नाव की पीड़ा

नाव की पीड़ा

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मैं नाव हूँ, हमारा नाम तो होता नहीं हैं।  हमारे पिता का नाम झूनू मॉझी है। आप लोगों को लगता होगा कि हमारे भीतर दिल नहीं धड़कता है

ऐसा नहीं है हमारे भीतर भी दिल धड़कता है।

हमारी भी एक चाहत है, जो हमारे नाव पर आकर बैठती है गाती है गुनगुनाती है, लिखती है पढ़ती है गुनगुनाती है, अपने पिया संग हँसती है गुनगुनाती है हमारा दिल खुश हो जाता है।

अब आप लोगों को लग रहा होगा कि हमारी चाहत कहाँ फिर उस का पिया भी है, अरे उनको थोड़ा ही मालूम है कि हम उनको चाहते है। अरे हम उनको चाहते है, वह हमको चाहते है कि नहीं यह मजबूरी नहीं है। बहुत दिनों से नहीं आ रहीं है, अरे एक दिन देखते है कि कुछ लोग उनकी राख लेकर आये है और रो रहे है, हाय शिव यह सुख छीन लिया।


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