ गए थे और वो सभी घर वालों की  प्रतिक्रिया लेना चाह रहे थे। नव्या शोर सुनकर बाहर आ गई उसे बाहर निकलता देख नवल जी और शांतनु जी के साथ शेष लोग भी साथ में  बाहर आ गए थे उसे देखकर एक पत्रकार द्वारा पूछा गया मैम आपको कैसे पता  चला कि कैप्टन शाश्वत शहीद हो गए।     

     ये शब्द कानों में पड़ते ही नव्या बेहोश हो गई। उसे नवल जी ने सहारा दिया और शांतनु जी की मदद से घर में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। 

                    जैसे जैसे शाश्वत के आने का समय हो रहा था मालूम हो रहा था पूरा शहर घर के बाहर उमड़ पड़ा हो। नव्या थोड़ी थोड़ी देर में होश में आती और शाश्वत का नाम पुकारती फिर बेहोश हो जाती। मैं भी वही पास ही थी। पर नव्या की ओर देखने की मेरी हिम्मत नहीं थी। जब नव्या को होश आया उसकी निगाह मुझ पर पड़ गई। अपनी मेहंदी दिखाकर बोली आंटी रची तो है ना । इसमें मैंने शाश्वत का नाम भी लिखवाया है। ये देखिए 

 कहती हुई मुझे दिखाने लगी। मेरा रोम-रोम चित्कार रहा था। मैं नव्या को क्या समझाऊं।

                       बाहर शोर बढ़ता ही जा रहा था। शहर के सारे बड़े अधिकारी, नेताओं का जमावड़ा लग गया था। शाश्वत को लेकर सेना के जवान आ गए थे। तिरंगे में लिपटा शाश्वत आ चुका था। सभी का रो रोकर बुरा हाल था। 

                नव्या को शाश्वत के आखिरी दर्शन के लिए लाया गया। वो तो जैसे अपना मानसिक संतुलन हीं खो  बैठी थी। शाश्वत से बातें करने लगी। शाश्वत देखो तुम्हें मेरे मेहंदी लगे हाथ पसंद है ना, देखो जैसे ही मैंने सुना कि तुम आ रहे हो मैंने मेहंदी लगवा ली। तुमने देखा नहीं गौर से देखो इसमें तुम्हारा नाम भी लिखा है। और वो उससे बातें करने लगी। कुछ देर बाद मुझे पास बुलाया और कहने लगी आंटी आपको तो सब पता है शाश्वत ने आपके सामने ही तो वादा किया था कि इस जनम नहीं जनम जनम तक मेरा साथ निभाएंगे वो मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता। शाश्वत से लिपट कर नव्या अपने आंखों से आंसुओं को पोंछ रही थी। मैं नहीं रोऊंगी। शाश्वत मेरी रग रग में बसा है। वो मेरे मेहंदी की खुशबू है।  

                             नव्या की पीड़ा देखकर मेरा हृदय दर्द से फटा जा रहा था। सभी द्रवित मन से शाश्वत को याद कर रहे थे। 

                  



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance